प्रो पुष्पा भावे कल रात उनका निधन हो गया पिछ्ले कुछ दिनों से वह कई बिमारियों से जुझ रही थी हाँ जुझ रही थी ! मुलताह वह विलक्षण प्रतिभा और जन्मजात निर्भय स्वभाव की रही है ! और जुझारू भी ! 1939 मे जन्म हुआ था और 81 साल की लम्बी यात्रा कल रात बारह बजे के बाद समाप्त हो गई !
मेरा उनका परिचय 80 के दशक की शुरुआत में ही हो गया था मैने 1973 मे राष्ट्र सेवा दल के पूर्ण समय कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया उसके बाद मै मुम्बई जब भी कभी गया उन्हे मिले बगैर कभी नहीं रहा ! वह रुइया कॉलेज में मराठी भाषा पढ़ाती थीं और कॉलेज के नजदीक ही मटुँगा मे वह रहती थी,मुख्यतः मराठी नाट्य की समीक्षा मे उनका कोई सानी नहीं था विशेष रूप से 70 के दौरान विजय तेंदुलकर,महेश एलकूंचवार,रत्नाकर मतकरी,सतीश अलेकर,विजया मेहता,और अमोल पालेकर जैसे उस समय कुछ हटकर लिखनेवाले नाटकोकी पुष्पा भावे शायद सबसे बड़ी मर्गदर्शक और समिक्षक रही है !
इसी तरह उनके जिवन साथी प्रो अनंत भावे वह भी बहुत अच्छे-खासे लेखक अभिनेता है ! पार्टी,अनकही जैसे कलात्मक फिल्मो में छोटे छोटे ही रोल है लेकिन यादगार है ! लेकिन मै उनको खुद एक प्रतिभावान सख्सियत और ऊपर से पुरूष ! वह भी बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के धनी लेकिन पुष्पा ताई को जिस तरह से उन्होने अपना काम करने के लिए सहयोग किया वह मेरे लिए ज्यादा महत्वपुर्ण है ! अन्यथा इस पुरूष प्रधान समाज में खुद अपने आप को रोक कर अपनी जीवन साथी को आगे बढ़ने देना या उसे सहयोग करना बहुत बडी साधना है !
अमूमन कलाकार या साहित्यकार वर्तमान समय में विभिन्न समस्याओ से मुह मोड़ कर अपनी अलग दुनिया मे मशगूल रहते हैं और कला एक कला के नामपर भूमिकाए लेना टालते रहते ! है लेकिन पुष्पा ताई को मै 80 के शुरुआत से ही देखा मुम्बई में शिवसेना जैसा एक मराठी अस्मिता की आड़ मे बहुत ही घटिया राजनीति करनेवाले संघटन को शूरू से ही जिन लोगों ने पहचान लिया था उसमे पुष्पा ताई एक थी और खुद मराठी भाषा की महाराष्ट्र मे सबसे अच्छी समझ रखने वाली विदुषी होने के बावजूद शिवसेना का मराठी के आड़ मे लुम्पेनो को बढावा देने के कारण विशेष रूप से उनकी गुण्डा गर्दि के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल ने वाले लोगों में पुष्पा ताई अव्वल थी !
किणी मर्डर केस में वह सबसे ज्यादा लामबन्द होकर खुद के पैसो से शिवसेना के खिलाफ अदालत में केस लढा है ! और इस तरह शिवसेना जैसा माफिया दल क्या कर सकता यह सब मालुम रहते हुए पुष्पा ताई डटी रहीं !
उसी तरह मुम्बई में जो भी महत्वपूर्ण आंदोलन हुए जैसे 80 के दशक में मृणाल गोरे और अहिल्या रांगनेकर के नेतृत्व में महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ चले आंदोलन,एक गाव एक कुवा के राष्ट्र सेवा दल के द्वारा ऊसी समय शूरू किया हुआ आंदोलन,80 के दशक का मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नामानतंर आंदोलन,और आपात काल में आपात्काल के खिलाफ मैने अकोला जिलेके सुदूर सातपूडा के गोद मे एक सप्ताह का गुप्त शिबिर सेवादल के शिबिर में मई महीने की 45 डिग्री सेल्सियस तपमान मे रहकर हम लोगो को मार्गदर्शन करते हुए मैंने उन्हे देखा है ! उसी तरह वर्तमान समय में चल रहा फसिज्म के खिलाफ चल रहे आन्दोलन में भी वह तबीयत ठीक नहीं होने के बावजूद उसपर नजर रखी हूई थी ! सन्घ के और शिवसेना के संकीर्ण मानसिकता के खिलाफ चल रहे फिर वह राष्ट्र सेवा दल के कार्यक्रम हो या अंध श्रधा निर्मूलन के द्वारा की जाने वाली गतिविधि हो या डॉ बाबा अढ़ाव जी के कार्यक्रम हो सभिमे उनकी भूमिका रही है और कभिभी नेतृत्व करने का प्रयत्न किये बगैर !
महाराष्ट्र ने समता मुलक समज बनानेके लिए प्रयासरत काम कर रहे लोगों ने अपनी बहुत अच्छी महिला साथी को खोया है और यह क्षति कभी हम सभी साथियों की व्यक्तिगत क्षति भी है क्योंकि हमारे जैसे साथियों के लिए संबल का काम कर रहे लोगों में पुष्पा ताई प्रमुख रही है!
आपात काल में आपात्काल के खिलाफ क्या करना चाहिए इस विषय पर एक बैठक आपात स्थिति में उनके मटुँगा स्थित आवास पर सुबह के 6 बजे से रातके 10-11बजे तक उन्होने इतनी बड़ी रिस्क लेकर अपने घर पर रखी थी जिस घटना का मै प्रत्यक्षदर्शी हूँ !
10 से ज्यादा समय हुआ होगा जॉन पार्किंग्स की द कन्फेशन ऑफ इकॉनोमिक हिट मेन नाम की किताब को लेकर भाषणो का सिलसिला शुरू किया था और उस किताब के बारे में तो बहुत ही सुंदर विवेचन करती ही थी लेकिन मुख्य रूप से अमेरिकन इम्पीरियालिझ्म क्या चिज है और पूरे विश्व का शोषण वह किस तरह से और क्या क्या हथकण्डे अपनाकर करता है ? यह बहुत सहज और सरल मराठी में बतानेका उनका अनूठा प्रयोग मैने खुद देखा है और उन्हिसे वह किताब लेकर झेरोक्स कॉपी कर के उनको वापस किया हूँ !
मैंने अपने जिवन मे लगभग भारत और कुछ विदेश में भी कई महिलाओ को देखा है मेरी दोस्त भी है लेकिन पुष्पा ताई जैसी निर्भय महिला नहीं देखी ! और आज के भयावह स्थिति में उनका चले जाना और भी दुखद है ! विनम्र श्रद्धांजलि
डॉ सुरेश खैरनार 3अक्तूबर 2020,नागपुर
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