गत नौ सालों से बीजेपी केंद्र में सत्ता में आने के बाद से ! साबरमती आश्रम, सेवाग्राम आश्रम और अब वाराणसी के राजघाट परिसर के सर्व सेवा संघ के परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की घुसपैठ काफी दिनों से चल रही हैं ! लेकिन गत नौ सालों से सत्ता पर आने के बाद बहुत ही सुनियोजित तरीके से संघ, सरकारी अधिकारियों की मदद से 15 मई 2023 के दिन, वाराणसी विभागीय आयुक्त के पहल से कोई रामबहादुर राय नाम के ! कभी पत्रकार रहे व्यक्ति जो आजकल इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र का मुखिया बना दिया गया है ! उसके लिए आयुक्त ने 15 मई 2023 के दिन पुलिस की मदद लेकर जोर-जबरदस्ती से ! गाँधी विद्या संस्थान के परिसर में खड़े ग्रंथालय तथा अन्य इमारतो के ताले तोड़कर कब्जा कर लिया है !


1960 में जयप्रकाश नारायण ने महात्मा गाँधी शोध संस्थान की स्थापना की थी ! और उसके लिए सर्व सेवा संघ ने अपनी राजघाट स्थित जमीन और कुछ संसाधन देकर बनाया गया है ! जिसके अधिक्षको में आचार्य राम मूर्ति से लेकर प्रोफेसर अम्लान दत्त जैसे महानुभावों के नेतृत्व में संशोधन का काम चल रहा था ! और बिचमे ही कोई कुसुम केडिया नामकी महीला को सर्वोदय के ही कुछ लोगों के आग्रह पर इस संस्थान में प्रवेश दिया गया ! और उस समय से गांधी विद्या संस्थान में घटिया राजनीति की शुरुआत हुई हैं ! और इस गुनाह के लिए तत्कालीन सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष तथा विभिन्न पदाधिकारी भी जिम्मेदार रहे हैं ! इसमें कोई शक नहीं है ! लेकिन हमारे पुरखों के द्वारा की गई गलती को सुधारने की जगह सिर्फ उन्होंने किया – उन्होंने किया बोलते रहने से कैसे इस जगह को बचाये ?
मैंने 11 – 15 मार्च 1948 की सर्व सेवा संघ की स्थापना बैठक के इतिवृत्त में देखा है ! कि “सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 के संमेलन में हुई ! इसका उद्देश्य महात्मा गाँधी जी के विचारों को आगे बढ़ाने, जिसमें सत्य और अहिंसा पर आधारित एक ऐसे जातिविहिन तथा गैर – शोषक समाज बनाने में सहायता करना था ! जिसमें प्रत्येक व्यक्ति तथा समुह को अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुसार विकसित होने का पूर्ण अवसर मिले !


इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए कार्यवाही के पृष्ठ क्रमांक 147 पर 21 रचनात्मक कार्यक्रमों का वर्णन है ! सर्व सेवा संघ के सदस्यों को इसमें किसी भी राजनैतिक दलों में शामिल होने से मना किया गया है ! जो आज भी लागू है ! यद्यपि यह एक औपचारिक संघठन है, संपूर्ण देश में इसकी इकाईयां में सेवाग्राम की भावना मूलरूप से काम करती है ! सभी विषयों पर एकमत होने की परंपरा है ! मतभेद की स्थिति में 80% सदस्यों की सहमति से विवाद निपटाने का प्रावधान है ! लेकिन पिछले कुछ दिनों से इन सब नियमों की अनदेखी कर के ! विभिन्न गुटों में विभाजित होने की वजह से ! आर. एस. एस. के लोगो ने घुसपैठियों के साथ दिमक के जैसा सर्व सेवा संघ की विभिन्न जगहों में घुसकर आज का दिन आया है !
और जिसमें सर्व सेवा संघ के पुरोधाओं में से कुछ लोगों को संघ के प्रति शुरू से ही सहानुभूति होने की वजह से ! और उनमें से कुछ लोग सॉफ्टहिंदुत्व के हिमायती भी रहे है ! जो आर. एस. एस. जो शतप्रतिशत बेनिटो मुसोलीनी और अडॉल्फ हिटलर के फॅसिस्ट विचारधारा के उपर खडा किया गया संगठन के जिसमें एकचालकानुवर्त और फॅसिस्ट यह मुलभूत संकल्पना है ! और यह तत्व पहचानने में अच्छे – अच्छे लोगों की गफलत हुई है ! जिसमें सर्वोदयी और समाजवादी विचारधारा के लोगों की संख्या ज्यादा है ! हालांकि महात्मा गाँधी जी के हत्या के बाद सेवाग्राम में 11 मार्च से 15 मार्च तक पांच दिनों की बैठक हुई थी ! जो महात्मा गाँधी जी के जीवित काल में ही तय हुई थी ! ( 2 फरवरी 1948 ) ! लेकिन बीच में ही 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या की वजह से यह बैठक उनकी हत्या के छ सप्ताह पस्चात हुई है ! और इसी बैठक की थीम थी ” Bapu is gone ; what are we to do now !” के परिणाम स्वरूप सर्व सेवा संघ का जन्म हुआ है !


इस बैठक में शामिल लोगों में पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबु राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आझाद, आचार्य विनोबा भावे, आचार्य कृपलानी तथा आचार्य दादा धर्माधिकारी जिन्होने इस बैठक का इतिवृत्त लिखा है ! इन के अलावा जयप्रकाश नारायण, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, शंकरराव देव, जे. सी. कुमारप्पा, मृदुला साराभाई, सुचेता कृपलानी, बीबी अम्तुस्सलाम, आशादेवी आर्यनायकम, ई. डब्ल्यू. आर्यनायकम, पंडित सुंदरलाल, आचार्य कालेलकर, गुलजारी लाल नंदा, देवदास गांधी, बालासाहब खेर, हरेकृष्ण मेहताब, प्यारेलाल, मगनभाई देसाई, जैनेंद्र कुमार, झवेरभाई पटेल , जाकिर हुसेन, किशोर मश्रुवाला, ठक्कर बाप्पा, श्रीकृष्ण जाजू,आर. आर. दिवाकर, डॉ. प्रफुल्ल चंद्र घोष, जी. रामचंद्रन, जमनाल बजाज, राजकुमारी अमृत कौर, श्रीमन्ननारायण, कांती मेहता, कोंडा वेंकटप्पय्या, सरलाबेन साराभाई, और इस बैठक में आचार्य नरेंद्र देव, डॉ. राम मनोहर लोहिया, तथा निर्मल कुमार बोस उपस्थित नहीं रहने की बात गोपाल कृष्ण गाँधी जी ने अपने इस पुस्तक में विशेष रूप से रेखांकित किया है !


एक तरह से भारत का क्रिम ने पांच दिनों की चर्चा के बाद आज का सर्व सेवा संघ की स्थापना की है ! 1974 के जयप्रकाश आंदोलन, और 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों के प्रसंग ! यह भारत की आजादी के बाद कुछ ऐसे प्रसंग है ! जिसमें सर्व सेवा संघ ने कुछ – कुछ भुमिका ली है ! हालांकि उसमे भी कुछ लोगों की अलग – अलग भूमिका रहने के कारण ही प्रथम बार 80% वाला फार्मूले का प्रयोग किया गया ! और इसी वजह से जनतंत्र में परमतसहिष्णुता की परवाह किए बिना ! गुटबाजी निर्माण होना शुरु हुई ! और कोई कुसुम केडिया जैसे एकदम फॉरेनर व्यक्ति को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने की वजह से ही ! आज इस संस्थान में सरकार को हाथ डालने का मौका मिला है !

लेकिन अब इस बात को हमने कितना महत्व देना है ? यह तय नहीं करेंगे तो हमारे आपसी मतभेदों का फायदा उठाकर आर. एस. एस. के कब्जे में जाने देना क्या हमें मंजूर है ? मै पुनः – पुनः कह रहा हूँ कि हमारे वरिष्ठ साथियों ने हिमालय पर्वत के उंचाई जैसे गलतियाँ की है ! लेकिन अभी उन्हीं गलतियों का बार- बार उल्लेख करने से, प्रशासन और आर. एस. एस. को बल देना नहीं हो रहा है ? साथियों मै किसी भी गुटबाजी में नहीं हूँ ! और नही मेरा स्वभाव है ! कि मै गुटबाजी कर के एनएपीएम से लेकर राष्ट्र सेवा दल और वर्तमान में किसी भी प्रक्रिया को बाधित करने की गलतियाँ करू ! क्योंकि व्यक्तिगत अहंकार से बड़ी हमारे देश और दुनिया की समस्याओं का अंबार है ! और हम अपनी टुच्ची राजनीतिक वासना में बावले होकर वर्तमान समय में भारत के सरपर मंडरा रहा फासीस्ट वाद का संकट का मुकाबला करना छोड़ आपसी सरफुटैवल करना कौन-से गाँधी,विनोबा, जयप्रकाश, लोहिया, आंबेडकर के सपनों का भारत बन सकता है ?
इसी बैठक में पंद्रह मार्च के दिन मतलब बैठक के आखिरी दिन ! आचार्य विनोबा भावे ने आज से पचहत्तर साल पहले जो कहा है ! वह बात उस समय और आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है !


” मैं कुछ कहना चाहता हूँ ! मै उस प्रांत का हूँ जिसमें आर. एस. एस. का जन्म हुआ ! जाति छोडकर बैठा हूँ ! फिर भी भूल नहीं सकता कि उसकी जाति का हूँ जिसके द्वारा यह घटना हुई ! कुमारप्पाजी और कृपलानीजी ने फौजी बंदोबस्त के खिलाफ परसो सख्त बातें कहीं ! मै चुपचाप बैठा रहा ! वे दुःख के साथ बोलते थे ! मै दुःख के साथ चुप था ! न बोलने वाले का दुःख जाहिर नहीं होता ! मै इसलिए नही बोला कि मुझे दुःख के साथ लज्जा भी थी ! पौनार में मै बरसों से रह रहा हूँ ! वहां पर भी चार – पांच आदमियों को गिरफ्तार किया गया है ! बापू की हत्या से किसी न किसी तरह का संबंध होने का उन पर शुबाह है ! वर्धा में गिरफ्तारियां हुई, नागपुर में हुई, जगह – जगह हो रही है ! यह संगठन इतने बड़े पैमाने पर बड़ी कुशलता के साथ फैलाया गया है ! इसके मूल बहुत गहरे पहुच चुके है ! यह संगठन ठीक फॅसिस्ट ढंग का है ! उसमें महाराष्ट्र की बुध्दि का प्रधानतया उपयोग हुआ है ! चाहें वह पंजाब में काम करता हो या मद्रास में ! सब प्रांतों में उसके सालार और मुख्य संचालक अक्सर महाराष्ट्रिय, और अक्सर ब्राम्हण, रहे हैं ! गोलवलकर गुरुजी भी महाराष्ट्रियन ब्राम्हण है ! इस संगठनवाले दुसरो को विस्वास में नही लेते ! गाँधी जी का नियम सत्य का था ! मालूम होता है कि इनका नियम असत्य का होना चाहिए ! यह असत्य उनकी टेक्निक – उनके तंत्र – और उनकी फिलॉसफी का हिस्सा है !


मैंने एक धार्मिक अखबार में उनके गोलवलकर गुरुजी का एक लेख या भाषण पढा ! उसमे लिखा था कि ‘हिंदू धर्म का उत्तम आदर्श अर्जुन है, उसे अपने गुरुजनों के लिए आदर और प्रेम था, उसने गुरुजनों को प्रणाम किया और उनकी हत्या की, इस प्रकार की हत्या जो कर सकता है, वह स्थितप्रज्ञ है !’ वे लोग गीता के मुझसे कम उपासक नही है ! वे गीता उतनी ही श्रद्धा से रोज पढते होंगे जितनी श्रद्धा मेरे मन में है ! मनुष्य यदि पूज्य गुरुजनों की हत्या कर सके तो वह स्थितप्रज्ञ होता है, यह उनकी गीता का तात्पर्य है ! बेचारी गीता का इस प्रकार उपयोग होता है ! मतलब यह है कि यह सिर्फ दंगा-फसाद करनेवाले उपद्रवकारियो की जमात नही है ! यह फिलॉसाफरो की जमात है ! उनका एक तत्वज्ञान है और उसके अनुसार निश्चय के साथ वे काम करते हैं ! धर्मग्रंथों के अर्थ करने की भी उनकी अपनी एक खास पद्धति है !


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की और हमारी कार्यप्रणाली में हमेशा विरोध रहा है ! जब हम जेल में जाते थे, उस वक्त उनकी नीति फौज और पुलिस में दाखिल होने की थी ! जहाँ हिंदू – मुसलमानो का झगड़ा खडा होने की संभावना होती, वहां वे पहुंच जाते ! उस वक्त की सरकार इन सब बातों को अपने फायदे की समझती थी ! इसलिए उसने भी उनको उत्तेजन दिया ! नतीजा हमको भुगतना पड़ रहा है !
आज की परिस्थिति मे मुख्य जिम्मेदारी मेरी है, महाराष्ट्र के लोगो की है! यह संगठन महाराष्ट्र में पैदा हुआ है ! महाराष्ट्र के लोग ही उसकी जडों तक पहुंच सकते हैं ! इसलिये मुझे सुचना करें, मै अपना दिमाग साफ रखुंगा और अपने तरीके से काम करुंगा ! मै किसी कमेटी में कमिट नही हूँगा ! आर. एस. एस. से भीन्न, गहरे और दृढ विचार रखने वाले सभी लोगों की मदद लुंगा ! हमारा साधन-शुद्धि का मोर्चा बने ! उसमे सोशलिस्ट भी आ सकते हैं और दुसरे सभी आ सकते हैं ! हमको ऐसे लोगों की जरूरत है जो अपने आप को इन्सान समझते हैं !


साथियों आजसे पचहत्तर साल पहले आचार्य विनोबा भावे ने संघ की स्थापना के 23 साल के भीतर यह आकलन किया है ! क्या आज पचहत्तर साल मतलब कुलमिलाकर सौ साल की यात्रा में आर. एस. एस. का परिचय होना कुछ और भी बचा है ? फिर भी हम आपसी झगड़ों में उलझ कर इकट्ठे होने की जगह पुराने लोगों ने क्या- क्या गलतिया की है ! उन्हें गीनते रहने से फायदा किसका हो रहा है ? वाराणसी का आयुक्त भारतीय संविधान की शपथ ग्रहण करने के बाद भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के बावजूद ! वह अपने सेवा नियमों की बगैर परवाह किए ! गाँधी विद्या संस्थान की जगह किसी भी अन्य संस्थाओं को देना संगीन अपराध जैसे गुनाह कर रहा है ! क्योंकि उसे वर्तमान केंद्र और राज्य सरकारों की शह पर वह यह हरकत कर रहा है ! और एक हम हैं, कि एक दूसरे की गलतियाँ गिनाये जा रहे हैं ! इस वक्त सभी साथियों को इकट्ठा होकर विनोबा जी की भाषा में जो अपने आप को इंसान समझते हैं ! उन सभी ने फासीस्ट शक्तियों का मुकाबला करने के लिए इकट्ठे होकर प्रयास करना चाहिए यही मेरी विनम्र प्रार्थना है ! अन्यथा हमारे पुरखों ने इकठ्ठा की हुई संपत्ति इसी तरह से संघ परिवार के कब्जे में चली जायेगी और हम सिर्फ आपसी गलीयो को गिनते रहेंगे ? आनेवाली पिढी हमें माफ नही करेंगी इतना तो तय है !
डॉ. सुरेश खैरनार 19 जून 2023, नागपुर

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