राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को मुख्य अतिथि बनाए जाने के फैसले से कांग्रेस ने भले ही अपने को अलग कर लिया हो, लेकिन पार्टी के एक धड़े में इसे लेकर स्वीकृति देखी जा सकती है. पूर्व की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि पार्टी के कई नेताओं को इसकी उम्मीद है कि प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में अपने भाषण से संघ वालों को कुछ नसीहत दे जाएंगे.
इस बीच, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा, ‘वह (प्रणब मुखर्जी) आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार कर चुके हैं. ऐसे में इसकी चर्चा करनी ही बेकार है कि उन्हें उस कार्यक्रम में जाना चाहिए या नहीं. यदि मुझे निमंत्रण मिलता तो मैं उसे अस्वीकार कर देता. मगर अब जब वह निमंत्रण स्वीकार कर चुके हैं तो उन्हें वहां जाना चाहिए और बताना चाहिए कि उनकी (संघ) विचारधारा में क्या गड़बड़ी है.
पार्टी के एक और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘महज निमंत्रण स्वीकार कर लिए जाने से किसी के बारे में राय बना लेनी सही बात नहीं है. किसी को सुनने से पहले उसके बारे में कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए. मैं खुद भी पांचजन्य और ऑर्गनाइजर के लिए लिख चुका हूं जिसे पार्टी ने स्वीकारा. यह बात भी सही है कि हर पार्टी में लोगों पर निशाना साधने वाले कुछ लोग होते हैं.’
मुखर्जी को जानने वाले कई लोगों को लगता है कि वह आरएसएस के कार्यक्रम में जुटे लोगों को ‘असल राष्ट्रवाद’ का पाठ पढ़ाएंगे. उनकी यह सीख हिंदुत्व खेमे की गैर समावेशी सोच पर चोट जैसी हो सकती है.
हालांकि कई नेता अब भी यह मान रहे हैं प्रणब मुखर्जी का आरएसएस के कार्यक्रम में जाना कांग्रेस और ‘सेकुलर’ खेमे के लिए नुकसानदेह है. इन नेताओं का कहना है कि ‘सेकुलर’ पार्टी के नेता का आरएसएस के मुख्यालय जाने का मतलब उसे एक तरह से मान्यता प्रदान करना है, जो कि अभी तक कांग्रेस के लिए ‘अस्पृश्य’ रही है और राहुल गांधी हर भाषण में जिस पर हमला करते रहे हैं.