कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी के क़त्ल की गुत्थी जल्दी सुलझनव वाली है। पुलिस के पास क़ातिल का नाम भी है और क़त्ल का मकसद भी पता चल गया है। बस इंतज़ार है तो कुबूलनामे का। दिल्ली क्राइम ब्रांच सूत्रों की मानें तो रोहित के क़त्ल के बाद जांच में मिले सुबूतों के आधार पर शक के दायरे में कोई और नहीं बल्कि पत्नी पत्नी अपूर्वा ही आ रहीं हैं।
करीब 84 घंटे की पूछताछ के बाद अपूर्वा ने ये क़ुबूल किया है कि सोमवार की रात 11 बजे उसका रोहित से झगड़ा हुआ था। बात इतनी बढ़ गई थी की दोनों ने एक-दूसरे का गला दबाया था। इसमें हो सकता है कि जोर से गला दब गया हो और सोने के दौरान रोहित की मौत हो गई हो। हालांकि, क्राइम ब्रांच अपूर्वा की इस बात पर यकीन नहीं कर रही है। पुलिस की मानें तो अपूर्वा गुमराह कर रही है उसके साथ इस पूरे क़त्ल में कोई और भी शामिल था जिसका नाम वो नहीं बता रही है। इतना ही नहीं क़त्ल के पीछे कोई ठोस वजह भी है जो जल्द ही सामने आ जाएगा।
सूत्र बताते हैं कि, क्योंकि रोहित की पत्नी अपूर्वा खुद एक वकील और वो कानून जानती है इसीलिए वो ये कहानी बना रही है, ताकि मामला हत्या का न बनकर गैरइरादतन हत्या का बन जाए। मामले की तफ्तीश कर रही क्राइम ब्रांच की टीम सुबूतों की कड़ी को जोड़ लेना चाहती है। पर्याप्त सुबूत मिलते ही गिरफ्तारी होगी।
अपूर्वा ने झगड़े के दौरान दबाया था रोहित का गला!
दिल्ली क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक तीन दिन तक हुई पूछताछ के बाद अपूर्वा टूट गई और स्वीकार किया कि सोमवार की रात 11 बजे रोहित से उनका झगड़ा हुआ था। झगड़े के दौरान दोनों ने एक दूसरे का गला दबाया था। इसमें हो सकता है कि जोर से गला दब गया हो और सोने के दौरान रोहित की मौत हो गई हो।
तफ्तीश में ये भी सामने आया है की जिस रात रोहित का क़त्ल हुआ उसके दूसरे दिन सुबह अपूर्वा ने 11 बजे अपने मोबाइल फोन से दिल्ली से बाहर रहने वाले एक व्यक्ति को फोन किया था। पुलिस को शक है कि यह फोन अपूर्वा ने किसी जानकार से सुझाव लेने के लिए किया गया था।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो रोहित शेखर तिवारी हत्याकांड से जल्द ही पर्दा उठने वाला है। अब तक की जांच में मिले सुबूतों के आधार पर क्राइम ब्रांच के शक के दायरे में रोहित की पत्नी अपूर्वा आ रहीं हैं। मामला हाई प्रोफाइल होने के साथ ही अपूर्वा खुद भी सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता हैं। ऐसे में क्राइम ब्रांच किसी भी जल्दबाजी से बचते हुए, सबूतों की हर कड़ी को जोड़ लेना चाहती है। क्राइम ब्रांच पर्याप्त सुबूत एकत्र होते ही इस मामले में गिरफ्तारी करेगी।