किसी जन विरोधी सरकार से उसकी नीतियों ,चरित्र और प्रवृत्तियों को लेकर सवाल करना भी एक प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है ।सरकार भले ही जनता के सवालों के उपेक्षा करे ,और सिर्फ अपने मन की बात ही सुनाए ,लेकिन जनता को भी धैर्य के साथ सवाल करना जारी रखना चाहिए ।सवालों के कठघरे में किसी जन विरोधी सरकार को खड़ा करना भी देश भक्ति है ।
यह चिंताजनक है कि भक्त मंडली का पूंजीवादी ,गोदी मीडिया भी जनता के सवालों की उपेक्षा कर रहा है ।लेकिन यह कोई नई बात नहीं है।पूंजीवादी संस्थानों से संचालित मीडिया अपने धंधे के लिए कभी भी प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वहन नहीं करता ।हमें भारत के स्वाधीनता आन्दोलन का इतिहास याद करना चाहिए ,जबकि तथाकथित बड़े अखबार अंग्रेज सरकार के सुर में सुर मिला रहे थे । उस समय भी क्रांतिकारियों और स्वाधीनता सेनानियों को गद्दार और आतंकवादी कहकर उनकी छवि खराब करने की साजिशें होती थीं । उस समय भी अंग्रेज सरकार द्वारा जनता को भ्रमित करने की साजिशों में पूंजीवादी मीडिया शामिल था ।
बहरहाल ,भारत के संवैधानिक मूल्यों ,मानव अधिकारों ,सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सरकार से सवाल करने की लड़ाई लड़ना ही चाहिए ।