राफेल डील को लेकर लंबे वक्त से चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। फ्रांस ने भारत के साथ करीब 59,000 करोड़ रुपये के राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार की अब न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया है। इसके लिए एक फ्रांसीसी जज की भी नियुक्ति की गई है। यह जानकारी एक फ्रांसीसी ऑनलाइन जर्नल मीडियापार्ट की एक रिपोर्ट में दी गई है।
मीडियापार्ट ने कहा है कि 2016 में हुई इस इंटर गवर्नमेंट डील की अत्यधिक संवेदनशील जांच औपचारिक रूप से 14 जून को शुरू की गई थी। जिसमें कहा गया कि शुक्रवार को फ्रांसीसी लोक अभियोजन सेवाओं की वित्तीय अपराध शाखा ने इस बात की पुष्टि की।
मेडियापार्ट ने दावा किया कि फ्रांस की सार्वजनिक अभियोजन सेवाओं की वित्तीय अपराध शाखा के पूर्व प्रमुख, इलियाने हाउलेट ने सहयोगियों की आपत्ति के बावजूद राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के सबूतों की जांच को रोक दिया था। रिपोर्ट में कहा गया कि हाउलेट ने फ्रांस के हितों, संस्थानों के कामकाज को संरक्षित करने के नाम पर जांच को रोकने के अपने फैसले को सही ठहराया था।
इसके अलावा मेडियापार्ट की नई रिपोर्ट में कहा गया कि अब पीएनएफ के नए प्रमुख जीन-फ्रेंकोइस बोहर्ट ने जांच के समर्थन का फैसला किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि आपराधिक जांच तीन लोगों के आसपास के सवालों की जांच करेगा। इसमें पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद (सौदे पर हस्ताक्षर किया था), वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (तत्कालीन वित्त मंत्री) और विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन, जो उस समय रक्षा विभाग संभाल रहे थे।
बता दें कि भारत सरकार ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की डील की थी। जिसमें से करीब 12 विमान भारत को मिल गए हैं और बाकी 2022 तब प्राप्त हो जाएंगे। इस डील के दौरान भारत में काफी विवाद मचा था। लोकसभा चुनाव के वक्त राफेल लड़ाकू विमान की डील में भ्रष्टाचार के मामाले पर कांग्रेस सरकार ने मोदी सरकार के खिलाफ काफी आरोप लगाए थे।