‘एनआरसी: डिफेंडिंग द बॉर्डर्स, सिक्योरिंग द कल्चर’ विषय पर सोमवार को हुए सम्मेलन में  भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) की अंतिम सूची में जिनका नाम शामिल नहीं है, उनसे मताधिकार का अधिकार छीन लिया जाएगा और उन्हें उनके देश निर्वासित कर दिया जाएगा.

राम माधव ने कहा कि बांग्लादेश भी वहां से रोहिंग्या को निकालने के लिए म्यांमार से बात कर रहा है. दुनिया में कोई भी देश अवैध प्रवासियों को बर्दाश्त नहीं करता, लेकिन भारत राजनीतिक कारणों से अवैध प्रवासियों के लिए ‘धर्मशाला’ बन गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नेहरू के महान पोते को इतिहास पढ़ना चाहिए और असम में अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने में सहायता करनी चाहिए.

इस कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी मौजूद थे. सोनोवाल ने एनआरसी को पूरे देश में लागू किए जाने का सुझाव दिया. सोनोवाल ने कहा कि भारत के वास्तविक नागरिकों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेगा और एनआरसी की अंतिम सूची में उनके नाम शामिल होंगे.

बता दें कि 30 जुलाई को एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी किया गया था. इसके मुताबिक 3.39 करोड़ में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया. 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं. 31 दिसंबर को पहला ड्राफ्ट जारी किया गया था. तब 1.90 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. एक अनुमान के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं. 80 के दशक में असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ. इसमें कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा.

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