उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से जिस समय खबर आ रही थी कि रेलवे के अकुशल कर्मियों की लापरवाही के कारण कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई, उसी समय रेलवे अप्रेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त सैकड़ों युवा दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलनरत थे. लगभग 500 की संख्या में जंतर-मंतर पर एकत्रित हुए ये युवा अपने हक की नौकरी के लिए सरकार के सामने आवाज उठा रहे थे. रेलवे से अप्रेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त इन युवाओं को भारत के श्रम मंत्रालय और नेशनल काउंसिल ऑन वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) से भी सर्टिफिकेट मिला है. इसके आधार पर रेलवे में इनकी नौकरी सुनिश्चित थी, लेकिन सरकार ने अचानक नियम बदल दिया और इन युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया.
दरअसल, पहले ये नियम था कि रेलवे में अप्रेंटिस ट्रेनिंग करने के इच्छुक युवा आईटीआई के बाद विभिन्न रेलवे कारखानों में ट्रेनिंग लेते थे.
ट्रेनिंग पूरा होने के बाद परीक्षा लेकर इन युवाओं को रेलवे में नौकरी दी जाती थी. नौकरी से पहले ये युवा शरीरिक जांच पड़ताल और सभी कागजी प्रक्रियाओं से भी गुजरते थे. पूराने नियमों (RBE 136/2004, 137/2010, 171/2010) के आधार पर महाप्रबंधक के द्वारा रेलवे में इनकी नियुक्ति होती थी. लेकिन जून 2016 में सरकार ने एक नया आदेश (RBE 71/2016) जारी किया. इसी से जुड़ा एक और आदेश (RBE 34/2017) इस साल अप्रैल में जारी किया गया. इन नियमों ने 25,000 युवाओं को सड़क पर ला दिया. इन नियमों के अनुसार, अप्रेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं की रेलवे में सीधी भर्ती को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया. अब रेलवे की नौकरी के लिए उन्हें भी रेलवे रिक्रूटमेंट सेल (आरआरसी) के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षा पास करनी होगी. हालांकि सरकार ने बदले हुए नियमों में एक सेफ्टी स्टैंड लेते हुए ये प्रावधान रखा कि जो युवा अप्रेंटिस ट्रेनिंग कर चुके हैं, उनके लिए 20 प्रतिशत का कोटा निर्धारित होगा. लेकिन इसमें एक बड़ा लूपहोल ये है कि ये कोटा सभी तरह के अप्रेंटिस ट्रेंड अभ्यर्थियों के लिए है. यानि जो कोई भी अप्रेंटिस ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के साथ अप्लाई करेगा उसे इस कोटे का लाभ मिल जाएगा. ये सबसे बड़ी नाइंसाफी थी रेलवे से अप्रेंटिस ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं के साथ.
अपने साथ हुई इस नाइंसाफी से अप्रेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं में भारी रोष व्याप्त है. उन्होंने रेलवे अधिकारियों से लेकर रेल मंत्री और प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई. लेकिन जब कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिली, तो इन्होंने जंतर-मंतर पर आंदोलन करने का निर्णय लिया. 10 अगस्त को लगभग 500 युवा ऑल इंडिया रेलवे एक्ट अप्रेंटिस एसोसिएशन के बैनर तले जंतर-मंतर पर आ डंटे. ये शंतिपूर्वक अपना आंदोलन कर रहे थे, लेकिन तभी 14 अगस्त की शाम को पुलिस ने जबर्दस्ती इन्हें धरना स्थल से उठा लिया. इनके आंदोलन स्थल पर भी तोड़-फोड़ किया गया.
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18 घंटे तक इन्हें दिल्ली के विभिन्न थानों में बंद रखा गया. फिर पुलिस द्वारा छोड़े जाने के बाद ये फिर जंतर-मंतर पर आ डटे. ऑल इंडिया रेलवे एक्ट अप्रेंटिस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राकेश कुमार ने चौथी दुनिया से बातचीत में कहा, ‘सरकार आज युवाओं को स्कील्ड बनाने के लिए योजनाएं चला रही है, लेकिन हम डबल स्कील्ड युवा नौकरी पाने के लिए आंदोलन करने को मजबूर हैं. अब तक यही होता था कि ट्रेनिंग के दौरान कई तरह की परीक्षाएं पास करने के बाद एनसीपीटी के द्वारा मिले सर्टिफिकेट के आधार पर हमें महाप्रबंधक के माध्यम से नौकरी मिल जाती थी. लेकिन इस सरकार ने हम स्कील्ड युवाओं को बेराजगार रखने का फैसला कर लिया है.’ स्कील्ड युवाओं के रहते हुए अनस्कील्ड युवाओं की रेलवे में भर्ती पर भी राकेश कुमार ने सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि ‘अप्रेंटिस ट्रेनिंग पर सरकार एवं रेलवे के लाखों रुपए खर्च होते हैं. रेलवे में हमारी नियुक्ति मात्र 5 रुपए की रसीदी टिकट के द्वारा की जा सकती है. लेकिन ओपन वेकेंसी के द्वारा की जाने वाली भर्ती में रेलवे को अलग से पैसे खर्च करने पड़ते हैं और वे स्किल्ड भी नहीं होते. बाद में उनकी ट्रेनिंग पर भी खर्च होता है.’ उन्होंने सरकार की नई नीति को लेकर ये भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि ‘अगर हमें लिखित प्रतियोगी परीक्षा के साथ-साथ फिजिकल और मेडिकल टेस्ट भी पास करना पड़े, तो फिर हमारी रेलवे अप्रेंटिस ट्रेनिंग का क्या मतलब? हमने जो अपना पैसा, रेलवे का पैसा और वक्त लगाया, वो क्या बर्बाद चला गया.’ इन युवाओं के आंदोलन को रेलवे के फेडरेशन और यूनियन का भी साथ मिला. उन्होंने कहा कि वे सरकार तक इन युवाओं की मांग पहुंचाएंगे. यूनियन नेताओं के इस आश्वासन से इन्होंने 23 अगस्त को अपना आंदोलन खत्म कर दिया. लेकिन कहा कि अगर इन्हें अब भी इंसाफ नहीं मिलता, तो ये आमरण अनसन करेंगे.
ट्यूशन पढ़ा कर गुजारा कर रहे अप्रेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त युवा
उन 25,000 स्कील्ड युवाओं ने अपनी नौकरी को लेकर निजी जिंदगी में बहुत से सपने पाल रखे थे, जिन्हें सरकार के नए नियमों ने बेराजगार कर दिया. वर्तमान समय में नौकरी को लेकर हो रही परेशानी से ये युवा अवगत थे और शायद इसीलिए इन्होंने अप्रेंटिस ट्रेनिंग का रास्ता चुना था. लेकिन सरकार ने इन ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं को भी कम्पीटिशन की लड़ाई में लाकर खड़ा कर दिया. कई युवाओ के लिए ये एक सदमे जैसा थे, जिसे वे बर्दास्त नहीं कर सके और आत्महत्या कर ली. अब तक लगभग 40 अप्रेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त युवा आत्महत्या कर चुके हैं. हाल ही में चेन्नई के रहने वाले हेमंत कुमार ने आत्महत्या कर ली थी. वे ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिल पाने को लेकर पिछले कई महीनों से तनाव में थे. आंदोलनरत युवाओं में शामिल मनोज कुमार ने चौथी दुनिया से बातचीत में बताया कि ‘ट्रेनिंग के दौरान ही मेरी शादी हुई थी. उस समय मैं अपनी नौकरी को लेकर आश्वस्त था. लेकिन सरकार के नए नियमों ने मेरे सपनों पर पानी फेर दिया. सरकार कौशल विकास का ढोल पीट रही है, हम रेलवे में काम करने के लिए पूरी तरह से कुशल हैं, लेकिन हमें नौकरी नहीं दी जा रही. अभी पत्नी और बेटी के साथ माता-पिता की भी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है. मैंने रेलवे की जो ट्रेनिंग ली है, उसके आधार पर कहीं और नौकरी भी नहीं मिल रही. हालत ये है कि मैं साइंस और मैथ का ट्यूशन पढ़ा कर घर चला रहा हूं.’