अपनी हालिया समीक्षा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की सफलता का उदाहरण देते हुए लोगों से अपील की थी कि वे दहेज और बाल विवाह के खिलाफ भी उसी जोश और जुनून के साथ आगे आएं. उन्होंने लोगों से कहा था कि 21 जनवरी 2018 को आयोजित होने वाली मानव श्रृंखला में शामिल होकर उसे सफल बनाएं. मुख्यमंत्री के उस आह्वान के बाद एक तरफ जहां जदयू के नेता व कार्यकर्ता प्रस्तावित मानव श्रृंखला में विशाल जन भागीदारी के लिए जी जान से लगे हैं, वही दूसरी ओर गैर राजनीतिक संगठन भी सीएम के अभियान को समाजहित में बेहतर कदम बताते हुए हर संभव योगदान के लिए कार्य कर रहे हैं.
सीतामढ़ी के लोग भी आगामी 21 जनवरी की मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए प्रयासरत हैं. लोगों का कहना है कि दहेजबंदी और बाल विवाह उन्मूलन को लेकर मुख्यमंत्री का निर्णय स्वागत योग्य है. इससे एक ओर जहां सामाजिक विश्वसनीयता बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर दहेज प्रताड़ना की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी. बाल विवाह पर रोक से बेटियों को बेहतर करियर बनाने का अवसर मिलेगा, वही दहेज की चिंता से परेशान हाल माता-पिता को भी राहत मिलेगी.
मुख्यमंत्री के इस अभियान से युवाओं में खासा उत्साह है. युवाओं का कहना है कि सरकारी स्तर पर यह फैसला बहुत पहले लिया जाना चाहिए था. दहेज की तराजू पर शिक्षा को बाट की तरह देखने वालों के लिए सीएम का यह अभियान एक सबक है. दहेज के कारण सबकुछ रहते हुए भी परिवारों के बीच कलह का वातावरण बन जाता है. शादी के महज चंद साल बाद ही पति-पत्नी के बीच खाई उत्पन्न हो जाती है और कई मामलों में खुशहाल परिवार न्यायालय तक पहुंच जाते हैं.