ईसाई मिशनरीज से जुड़ी संस्थाओं एवं एनजीओ को जो सरकार से फंड मिलता था, इस पर भी सरकार ने लगाम लगाने का मन बना लिया. खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, वह काफी चौंकाने वाली है. मिशनरीज से जुड़ी कई संस्थाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं से करोड़ों रुपये लेकर इसका बड़ा हिस्सा धर्मान्तरण में इस्तेमाल कर रही है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कोचांग गैंगरेप में जिस आशा किरण नामक संस्था की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, इसे भी महिला एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इसी साल 28 फरवरी को 27 लाख रुपये का अनुदान दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के कई जिले ट्राईबल सब प्लान में आते हैं. वहां बड़े पैमाने पर मिशनरीज से जुड़ी संस्थाएं समाज कल्याण एवं अन्य विभाग से जुड़े अफसरों का इस्तेमाल कर मोटी राशि अनुदान में लेते हैं और इस राशि का इस्तेमाल धर्मान्तरण में करते हैं.
झारखंड में रघुवर सरकार ईसाई समुदाय से खासा नाराज हैं, इसलिए पहले धर्म पर पहरा लगाया और धर्मान्तरण को लेकर सख्त कानून बनाया. वहीं अब आदिवासी से धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने लोगों को झारखंड में सरकारी नौकरी में आरक्षण समाप्त करने को लेकर भी ठोस कदम उठाने जा रही है. दूसरी तरफ, झारखंड में रह रहे गभग 20 लाख बांग्लादेशियों को बाहर भेजने को लेकर भी सरकार गंभीर है.
चर्च का आरोप
धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को आरक्षण न देने पर सरकार गंभीर है. मुद्दा गरमाते देख कर चर्च भी खुलकर सामने आ गया है. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ ने आरोप लगाया है कि झारखंड में भाजपा की सरकार ईसाइयों को भयभीत कर रही है. ईसाई महासंघ का कहना है कि संविधान के तहत राज्य सरकार धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों का आरक्षण समाप्त नहीं कर सकती है, पर जब चर्च एवं अन्य ईसाई संगठन आदिवासियों के हित में काम करने लगे और लोगों को जागरूक करने का काम किया तो भाजपा की सरकार बदले की भावना से काम करने लगी. राज्य सरकार के इस फैसले से ईसाई समुदाय में गुस्सा है. धीरे-धीरे यह मामला तूल पकड़ रहा है और इसका असर चुनाव पर भी पड़ सकता है.
क्यों हुआ धर्मान्तरण?
अब झारखंड में भाजपा की सरकार ऐसे समुदाय के विरोध में खुलकर सामने आ गई है, जिससे सरकार को थोड़ा भी खतरा हो. झारखंड में आदिवासियों की आबादी कुल आबादी का लगभग 37 फीसदी है और लगभग बारह प्रतिशत लोग धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गए हैं. ईसाई संगठनों ने शिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक किया और कई शिक्षण संस्थान खोले एवं लोगों को उच्चस्तरीय शिक्षा दी. इसका सीधा असर वैसे आदिवासियों पर हुआ, जो शैक्षणिक एवं आर्थिक दृष्टि से अभी भी कमजोर हैं. आरक्षण का लाभ अधिकांश धर्मान्तरित ईसाई समुदाय के लोग ही ले रहे हैं. इनलोगों का जीवन-स्तर जहां ऊंचा होता जा रहा है, वहीं आदिवासियों की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार भी कम दोषी नहीं है.
भाजपा का आरोप
भाजपा सरकार का मानना है कि ईसाई संगठन आदिवासियों को प्रलोभन देकर ईसाई बना रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झारखंड के कई इलाकों में इसके विरुद्ध कार्यक्रम चला रहा है, पर कोई सफलता नहीं मिल पा रही थी. अब राज्य में भाजपा की सरकार ने धर्म पर पहरा लगा दिया. सख्त कानून बनाए गए. धर्मान्तरण कराने वाले दोषियों पर जेल एवं सजा का प्रावधान किया गया. यह कानून भी बनाया गया कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो इससे संबंधित जिले के उपायुक्त या सक्षम पदाधिकारी से अनुमति लेनी होगी एवं इसे यह भी बताना होगा कि वह किस कारण से धर्मान्तरण चाहता है.
इस कानून के आ जाने के बाद ईसाई संगठन तिलमिलाए, क्योंकि अब ईसाई बनना आसान नहीं रहा है. भाजपा सरकार को धर्म प्रचार में बाधक मानने लगे, क्योंकि अब धर्मान्तरण कराना आसान नहीं रहा. ईसाई महासंघ के अध्यक्ष प्रभाकर तिर्की ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-25 में राईट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन में लिखे नियमों का अध्ययन राज्य सरकार को करना चाहिए था. तिर्की ने यह स्वीकार किया कि ईसाई संस्थानों को विदेशी फंड मिलता है, पर इन सभी फंड की जानकारी गृह मंत्रालय के पास रहती है.
निशाने पर ईसाई मिशनरीज
हाल के दिनों में रघुवर सरकार द्वारा लाए गए सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोेधन, भूमि अधिग्रहण संशोेधन बिल का विरोध एवं पत्थलगड़ी जैसी समस्याओं की जड़ में ईसाई मिशनरियों का ही हाथ होने की आशंका है. रघुवर सरकार का मानना है कि ईसाई मिशनरियां आदिवासियों को इन सभी मुद्दों पर भड़काकर राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रही है. ईसाई संगठन राज्य में भूमि अधिग्रहण के मामले में एक बड़ा बाधक के रुप में है और यही कारण है कि मित्तल नेशनल हाइड्रो पावर जैसी योजनाएं भूमि के अभाव में जमीन पर नहीं उतर सकी. भूमि अधिग्रहण का जैसे ही मामला आता था, आदिवासी बहकावे में आकर हरवे-हथियार के साथ सड़क पर उतर आते थे. फलस्वरुप बड़ी-बड़ी योजनाओं से झारखंड को वंचित होना पड़ा. इस सबके पीछे ईसाई मिशनरीज का हाथ बताया जा रहा है.
इन सब बातों को लेकर रघुवर सरकार गंभीर है. सरकार का मानना है कि ईसाई मिशनरियां राष्ट्रविरोधी कार्य में लगी हुई है. भाजपा ने आरएसएस के इशारे पर पहले धर्म पर पहरा लगाया, इसके बाद धर्मान्तरित आदिवासियों के आरक्षण पर रोक लगाने को लेकर गंभीर है. ट्राइबल एडवाईजरी कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया गया. सदस्यों ने बैठक में कहा कि सरकार को इस मसले पर जल्द निर्णय लेना चाहिए.
एक तीर से दो शिकार
इस तरह से रघुवर दास की सरकार ने एक तीर से दो शिकार किया है. सरना आदिवासियों को जहां खुश करने का काम किया है, वहीं ईसाई मिशनरियों पर लगाम लगाने की कोशिश की है. ईसाई मिशनरियां गैर भाजपाई दल को ही समर्थन करते हैं एवं अभी हाल में एक पत्र जारी कर यह कहा भी था कि भारत में चर्च एवं ईसाईयों पर खतरा है. भारत सरकार एक साजिश के तहत ईसाईयों को परेशान कर रही है, ताकि वे लोग भी दबाव में भाजपा की बातें मानने लगे.
अभी हाल में पत्थलगड़ी एवं भूमि से संबंधित अध्यादेशों का ईसाई मिशनरियों ने ही हवा दी थी, एक बड़ा आंदोलन छेेड़ने के लिए आदिवासियों को उकसाने का काम किया था. इसके बाद से ही झारखंड में भाजपा की सरकार ने चर्च एवं इससे जुड़ी संस्थाओं को सबक सीखाने की ठान ली थी. अब यह तय है कि धर्मान्तरित आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पायेगा. सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. ट्राइबल एडवाईजरी कमिटि के सदस्य जेबी तुबिद का मानना है कि मूल परम्परा एवं धर्म को छोड़ निजी स्वार्थ के लिए अन्य धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.
ईसाई मिशनरीज से जुड़ी संस्थाओं एवं एनजीओ को जो सरकार से फंड मिलता था, इस पर भी सरकार ने लगाम लगाने का मन बना लिया. खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, वह काफी चौंकाने वाली है. मिशनरीज से जुड़ी कई संस्थाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं से करोड़ों रुपये लेकर इसका बड़ा हिस्सा धर्मान्तरण में इस्तेमाल कर रही है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कोचांग गैंगरेप में जिस आशा किरण नामक संस्था की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, इसे भी महिला एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इसी साल 28 फरवरी को 27 लाख रुपये का अनुदान दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के कई जिले ट्राईबल सब प्लान में आते हैं. वहां बड़े पैमाने पर मिशनरीज से जुड़ी संस्थाएं समाज कल्याण एवं अन्य विभाग से जुड़े अफसरों का इस्तेमाल कर मोटी राशि अनुदान में लेते हैं और इस राशि का इस्तेमाल धर्मान्तरण में करते हैं.
इधर कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के महासचिव बिशप थियोडर मास्करेन्हास का कहना है कि आदिवासियों की जमीन के अधिकारों के लिए चर्च लड़ रहा है. इसलिए सरकार हमलोगों के पीछे पड़ी हुई है.
उन्होंने कहा कि पत्थलगड़ी को लेकर चर्च पर कई आरोप लगाये जा रहे हैं, पर क्या चर्च ने इसके लिए कोई चिट्ठी जारी की थी?
घुसपैठ के लिए भाजपा ही दोषी: हेमंत
झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि प्रदेश में घुसपैठ का मुद्दा उठाने वाली भाजपा ही इसके लिए सबके अधिक जिम्मेदार है. झारखंड में लंबे समय तक भाजपा की सरकार रही. ऐसे में घुसपैठ की जिम्मेदारी इसे खुद स्वीकार करनी चाहिए. कांग्रेस या फिर अन्य दलों पर इसका ठीकरा नहीं फोड़ना चाहिए. सरकार के शुरुआती दिनों में तो किसी ने इस मुद्दे को नहीं उठाया. अब जब विकास के सभी मुद्दे औंधे मुंह गिर गए है, तो एक बार फिर 2019 के चुनाव के पहले योजनाबद्ध तरीके से धार्मिक उन्माद फैलाने की तैयारी की जा रही है. केंद्र और राज्य में इनकी सरकार है, बयानबाजी के बजाय इन्हें कार्रवाई करनी चाहिए.
झारखंड में भी उठा घुसपैठियों का मुद्दा
धर्मान्तरित आदिवासियों के आरक्षण खत्म किए जाने की चर्चा के साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठियों का भी मामला झारखंड में गहरा गया है और इस मामले को लेकर मुस्लिम समुदाय आंदोलित है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि असम की तरह झारखंड में भी गणना होगी. इन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार झारखंड में 45 लाख से भी अधिक बांग्लादेशी हैं और इन सभी को देश से निकाला जायेगा, जबकि विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिये भाजपा की ही देन है.