बिहार सरकार की खनन नीति के विरोध में राजद ने 21 दिसंबर को बिहार बंद करने का आह्ववान किया था. लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले राज्य सरकार ने खनन नीति वापस लेने की घोषणा कर दी. सरकार की तरफ से कहा गया कि अब पुरानी नीति पर ही बालू खनन होगा. बुधवार देर शाम बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बिहार सरकार ने 2013 में जो खनन नीति बनाई थी, उसी के आधार पर अब बालू का खनन होगा.
गौरतलब है कि 2017 में नई खनन नीति बनाने के बाद से ही उसका विरोध हो रहा था. ट्रांसपोर्टरों और मजदूरों के साथ-साथ राजनीतिक दल भी उसका खूब विरोध कर रहे थे. इसके बाद मामला पटना हाईकोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने इस नई नीति पर स्टे लगा दिया. इसी बीच राजद ने इस मुद्दे पर बिहार बंद की घोषणा कर दी. लेकिन बंद से ठीक एक दिन पहले बिहार सरकार ने यह निर्णय लिया कि राज्य में पुराने नियम के अनुसार ही बालू का खनन होगा. मुख्य सचिव ने कहा कि अवैध खनन और बालू के अवैध स्टोरेज पर प्रतिबंध रहेगा और अब 100 हेक्टेयर से ज्यादा खनन का पट्टा नहीं दिया जाएगा. साथ ही जिसे पहले से ही 100 हेक्टेयर से ज्यादा का टेन्डर मिला है उन पर कोई रोक नहीं होगी.
लेकिन इस घोषणा के बाद भी राजद ने बिहार बंद के अपने फैसले में परिवर्तन नहीं किया. जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि अगर सरकार नई नीति को वापस ले लेती है, तो फिर वो बिहार बंद का फैसला वापस ले लेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. गुरुवार सुबह से ही कई जिलों से बंद की खबरें आ रही हैं. शेखपुरा में राजद कार्यकर्त्ताओं ने किऊल-गया पैसेंजर ट्रेन को घंटों रोके रखा वहीं पटना-गया रेलखंड पर जहानाबाद स्टेशन के समीप ट्रैक पर आगजनी कर जनशताब्दी ट्रेन को रोकने के साथ-साथ एनएच को भी जाम कर दिया गया है. इस बंद ने सड़क यातायात को भी प्रभावित किया है.