नईदिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले के बाद केंद्र सराकर ने बड़ा फैसला लिया है. गृह मंत्रालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सभी सुविधाएं वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है. इन अलगाववादी नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शाबिर शाह शामिल हैं.सरकार के फैसले के मुताबिक इन अलगाववादी नेताओं को किसी भी हाल में अब सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी. साथ ही इन्हें मिल रही सरकारी सुविधाओं पर भी रोक लग जाएगी. सरकार के आदेश के बाद इन्हें राज्य सरकार की ओर से मिली गाड़ियां भी वापस ले ली जाएंगी.
सूत्रों के मुताबिक सरकार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हर साल तक़रीबन 10 करोड़ रुपए खर्च करती है. फरवरी 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सालाना 10.88 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे.
पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 जवानों की शहादत के बाद इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग की जा रही थी.बीते 15 फ़रवरी को भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इन नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की बात कहते हुए नज़र आये थे. दरअसल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ तत्वों का आईएसआई और आतंकी संगठनों से सम्बन्ध है और इनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए.
गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. जैश-ए-मोहम्मद ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा था कि आतंकी आदिल डार ने इस हमले को अंजाम दिया था.