अन्याय ,शोषण का प्रतिरोध और सारी दुनिया में अमन ,खुशहाली के आव्हान के साथ उस बेहतर सुबह की उम्मीद के लिए हमेशा याद रहेंगे साहिर लुधियानवी ।
अविस्मरणीय हैं साहिर लुधियानवी की यह पंक्तियां ।

वह सुबह कभी तो आयेगी ,
बीतेंगे कभी तो दिन आखिर ,
यह भूख और बेकारी के ,
टूटेंगे कभी तो बुत आखिर ,
दौलत की इजारेदारी के ,
जब एक अनोखी दुनिया की ,
बुनियाद उठाई जाएगी ,
वह सुबह कभी तो आयेगी ।

साहिर लुधियानवी के प्रेरक अवदान को लाल सलाम ।

शैलेन्द्र शैली

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