जनसूचना अधिकार कानून को भले ही सशक्त और प्रभावशाली बनाने की बात होती हो, लेकिन हकीकत यह है कि खुद अधिकारी ही इस कानून की धज्जियां उड़ाने का काम कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला पूर्वांचल के जौनपुर जिले की केराकत तहसील क्षेत्र का है. केराकत तहसील क्षेत्र के तरियारी गांव निवासी अमित कुमार ने जनसूचना अधिकार कानून के तहत17 दिसंबर 2015 को ही ग्राम पंचायत तरियारी में सम्पन्न ग्राम प्रधान के चुनाव में श्रीमती शीला की जीत से सम्बन्धित ब्यौरा मांगा था, जिसे आज तक उपलब्ध नहीं कराया गया. इस मामले को लेकर वह केराकत के उपजिलाधिकारी सहित खंड विकास अधिकारी और जिलाधिकारी कार्यालय में भी फरियाद लगा चुके हैं.
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अमित कुमार ने राज्य निर्वाचन आयोग के जनसूचना अधिकारी से भी यह जानकारी मांगी थी. उसके जवाब में राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि जौनपुर के जिला निर्वाचन कार्यालय को सूचना देने के लिए अंतरित किया गया है. लेकिन कोई जवाब नहीं आया. जौनपुर कार्यालय ने आयोग के साथ-साथ जिलाधिकारी के आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया. केराकत के उपजिलाधिकारी खंड विकास अधिकारी को जानकारी देने के लिए कहते हैं तो वह इस आदेश को नहीं मानते. वो कहते हैं कि हमारे यहां कोई ऐसा अभिलेख ही नहीं है. समझा जा सकता है कि शासन-प्रशासन के अधिकारी सूचना अधिकार कानून के प्रति कितने गंभीर और सजग हैं. केराकत के उप जिलाधिकारी सुरेन्द्र लाल श्रीवास्तव से मुलाकात कर अमित कुमार ने जानकारी मांगी तो वे बिफर पड़े और बोले, दूसरे से मांगो, मैं तो नहीं देता सूचना! थके हारे अमित कुमार ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव समेत कई मंत्रियों को इस बारे में लिखा है. जनसूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बरती जा रही हीला-हवाली तथा अधिकारियों के रवैये से नाराज़ होकर अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है.