बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिससे वे आसानी से किसी वायरस की जद में आ जाते हैं. एक ऐसा ही वायरस इन दिनों बच्चों को अपना निशाना बना रहा है, जो बेहद खतरनाक है. इस वायरस का नाम है, रोटावायरस. यह एक ऐसा वायरस है जिसकी वजह से आंतों का इंफेक्शन यानी गैस्ट्रोएंटेराइटिस रोग हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 5 साल से कम उम्र का हर बच्चा कम से कम एक बार इस वायरस का शिकार जरूर होता है.
2 साल तक के बच्चों को ज्यादा खतरा
6 महीने से 2 साल तक के बच्चों को इस रोग का खतरा सबसे ज्यादा होता है. बच्चों में होने वाले इस रोग की अगर सही जानकारी हो, तो लक्षणों को पहचानकर इसका सही समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है और इससे होने वाले खतरों से बचा जा सकता है. आमतौर पर रोटा वायरस का संक्रमण मल में मौजूद होता है और हाथों से बार-बार मुंह को छूने या दूषित पानी को पीने से फैलता है. संक्रमण के दौरान ये वायरस बच्चों को खिलौनों, बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है. संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से भी ये वायरस फैल सकता है.
कितना खतरनाक है रोटावायरस
रोटावायरस एक खतरनाक बीमारी है क्योंकि बच्चों में इस बीमारी के कारण जल्दी-जल्दी दस्त होने लगते हैं, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. शरीर से इलेक्ट्रोलाइट्स निकल जाने के कारण शिशु को डिहाइड्रेशन हो जाता है. ऐसी स्थिति में आमतौर पर डॉक्टर ओ.आर.एस. का घोल देते हैं. डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए थोड़े बड़े बच्चों को नारियल पानी और दाल का पानी आदि भी दिया जा सकता है. कई बार ये बीमारी गंभीर हो जाती है, तो शिशु को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है. समय पर इलाज न होने पर डिहाइड्रेशन जानलेवा भी हो सकता है.
रोटावायरस संक्रमण के लक्षण
रोटावायरस इंफेक्शन के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 18 से 36 घंटे बाद नजर आते हैं. इस बीमारी में आमतौर पर निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं:
• बुखार
• मितली और उल्टी
• लगातार दस्त होना
• डिहाइड्रेशन की समस्या होना
• पेट में मरोड़ उठना
• खांसी आना
• नाक बहना