यदि आप मिस्र में हैं तो यह हो ही नहीं सकता कि दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक गिजा के पिरामिड देखने न जाएं। वहां जाते ही हम पिछले साढ़े चार हजार सालों के रहस्यमई इतिहास में खो जाते हैं। फराओ राजवंश की चोथी पीढ़ी के खुफु ने ईसा पूर्व 2580-2560 साल पहले इसे बनवाया था। यहां सुरक्षित रखी गई ममी ( शव ) दुनिया भर के पर्यटकों का केंद्र है। मिस्र में दो ही चीजें सबसे महत्वपूर्ण है, पिरामिड और नील नदी, जिसके बारे में हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है। यह भी विस्मयकारी है कि दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं – सिंधु घाटी और मिस्र – में अब वैसा संवाद नहीं रहा जैसा इतिहास में बताया जाता है। एक जमाने में जब हिंदूजा बंधुओं ने राज कपूर की फिल्म ” संगम ” काहिरा में प्रर्दशित की थी तो वह लगातार एक साल से भी ज्यादा चली। यहां के लोगों में अमिताभ बच्चन के लिए बेइंतहा मुहब्बत और दीवानगी है।
नील नदी के किनारे बसे अपने होटल नोवोटेल काइरो अल बुर्ज से केवल 70 ईजीपी ( 350 रूपये) में उबर टैक्सी वाला यहां ले तो आया पर वापसी में मैंने जनता की सवारी मेटाडोर और मेट्रो से केवल 10 ईजीपी (50 रूपये) में शाम को वापस आ गया। यहां की भाषा अरबी है और आम जनता को अंग्रेजी विलकुल ही नहीं आती।
पिरामिड के एक कर्मचारी अहमद ने मुझे एक कागज पर अरबी में मेरे होटल पहुंचने का ब्योरा लिखा जिसे दिखाते हुए मैं सकुशल होटल पहुंच गया। हां, यहां का भद्र लोक अपनी आलीशान पार्टियों में केवल अंग्रेजी बोलता है जिसमें मैंने भी खूब मस्ती की। उनका सचित्र वर्णन अगली पोस्ट में।
पिरामिड के संकरे दरवाजे से अंदर बाहर आते जाते ऐसा लगता है कि आप टाइम मशीन की कल्पना करते हुए हजारों सालों के इतिहास में चहलकदमी कर रहे हैं। पिरामिड परिसर की उर्जा अद्भुत है। पांच दस किलोमीटर भी घूमने पर थकान नहीं होती। मैंने रात को नील नदी के किनारे किनारे और पुराने शहर की गलियों में अपनी मित्र सोनिया बोगाट के साथ जो मटरगश्ती की उसके बारे में भी, अगली पोस्ट में। श्री गोपीचंद हिंदूजा जी का शुक्रिया कि उन्होंने फिल्म फेस्टिवल से लौटते हुए मेरे लिए काहिरा में सारा इंतजाम करवाया। काहिरा में भारत के राजदूत राहुल कुलश्रेष्ठ बड़ी गर्मजोशी से मिले और उन्होंने कोरोना टेस्ट करवाने में बड़ी मदद की नहीं तो मैं समय पर हवाई जहाज पकड़ ही नहीं पाता। मेरी यात्रा के बारे में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने उन्हें पहले ही सूचित कर दिया था।
Ajit Rai