spउत्तर प्रदेश पुलिस के एंटी टेररिस्ट स्न्वैड (एटीएस) के एडिशनल एसपी राजेश साहनी की मौत हत्या है या आत्महत्या, इस रहस्य से पर्दा अब शायद ही उठे. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएसपी की संदेहास्पद मौत के मामले को सीबीआई जांच के लिए अग्रसारित कर दिया है. सीबीआई जांच आगे बढ़े तो आगे चल कर इसमें एनआईए से मदद लेने की भी स्थिति आ सकती है, जब यह जांच करना जरूरी हो जाएगा कि एएसपी की ‘हत्या’ में आईएसआई के लिए काम करने वाले सु-संगठित और ‘सु-पहुंच’ तत्वों का क्या रोल है! एटीएस के आईजी असीम अरुण से लेकर राज्य पुलिस मुख्यालय तक एएसपी की मौत को आत्महत्या का मामला साबित करने पर जुटा है, जबकि राजेश साहनी की मौत के समय की परिस्थितियां बताती हैं कि यह सीधे-सीधे आत्महत्या का मामला नहीं है.

आप यह जानते चलें कि एटीएस के एडिशनल एसपी राजेश साहनी ने 29 मई को अपने ऑफिस में ही कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. आधिकारिक तौर पर बताया गया था कि एएसपी राजेश साहनी ने अपने ड्राइवर मनोज कुमार से पिस्तौल मंगवाई और अपने कक्ष में ही खुद को गोली मार ली. राजेश साहनी छुट्‌टी पर थे. जब उन्होंने खुद को कथित तौर पर गोली मारी तो धमाके की आवाज सुन कर और उनके लहूलुहान शरीर को देख कर भी उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया.

जबकि उस समय दफ्तर में एटीएस के आईजी असीम अरुण समेत सारे अधिकारी मौजूद थे. घंटों बाद एक प्राइवेट अस्पताल से डॉक्टर बुलवा कर एएसपी साहनी को मृत घोषित करने की औपचारिकता पूरी कराई गई. स्वस्थ समझदार पुलिस अफसर राजेश साहनी ने आत्महत्या करने के पहले कोई सुसाइड नोट नहीं लिखा और एटीएस के समझदार आईजी असीम अरुण जानबूझ कर यह समझना नहीं चाह रहे कि साहनी के मन में अगर आत्महत्या करने का प्लान पहले से रहता तो वे पिस्तौल लेकर आते, ड्राइवर से बाद में नहीं मंगवाते.

इसका स्पष्ट मतलब है कि साहनी के दफ्तर आने के बाद ही (आत्महत्या या हत्या की) प्लानिंग हुई. अगर साहनी ने दफ्तर आने के बाद आत्महत्या करने का निर्णय लिया, इसका मतलब है कि दफ्तर में उनके साथ ऐसा कुछ गंभीर हुआ कि उन्होंने पिस्तौल मंगवाई और आत्महत्या कर ली. या साहनी के दफ्तर आने के बाद उनके द्वारा पिस्तौल मंगवाने का प्रहसन रचा गया और उन्हें गोली मार कर आत्महत्या का रंग दे दिया गया. इस बारे में अब सीबीआई की छानबीन के बाद ही कुछ पता चल पाएगा, लेकिन परिस्थितिजन्य स्थितियां और साक्ष्य यही बता रहे हैं. परिस्थितिजन्य स्थितियां कई सारे सवाल खड़े करती हैं, जिनका जवाब छानबीन के क्रम में बाहर आना ही चाहिए.

अपनी बिटिया का टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ में एडमिशन कराने के लिए एएसपी राजेश साहनी ने 10 दिन की छुट्‌टी ले रखी थी. उन्हें बिटिया को लेकर मुंबई जाना था. छुट्‌टी पर होने के बावजूद, राजेश साहनी को दफ्तर क्यों बुलाया गया था? एटीएस प्रमुख असीम अरुण ने अब तक इस सवाल का जवाब नहीं दिया है कि छुट्‌टी पर गए अधिकारी को उन्होंने दफ्तर क्यों बुलाया था? संदेहास्पद बात यह है कि जिस दिन राजेश साहनी की मौत हुई उस दिन आईजी असीम अरुण ने अखबार वालों के सामने कहा था कि उन्हें पता ही नहीं था कि राजेश साहनी छुट्‌टी पर थे. आईजी का यह संवाद ही उन्हें कठघरे में खड़ा करने के लिए काफी है.

जब एटीएस के प्रमुख को अपने मातहत एसपी के छुट्‌टी पर जाने की सूचना नहीं रहती, तो वे किस बात के विभाग के प्रमुख हैं? राजेश साहनी कोई दारोगा या सिपाही नहीं थे कि उनकी छुट्‌टी की सूचना आईजी को न हो. एटीएस के हाथों लगे एक आईएसआई एजेंट रमेश कन्याल से पूछताछ के लिए ऐसा क्या बाकी रह गया था कि उसके लिए राजेश साहनी को दफ्तर बुलाया गया, जिन्होंने 10 दिन की छुट्‌टी पहले से ले रखी थी? एटीएस के आईजी असीम अरुण अखबार वालों से भले ही यह कहते रहें कि आईएसआई एजेंट रमेश कन्याल को एटीएस ने पकड़ा, लेकिन सच्चाई यह है कि रमेश कन्याल को मिलिट्री इंटेलिजेंस पहले ही पकड़ चुकी थी.

मध्य कमान सेना मुख्यालय के 9, अटल रोड, लखनऊ स्थित मिलिट्री इंटेलिजेंस मुख्यालय लाकर हफ्तेभर पूछताछ करने के बाद मिलिट्री इंटेलिजेंस ने उसे यूपीएटीएस के हाथों सौंप दिया. फिर उस आईएसआई एजेंट से ऐसा क्या निकलवाना था कि राजेश साहनी को दफ्तर बुलाया गया? फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने अपने ड्राइवर से पिस्तौल मंगवा कर आत्महत्या कर ली? राजेश साहनी को गोली लगने के बाद उन्हें फौरन अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया गया? गोली लगने के कई घंटे बाद प्राइवेट अस्पताल से डॉक्टर को क्यों बुलाया गया? एटीएस के दफ्तर में ही राजेश साहनी का शव चार-पांच घंटे तक क्यों पड़ा रहा? जिस ड्राइवर ने राजेश साहनी को पिस्तौल लाकर दी, वह कहां लापता है? ड्राइवर का बयान क्यों नहीं दर्ज किया गया? राजेश साहनी के मरने के बाद उनका मोबाइल फोन लेकर आईजी असीम अरुण क्या कर रहे थे? राजेश साहनी के मोबाइल फोन से डिलीट किए गए मैसेज, फोन नम्बर्स और उसके लिंक क्यों नहीं तलाशे जा रहे? लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्ण को असीम अरुण का बयान दर्ज करने का आदेश किस सीनियर अधिकारी ने दिया? असीम अरुण का बयान दर्ज करने वाले एडीजी साहब ने उस ड्राइवर का बयान दर्ज करने की जरूरत क्यों नहीं समझी, जिसके बारे में कहा गया कि उसने ही पिस्तौल लाकर राजेश साहनी को दी थी? इन सवालों का जवाब सामने आना बेहद जरूरी है.

पुलिस ने क्यों दबा दिया इंस्पेक्टर का विरोध-पत्र?

एटीएस के एडिशनल एसपी राजेश साहनी की संदेहास्पद मौत के बाद एटीएस के इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा ने डीजीपी को अपना इस्तीफा भेज कर सबको चौंका दिया. यतींद्र शर्मा ने डीजीपी को लिखे पत्र में राजेश साहनी की संदिग्ध मौत के प्रसंग में एटीएस के आईजी असीम अरुण सहित कुछ अन्य अधिकारियों पर बेहद गंभीर आरोप लगाए. शर्मा ने लिखा कि एटीएस के आईजी और उनके नजदीकी अफसरों की कुव्यवस्था से दुखी और विवश होकर वे त्यागपत्र दे रहे हैं. शर्मा ने पत्र में लिखा कि एटीएस में राजेश साहनी जैसे कई ईमानदारी, बहादुर और उच्चचरित्र वाले अधिकारियों का कोई मूल्य नहीं है.

ऐसे अधिकारियों को काफी तनाव दिया जाता है. यहां तक कि आला अधिकारी अपने मातहत अधिकारियों को गंदी गालियां देते हैं, प्रताड़ित करते हैं और पैसे एंठते हैं. शर्मा ने लिखा कि उन्हें पूरी आशंका है कि आईजी असीम अरुण और उनके चाटुकार अफसरों ने राजेश साहनी को मानसिक तनाव दिया, उन्हें टॉर्चर किया, जिससे त्रस्त होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली. शर्मा ने इन विषम स्थितियों के कारण अपने इस्तीफे की पेशकश की और डीजीपी को लिखे पत्र को उन्होंने फेसुबक पर भी पोस्ट कर दिया था. शर्मा ने अपना संदेश ट्विटर पर भी डाला था.

अब पुलिस मुख्यालय का खेल देखिए. यतींद्र शर्मा को पुलिस मुख्यालय बुला कर एक एडीजी से मिलवाया गया और उसके बाद अचानक फेसबुक से यतींद्र शर्मा का पोस्ट हट गया. यतींद्र ने बिल्कुल चुप्पी साध ली. अखबारवालों से कन्नी काटने लगे और चर्चा है कि शर्मा को मनचाही पोस्टिंग भी दे दी गई. पुलिस मुख्यालय ने इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा के मान-मनौव्वल का इतना जतन क्यों किया? इंस्पेक्टर के विरोध-पत्र को जांच का आधार बनाने के बजाय उसे दबाने में पुलिस मुख्यालय ने रुचि क्यों दिखाई? एडिशनल एसपी राजेश साहनी की हत्या या आत्महत्या के पीछे ऐसे कौन लोग शामिल हैं, जिन्हें बचाने के लिए पूरा पुलिस महकमा कसरत करने में लगा है? सीबीआई को इन सवालों की भी छानबीन करनी होगी.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here