प्रणब मुखर्जी ने चार लोगों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. 1992 में बिहार में एक खास जाति के 34 लोगों का नरसंहार किया गया था. ये चारों आरोपी इस मामले में दोषी पाए गए थे. ये सभी एमसीसी के सदस्य थे. इनके नाम कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेंद्र सिंह हैं. सभी आरोपियों को 2001 में बिहार की सेशन कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपियों की अपील खारिज कर दी थी और उनकी सजा को बरकरार रखा था. जुलाई 2007 में चारों ने बिहार जेल एडमिनिस्ट्रेशन के जरिए दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी गई थी.
गृह मंत्रालय ने 8 अगस्त 2016 को इन लोगों की मर्सी पिटीशन खारिज करने की अपील की थी. बिहार सरकार की सिफारिश पर मंत्रालय ने यह अपील की थी. लेकिन राष्ट्रपति ने दोनों की सिफारिशों को नकारते हुए स्वविवेक के आधार पर फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने इस फैसले से पूर्व कई केस और दया याचिका से जुडे पहलुओं का अध्ययन किया था. इसके अलावा ह्यूमन राइट्स कमीशन की सिफारिशों पर भी विचार किया गया.