आतंकियों को मुहतोड़ जवाब देने के लिए रेलवे ने देश के कई महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम यानी की आईएसएस लगाने की शुरुआत कर दी है. बताया जा रहा है कि आईएसएस की मदद से संदिग्ध आतंकवादियों और रेलवे परिसरों व ट्रेन कोचों में लावारिस समानों की पहचान की जाएगी.
आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा, “आरपीएफ और रेलवे प्रोटेक्शन सिक्योरिटी फोर्स की तैनाती के अलावा, हमने एक कमांडो बटालियन लांच की है.” कुमार ने कहा कि जहां तक रेलवे सुरक्षा का सवाल है, आरपीएफ बड़े पैमाने पर तकनीक को अपना रही है.आईएसएस के तहत, हमने कई जगहों पर, ट्रेन कोचों, रेलवे स्टेशनें में सीसीटीवी कैमरा लगाए हैं और हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर सीसीटीवी से मिले फीड का विश्लेषण करने वाले हैं. यह हमें रेलवे परिसरों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण फीडबैक मुहैया कराएगा.
आरपीएफ के महानिदेशक ने बताया कि “हमने पायलट प्रोजेक्ट के तहत बेंगलुरू में फेस डिटेक्शन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया है और अब इसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और अन्य स्टेशनों पर लगाया गया है. फेस डिटेक्शन प्रणाली में हमारे पास सीसीटीवी कैमरा से फीडबैक प्राप्त करने का विकल्प भी होगा. हम सॉफ्टवेयर में ज्ञात अपराधियों, आतंकवादियों के स्कैच और फोटो फीड कर देंगे और जैसे ही वह वांछित व्यक्ति कैमरे के सामने आएगा, यह कंट्रोल रूम में सिस्टम को अलर्ट कर देगा.”
मिली जानकारी के मुताबिक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन सहित 202 से ज्यादा स्टेशनों में यह प्रणाली लगाई गई है. साथ ही रेलवे ने सुरक्षा की दृष्टी से बदमाशों और रेल नेटवर्क में आतंकवादी गतिविधि पर नजर रखने के लिए सभी बड़े स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना बनाई है.
आकड़ों के मुताबिक देश में 12 लाख यात्री रोजाना ट्रेन से यात्रा करते हैं. आरपीएफ के महानिदेशक के मुताबिक फेस डिटेक्शन प्रणाली के अलावा आरपीएफ पूरी सुरक्षा प्रणाली के बेहतर विश्लेषण के लिए अन्य सॉफ्टवेयरों पर भी काम कर रही है. साथ ही आरपीएफ गश्ती टीम के लिए बॉडी-वोर्न कैमरा भी लेकर आई है, ताकि स्टेशन परिसरों पर अवांछित दुर्घटनाओं से बचा जा सके.