प्रेमचंद जी का प्रेरक कथन
प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना 9 अप्रेल 1936 को हुई थी । लखनऊ में आयोजित इस स्थापना सम्मेलन में संस्थापक अध्यक्ष महान साहित्यकार प्रेमचंद जी ने देश भर से आए साहित्यकारों को संबोधित करते हुए कहा था
हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा जिसमें उच्च चिंतन हो ,स्वाधीनता का भाव हो ,सौंदर्य का सार हो ,सृजन की आत्मा हो ,जीवन की ऊंचाइयों का प्रकाश हो ,जो हमने गति पैदा ,संघर्ष और बेचैनी पैदा करे , सुलाये नहीं ,क्योंकि अब और ज्यादा सोना मृत्यु का लक्षण है ।
इस प्रेरक कथन के आधार पर ही लेखक के लिए अपने रचनात्मक और सामाजिक दायित्व का निर्वहन संभव है ।हमारे समय की जन विरोधी प्रवृत्तियों का प्रतिरोध और इस हेतु जन शिक्षण के लिए प्रेमचंद जी का यह कथन मार्ग दर्शक और ऊर्जा दायक है ।
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