मुंबई: पूर्व रक्षा मंत्री और वरिष्ठ समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उनका निधन हुआ। जॉर्ज फर्नांडिस लंबे समय से बीमार चल रहे थे, वो अल्जाइमर नाम की बीमारी से परेशान थे।आखिरी बार वो अगस्त 2009 से जुलाई 2010 के बीच तक राज्यसभा सांसद रहे थे। फर्नांडीस अपने समय की सियासत के कद्दावर नेता तो थे ही साथ कई मजदूर संगठनों का नेतृत्व भी किया था।
रक्षामंत्री रहते रक्षा क्षेत्र में उठाए बड़े कदम, एमरजेंसी में गए जेल
पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को भारतीय राजनीति में लोग उन्हें कई ख़ास वजहों से याद रखेंगे फिर चाहे वह रक्षा क्षेत्र में उठाए गए बड़े फैसले हो या फिर इमरजेंसी के दौरान अपनी आवाज उठाने का मुद्दा रहा हो, इसी कारण आपातकाल दौरान वो जेल में भी रहे, 1974 में हुई रेलवे हड़ताल को देश की अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल के रूप में देखा जाता है। उस दौरान वह ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के प्रमुख थे, जॉर्ज की अगुवाई में हुई उस हड़ताल ने केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी थी।
जॉर्ज फर्नांडिस के कुछ दलचस्प किस्से
- 10 भाषाओं के जानकार थे जार्ज फर्नांडिस
- जार्ज फिफ्थ के नाम पर पड़ा था उनका नाम
- BJP के संकट मोचक थे जार्ज फर्नांडिस
- आपातकाल के दौरान भेष बदलकर घूमते थे जार्ज
जॉर्ज फर्नांडिस के कुछ दलचस्प किस्से भी हैं 3 जून, 1930 को जन्मे जॉर्ज हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन जैसी 10 भाषाओं के जानकार थे। फर्नांडिस मां किंग जॉर्ज फिफ्थ यानि जॉर्ज पंचम की बड़ी प्रशंसक थीं। कारण था की फर्नांडिस की माँ ने अपने सबसे बड़े बेटे का नाम जॉर्ज रखा था। मंगलुरु में पले-बढ़े फर्नांडिस को 16 साल की उम्र में पादरी बनने की शिक्षा लेने के लिए एक क्रिश्चियन मिशनरी में भेजा गया, लेकिन चर्च की कार्यशैली देखकर उनका उससे मोहभंग हो गया। उन्होंने 18 साल की उम्र में चर्च छोड़ कर रोजगार की तलाश में मुंबई (तब बंबई) चले गए।
आपातकाल के दौरान भेष बदलकर घूमते थे जार्ज
देश में जब आपातकाल था तब जार्ज फर्नांडिस पगड़ी बांध और दाढ़ी रख कर सिख भेष में घूमा करते थे। कहा जाता है कि जब उन्होंने गिरफ्तारी दी थी तब वह जेल में गीता के श्लोक सुनाते थे।अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनी तो जॉर्ज फर्नांडिस को रक्षा मंत्री का पद दिया गया। जॉर्ज ने NDA के संयोजक के रूप में भी अहम भूमिका निभाई, बताया जाता है कि उस दौरान अगर NDA में कोई रुठता तो उन्हें मनाने का काम जॉर्ज फर्नांडिस के जिम्मे ही रहता था।जार्ज फर्नांडिस को बीजेपी का संकटमोचक भी कहा जाता था नौ बार लोकसभा के सांसद रहे।फर्नांडिस कई सरकारी समितियों के सदस्य भी रहे हैं लेकिन अपनी बीमारी वजह से जॉर्ज धीरे धीरे सक्रिय राजनीति से ओझल हो गए थे। आरोप तो ये भी लगाया जाता है की जिन नेताओं को खुद जॉर्ज ने खड़ा किया था उन्होंने भी उनसे दूरी बना ली थी भारतीय राजनीति का ये भी एक अध्याय है जिसके बारे में ज़्यादा बात नहीं की जाती है.
जॉर्ज के जाने के बाद प्रधानमंत्री सहित राहुल गाँधी ने भी दुःख जताया है। जॉर्ज का जाना भारतीय राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति है। जिसे शायद दुबारा नहीं भरा जा सकता।
During his long years in public life, George Sahab never deviated from his political ideology. He resisted the Emergency tooth and nail. His simplicity and humility were noteworthy. My thoughts are with his family, friends and lakhs of people grieving. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 29, 2019
I’m sorry to hear about the passing of former Parliamentarian & Union Minister, George Fernandes Ji.
My condolences to his family and friends in this time of grief.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2019
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