अपनी शिक्षा उम्र के पंद्रह-सोलह साल में मध्य-वित्त परिवार का सुरक्षित जीवन शैली छोड़कर पुणे से पाचसौ किलोमीटर की दूरी पर के खानदेश मे राष्ट्र सेवा दल के कामके लिए आजसे अस्सी-पच्याशी साल पहले मधु लिमये नाम का एक किशोर जाकर राष्ट्र सेवा दल के दैनिक शाखा से लेकर अभ्यास मंडल जैसी गतिविधियों को चलाता है !
एक तरह से साने गुरूजी के भी पहले खानदेश की भूमि पर राष्ट्र सेवा दल के समाजवाद लोकशाही धर्मनिरपेक्ष और विज्ञानाभिमुख राष्ट्र की संकल्पना को खानदेश की भूमि पर अपने प्रखर बुद्धिजीवी स्वभाव के कारण मधु लिमये ने उम्र के बीस साल पूर्ण करने के पहले ही राष्ट्र सेवा दल के पंचसुत्री खानदेश मे फैलाने का इतिहास दत्त कार्य कर दिखाया था!
मेरे पुस्तैनी गांव साक्री के मामलेदार के सामने महात्मा गाँधी के सत्याग्रह की कडी मे अकेले कोर्ट में खडे थे तो ! मामलेदार ने देखा कि एक पंद्रह-सोलह साल का युवक अपने उम्र के जोशमे खडा है ! तो मामलेदार ने मनहिमनमें उस युवक को समझा बुझा कर छोडने का मन बनाया हुआ था ! लेकिन उस युवक ने कहा कि मुझे कोर्ट को कुछ बताना है ! तो कौतूहल वश मामलेदार ने कहा कि बोलो तो उस युवक ने अपनी जेब में पहले से ही एक कागज पर कुछ लिखकर लाया हुआ था ! वह कागज जेबसे निकला और पढने की शुरुआत की वह उस युवक ने अंग्रेज सरकार के खिलाफ अपने हाथ से अंग्रेजी में खुद लिखकर लाया हुआ बयान था ! और उसमें साफ-साफ शब्दों में हमें यह जुल्मी सरकार मंजूर नहीं है ! और मैं इसे नहीं मानता हूँ ! बहुत ही अच्छी अंग्रेजी में लिखकर लाया हुआ बयान सुनकर मामलेदार भी हक्का-बक्का रह गये ! और छोटे लडके को देखकर छोडने की जगह साक्री के पुलिस हवालात से धुलिया की जेल में भेजने के लिए मजबूर कर दिया !
धुलिया जेल में साने गुरूजी पहले से ही थे ! और इस तरह कुमार उम्र के मधु लिमये लगभग पिता की उम्र के साने गुरूजी के सानिध्य में आने की वजह एक किंवदंती है कि मधु लिमये ने साने गुरूजी को समाजवाद का पाठ पढ़ाने काम किया ! और उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों से अलग करने का काम किया था ! मधु लिमये ने विधिवत शिक्षा अधुरी छोड़कर ही पहले राष्ट्र सेवा दल के और बाद में समाजवादी पार्टी के कामके लिए अपने आप को झोंक दिया ! 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर गोवा मुक्त करने के लिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर भाग लिया था !
लेकिन नहीं उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी की पैन्शन ली ! और चार बार संसद सदस्य के लिए चुने जाने के बावजूद संसद् सद्स्य की पैन्शन या अन्य सुविधाओं को कभी भी नहीं लिया है !
भारत की संसदीय राजनीति मे हर चुनाव में साडेपाचसौ के आसपास सदस्य चुनकर जाते है ! और उसके आधी संख्या में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या होती है ! लेकिन कितने सदस्य होंगे जो संसद भवन के अंदर जाने के पहले अपना होम वर्क करते हैं ? मधु लिमये ने मैट्रिक की परीक्षा के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कि और नहीं उन्होंने अपनी कोई फर्जी डिग्री होने का ढोंग किया है ! लेकिन उनके संसदीय राजनीति के समय वह अकेले संसदीय राजनीति के नियमों और प्रावधानों का आधार लेकर आजसे भी कम विरोधी दलों के सदस्य होने के बावजूद अकेले दो-दो दिन संसदीय काम को नियमों का आधार लेकर रोक देते थे !
सत्तर के दशक में श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने वसंत साठे और आरा के सांसद राय को मधु लिमये से श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के तत्कालीन रोल को लेकर मधु लिमये की राय जानने के लिए मधु लिमये के घर भेजने का किस्सा मुझे खुद वसंत साठे जीने बताया है ! मधु लिमये कुल मिला कर पचहत्तर साल कि जिंदगी जियें शुरू के पंद्रह साल के समय को छोड़ लगभग साठ साल के सक्रिय राजनीति में कभी भी कोई समझौता नहीं किया समाजवादी पार्टी के कलकत्ता कान्फ्रेस में डाॅ राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के मसौदे के खिलाफ मधु लिमये ने बहुत शिद्दत से लोहा लिया ! तो लोहिया मुंबई के मधु लिमये के घर पर पांच-छ दिन डेरा डाल कर समझाने की कोशिश की है !
यह सं- स्मरण अभी हाल ही में मधुजी के बेटे अनिरुद्ध लिमये ने लिखा है ! कि मैं आठ-दस साल की उम्र का रहा होगा लेकिन मुझे मेरे पिताजी और डॉ राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसी बहस बहुत अच्छी तरह से याद है और अंतमे डॉ लोहिया मेरे पिताजी को कहते हैं कि क्या तुम मेरी बात रखने के लिए कुछ समय गैर कांग्रेसी मुद्दे को मानने की मेरी विनती नहीं मान सकते?
आज बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे या कार्यक्रम की शुरुआत इतिहास के क्रम में डाॅ राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसी बहस सत्तर के दशक की शुरुआत में डाॅ राम मनोहर लोहिया के कारण और बाद में 1974 के जेपी आंदोलन की ही देन है कि 1950 को पैदा हुई जनसंघ 1980 मे नया नाम भारतीय जनता पार्टी इकतालीस साल पहले स्थापित दलने भारत की संसदीय राजनीति का धर्मनिरपेक्ष चरित्र को तार तार करने के कारण आज भारत अघोषित हिंदू राष्ट्र के तौर पर बेखटके चला जा रहा है और आज शताब्दी के शुरू के दिन मधु लिमये की बरबस याद आ रही है ! क्योंकि वह जनता पार्टी नाम की कई-कई परस्पर विरोधी विचारधारा के (मुख्यतः)संघ परिवार की राजनीतिक इकाई जनसंघ के दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी की टूटन के असली नायक मधु लिमये ने एतिहासिक भूमिका निभाई है ! इसलिए आनेवाले पुरे साल भर में उनके तारीफों के कशिदे पढने की जगह संघ परिवार के फासिस्ट चेहरे को बेनकाब करना सही श्रद्धांजलि होगी !