दलित मुद्दों को लेकर राहुल गांधी का उपवास विवादों में घिर गया है. बापू की समाधि स्थल होने वाले इस उपवास के शुरू होने से पहले ही खबर आई कि उपवास में भाग लेने राजघाट पहुंचे जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को मंच से लौटा दिया गया है. गौरतलब है कि ये दोनों नेता सिख दंगों के आरोपी हैं. मंच से हटाए जाने के मीडिया के सवालों पर टाइटलर ने कहा कि जितनी देर मंच पर बैठना थ, वे बैठ गए. कहा जा रहा है कि मंच पर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने सज्जन कुमार और टाइटलर से बातचीत की और उसके बाद ये दोनों नेता मंच से नीचे उतर गए.
दरअसल, एससी/एसटी एक्ट में बदलाव और उसके बाद 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा को लेकर दलित संगठनों में जो आक्रोश है, कांग्रेस उसे भुनाना चाहती है. कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि देश में दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा रोकने और शांति कायम करने की मांग पर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास रखा जाएगा. दलितों पर अत्याचार के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ता देशभर में एक दिन के अनशन पर बैठे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी राजघाट पर उपवास कर रहे हैं.
इस उपवास के बाद कांग्रेस 23 अप्रैल को दलित सम्मेलन का भी आयोजन कर रही है. लोकसभा चुनाव से पहले दलितों को एकजुट करने के मकसद से होने वाला यह आयोजन 23 अप्रैल को तालकटोरा स्टेडियम में पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग की तरफ से किया जाने वाला है. इस सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी 10 हजार से ज्यादा दलित नेताओं को संबोधित करेंगे.
इधर भाजपा ने कांग्रेस के इस उपवास को दलितों के उपहास से जोड़ दिया है. भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा है कि यह दलित हितों के लिए उपवास नहीं है, यह दलित हितों का उपहास है. राहुल गांधी एक बार फिर कैमरे के लिए राजनीति कर रहे हैं. राहुल, आप स्टंट की राजनीति और झूठ की राजनीति को कब रोकेंगे? गौर करने वाली बात यह भी है कि आगामी 12 अप्रैल को भाजपा की तरफ से भी उपवास का आयोजन किया जाना है. भाजपा और एनडीए के सांसद 12 अप्रैल को अपने संसदीय क्षेत्रों में उपवास रखेंगे. हाल में संसद सत्र के आखिरी दिन संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि कांग्रेस दलित हिंसा को सपोर्ट कर देश को बांट रही है. एनडीए सांसद उपवास कर कांग्रेस की नीतियों से जनता को अवगत कराएंगे.