नई दिल्ली। प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म हो चुका है। लेकिन राष्ट्रपति भवन में उनकी यादें हमेशा रहेंगी। राष्ट्रपति भवन में प्रणब मुखर्जी 500 से ज्यादा पाइप छोड़ कर जाएंगे। धूम्रपान छोड़ने के बाद भी प्रणब मुखर्जी का अपनी पाइप से लगाव कम नहीं हुआ था। पत्रकार और राष्ट्रपति के लंबे समय से मित्र रहे जयंत घोषाल ने बताया कि उन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी, सिर्फ पाइप ही पी।
पत्रकार जयंत घोषाल 1985 से प्रणब मुखर्जी को जानते हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारणों से जब उनसे धूम्रपान छोड़ने के लिये कहा गया, तो उसके बाद से उन्होंने धूम्रपान तो नहीं की लेकिन बिना किसी निकोटिन के अपने मुंह में पाइप रखते थे, और उसे चबाते रहते थे ताकि उसे महसूस कर सकें।
बहुत सारे राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी हस्तियों द्वारा तोहफे में प्रणब दा को 500 से ज्यादा पाइप मिली थीं और उन्होंने यह पूरा संग्रह राष्ट्रपति भवन संग्रहालय को दान दे दिया। घोषाल कहते हैं कि उनका पहला पाइप उन्हें असम के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता देबकांत बरूआ ने दिया था ।
उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने लंबे समय तक अपने सहयोगी रहे मुखर्जी को एक ऐसा शख्स बताया है जो देश की राजनीति और अर्थशास्त्र को बहुत अच्छे और तरीके से जानता है। उन्होंने कहा, वह संसद में सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक रहे और यह बेहद अच्छी तरह जानते थे कि किस तरीके से एक मंत्री को आचरण करना चाहिये। इसके साथ ही उन्हें यह भी बहुत अच्छे से पता था कि बिना सरकार के लिये परेशानी खड़ी किये संविधान की सुरक्षा कैसे करनी है।