उर्जित पटेल द्वारा सोमवार को अचानक गवर्नर पद से इस्तीफा देने के बाद, मंगलवार को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने आर्थिक मामलों के विभाग के पूर्व सचिव शक्तिकांत दास को रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर तीन साल के लिए नियुक्ति को मंजूरी दे दी. वे रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर होंगे. 1980 बैच के तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी दास वित्त आयोग के भी सदस्य रह चुके हैं. उनके पास केन्द्र की सरकार में तीन अलग अलग वित्त मंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव है. शक्तिकांत दास दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नात्कोत्तर हैं.
इन्हेंय पहली बार 2008 में वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव के तौर नियुक्ति मिली थी. उस समय पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे. उसके बाद जब प्रणब मुखर्जी ने यह मंत्रालय संभाला तब भी दास यहां डटे रहे. पहले संयुक्त सचिव के रूप में और फिर अतिरिक्त सचिव के तौर पर लगातार पांच साल वे बजट बनाने वाली टीम का हिस्सा रहे. उसके बाद दिसंबर 2013 में उन्हेंर रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सचिव बनाया गया. फिर मई 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें वापस वित्त मंत्रालय भेजा गया, जहां वे राजस्व सचिव बने.
आर्थिक मामलों से संबंधित मोदी सरकार के कई महत्वा कांक्षी कदमों में वे महती भूमिका निभा चुके हैं. मोदी सरकार द्वारा कालेधन के खिलाफ किए गए फैसलों में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रही है. माल एवं सेवाकर को लागू करने को लेकर आम सहमति बनाने के लिए शक्तिकांत दास ने अच्छाण काम किया था. सितंबर 2015 में उन्हेंर आर्थिक मामलों के विभाग में स्थानांतरित किया गया. यहां रहते हुए उन्होंने नोटबंदी के दौरान खासी भूमिका निभाई. नोटबंदी के कमजोर पक्षों पर वे सरकार का बचाव करते भी दिखे. 500 और 2,000 का नोट जारी करने से लेकर उसकी आपूर्ति तक के काम भी उनकी महती भूमिका रही.
अभी रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच कई मुद्दों को लेकर खींचतान बनी हुई है, रिजर्व बैंक में कोष अधिशेष के उपयुक्त आकार और सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों सहित विभन्न क्षेत्रों में कर्ज देने के नियमों को उदार बनाने जैसे कई मुद्दों पर वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आमने सामने हैं. ऐसे में शांत स्वभाव के सुलझे हुए शक्तिकांत दास सरकार की इस चिंता को कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं. माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक में गवर्नर की भूमिका में वह आम सहमति से काम आगे बढ़ा सकते हैं.
हालांकि शक्तिकांत दास की नियुक्ति पर सवाल भी उठने लगे हैं. भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने आरोप लगाया था कि शशिकांत दास ने तमिलनाडु में उद्योग सचिव रहते हुए महाबलिपुरम की एक जमीन हड़पने के मामले में चिंदबरम की मदद की है. इस आरोप के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दास का पूरा बचाव किया और कहा कि यह एक अनुशासित सरकारी अधिकारी के खिलाफ अनुचित और असत्य आरोप है.