झारखंड की राजनीति नित नई करवट ले रही है. जमीनी हकीकत रघुवर सरकार के वादों और उपलब्धियों के दावों को कठघरे में खड़ा कर रही है. सरकार के 1000 दिन की सफलता के शोर पर अब विपक्ष के सवाल हावी होने लगे हैं. विपक्ष की ऐसी ही एक आवाज हैं, झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी. झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति की हर नब्ज से वाकिफ हैं. वे हर विषय पर अपनी मुखर राय रखते हैं. प्रदेश के हाल के हलचल पर उनसे बातचीत की है, राघवेंद्र ने. पेश हैं, बातचीत के प्रमुख अंश…
प्रश्न: राज्य की वर्तमान सरकार के कामकाज को आप किस तरह से देखते हैं?
उत्तर: रघुवर सरकार सिर्फ चंद व्यापारिक घरानों के लिए काम कर रही है और किसानों को बेघर करने पर तुली है. यह सरकार आदिवासियों को उजाड़ना चाहती है. जो आदिवासी या किसान अपनी जमीन छीनने का विरोध करते हैं, उनपर ये गोलियां चलवा रहे हैं. चुनिंदे अपराधियों को संरक्षण दे रही है रघुवर सरकार. आदिवासी विरोधी इस सरकार ने पूरे राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर दिया है. जनता इस सरकार से बहुत दुखी है.
प्रश्न: सीएनटी और एसपीटी के मसले पर मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अर्जुन मुंडा और हेमंत सोरेन के समय ही इसकी रूपरेखा तय हो गई थी, आपका क्या कहना है?
उत्तर: सभी मिलकर चल रहे हैं. रघुवर दास जब ऐसी बातें कर रहे हैं, तो अर्जुन मुंडा को भी दूध का दूध और पानी का पानी करने की आवश्यकता है. हेमंत सोरेन के समय में टीएसी की मीटिंग में यह मामला आया था, उनको उसी वक्त इसे रिजेक्ट कर देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने नहीं किया. हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री को कह रहे हैं कि श्वेत पत्र जारी करें, लेकिन दोनों मिले हुए हैं. ऐसे में श्वेत पत्र सीएम क्यों जारी करेंगे. मुख्यमंत्री जबरन एक्ट में बदलाव करने पर तुले थे. लेकिन जब जनता ने पूरी ताकत से विरोध किया. हमलोगों ने और पूरे विपक्ष ने अपना आंदोलन तेज किया, तब जाकर रघुवर सरकार झुकी. दरअसल, यह सरकार न लोकतान्त्रिक तरीके में विश्वास करती है और ना ही जन भावनाओं को समझना चाहती है. इनकी पार्टी के ही वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा ने भी सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन किए जाने का विरोध किया, तब भी ये नहीं सुन रहे थे. रघुवर दास लाठी और गोली की ताकत पर राज करना चाहते हैं.
प्रश्न : आपको नहीं लगता है कि कार्डिनल सीएनटी और एसपीटी एक्ट पर सियासत कर रहे थे!
उत्तर: बिल्कुल नहीं, कार्डिनल भी हमारे ही बीच से हैं. एक जागरूक आदमी को जो करना चाहिए, वही वे कर रहे हैं. कार्डिनल ने अपने दायित्व को निभाते हुए राज्यपाल से इस मसले पर सोच विचार कर निर्णय लेने का आग्रह किया था. भाजपा ने कार्डिनल को लेकर जिस तरह से हाय तौबा मचाया, उससे ही अंदाजा लगा था कि सरकार पूरी तरह से राजनीति कर रही है.
प्रश्न: झारखंड विकास मोर्चा में लोग आते हैं और छोड़ कर चले जाते हैं, ऐसा क्यों होता है?
उत्तर: धारा के विपरीत चलना बहुतों के बूते की बात नहीं है. यह देखकर कि राह कठिन है, लोग साथ छोड़ देते हैं. इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. जाने वालों को मैं बड़ी आसानी से बाय-बाय करता हूं.
प्रश्न: आपकी पार्टी छोड़ कर जाने वाले लोग प्रदीप यादव को पार्टी छोड़ने का कारण बताते हैं, ऐसा क्यों?
प्रश्न: हमारी पार्टी छोड़कर नेता जाते और चुपचाप बैठ जाते, तो उनकी बातों पर मुझे भी भरोसा होता. लेकिन जो लोग गए वे सत्ता की गोद में जाकर बैठ गए. उनकी दलील वहीं पर समाप्त हो जाती है. मुझे जब लगा कि भाजपा जनता के लिए बेहतर काम नहीं कर रही है, तो मैंने भी पार्टी छोड़ी. उसके बाद से आज तक कई पार्टियां मुझसे संपर्क बनाना चाहती हैं, लेकिन मैं किसी के पास नहीं गया. मेरे सामने कभी इस तरीके की बातें कोई नहीं करता है. अगर करता तो उन्हें पार्टी छोड़कर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. जहां तक प्रदीप यादव की बात है, वे संघर्ष करने वाले नेता हैं. अभी पूरे राज्य ने देखा कि अडानी का विरोध करने पर कैसे प्रदीप यादव को गलत तरीके से जेल भेजा गया. ऐसे में कोई उनका विरोध कैसे कर सकता है.
प्रश्न: झारखंड विकास मोर्चा छोड़कर गए छह विधायक भाजपा में हैं, उन पर कोई फैसला अब तक नहीं आया है, क्यों?
उत्तर: राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और विधानसभा अध्यक्ष भी उन्हीं के हैं. उनको पता है कि संविधान क्या कहता है. वे जानते हैं कि अगर हमारे विरोध में फैसला देंगे, तो हम अदालत जाएंगे और उनकी दुर्गति होगी. इसलिए वे जान बूझकर फैसला टाल रहे हैं. अध्यक्ष को तो चाहिए कि चुनाव आयोग से लिखित रूप में जानकारी लें कि क्या झारखंड विकास मोर्चा ने बीजेपी में विलय किया है या नहीं. तकनीकी रूप से मामले को लटकाए रखने की कोशिश की जा रही है. यह लोकतंत्र का अपहरण करने जैसा है.
प्रश्न: आखिर अडानी को लेकर इतना विरोध क्यों है?
उत्तर: क्या अडानी चला जाएगा तो झारखंड नहीं रहेगा, जब अडानी नहीं था, तो क्या झारखंड नहीं था. यह सरकार अपने आकाओं को खुश करने के लिए जबरन किसानों की जमीन छीन कर अडानी को दे रही है. जब जन प्रतिनिधि इसका विरोध करते हैं, तो रघुवर सरकार चुने हुए जन प्रतिनिधि की आवाज़ बंद करने के लिए उन्हें जेल में डाल देती है. अडानी के पावर प्लांट से एक वाट बिजली भी झारखंड को नहीं मिलने वाली. इस प्लांट से उत्पादित बिजली बाहर भेजी जाएगी.
प्रश्न: रघुवर दास के मंत्री और विधायक उनसे नाराज हैं. आपको क्या लगता है?
उत्तर: नाराज कोई भी नहीं है. स्वार्थ और पैसे की पॉलिटिक्स में टकराव होती है, वही हो रहा है. यदि कोई नाराज होता, तो वह विरोध में खड़ा होता, बगावत करता. यह सरकार भ्रष्टाचार का संस्थाकरण कर रही है. सभी अपने-अपने स्तर पर ज्यादा से ज्यादा पाने की कोशिश कर रहे हैं. जब किसी को कुछ नहीं प्राप्त होता है, तो वो नाराज़ होने का दिखावा करने लगते हैं. जनता जनार्दन बड़ी समझदार है. वह सब देख रही है और समय आने पर जनता सबका हिसाब करेगी.
प्रश्न: पलामू की एक छात्रा इशिता सिंह की मौत के बाद जब उसके परिजन मुख्यमंत्री से गुहार लगाने गए, तो मुख्यमंत्री ने उन्हें ही अपमानित कर दिया. आप मुख्यमंत्री होते तो क्या करते?
उत्तर: यह घटना बहुत दुखद है. इससे ज्यादा बदतमीजी और कुछ नहीं हो सकती है. मैं अगर मुख्यमंत्री रहता, तो तुरंत पूरे मामले की जांच कराता. शासन का यह शिष्टाचार भी है कि आपको विक्टिम के साथ खड़ा रहना है और उसे न्याय मिले, इस हेतु प्रयास करना है. कोई मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से किसी विक्टिम को डांटे और उसे अधिकारियों के सामने अपमानित करे, इससे ज्यादा खराब कुछ हो ही नहीं सकता. अधिकारियों ने यह समझा होगा कि मुख्यमंत्री कोई कार्रवाई नहीं करने का संकेत दे रहे हैं. विक्टिम को लगा होगा कि मुख्यमंत्री आरोपी को बचाना चाहते हैं. हुआ भी वही, इतने गंभीर मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
प्रश्न: 2019 के विधानसभा चुनाव के लिए क्या आप तैयार हैं?
उत्तर: हम हमेशा चुनाव के लिए तैयार हैं. फैसला जनता को करना है, क्योंकि मेरी पार्टी जनता के लिए राजनीति करती है. हम हमेशा जनता के साथ खड़े रहते हैं. किसी के साथ अन्याय होता है, तो हम उनके साथ होते हैं. आज आदिवासी किसान मजदूर सब के साथ हम खड़े हैं. राज्य सरकार के हर गलत फैसले के खिलाफ हमारी पार्टी जनता के बीच जा रही है. झाविमो हर जन आंदोलन की अगुआई कर रहा है.
प्रश्न: आगे आपकी पार्टी की रणनीति क्या है?
उत्तर: झारखंड विकास मोर्चा किसानों और युवाओं पर फोकस कर रही है. हम अलग अलग क्षेत्र में चल रहे जन आंदोलनों से जुड़ रहे हैं. हम लोगों को बता रहे हैं कि स्कूलों में बिल्डिंग है पर मास्टर नहीं, ऐसे ही अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जब मास्टर नहीं हैं, तो पढ़ाई कैसे होगी? ये विकास का कौन सा मॉडल है? यह सरकार झारखंड के छात्रों और युवाओं का भविष्य खराब करना चाहती है. जमीन है नहीं, केवल बड़े उद्योगपतियों के साथ एमओयू कर उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा है. हम देशज विकास की बात कर रहे हैं, ताकि विकास भी हो और गांव के लोगों को उजड़ना भी नहीं पड़े.