निश्चय यात्रा के दौरान नीतीश कुमार के समर्थन में उमड़े जनसैलाब से जहां सरकारी अमला गदगद हैै, वहीं विभिन्न समस्याओं से आजिज लोगों के द्वारा न केवल सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की जा रही है, बल्कि जनप्रतिनिधियों को कटघरे में खड़ा भी किया जाने लगा है. बकायदा जन अदालत का आयोजन कर जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किए जाने के बावत नोटिस जारी किए जा रहे हैं. पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधियों से विकास के मुद्दे पर सवाल पर पूछे जा रहे हैं. जनता का नोटिस मिलने के बाद भी उपस्थित नहीं होने वाले जनप्रतनिधियों को भगोड़ा घोषित कर इनके विरूद्ध आर-पार की लड़ाई का ऐलान भी हो रहा है.
इस नई परिपाटी की शुरुआत खगड़िया से हुई है और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने के बाद अब आक्रोशित लोग सरकार को घेरने की रणनीति में जुट गए हैं. विकास के सवाल पर जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने का मन बना चुकी सर्किल नम्बर एक की जनता भी सरकार को घेरने केे बावत ठोस रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है. इस बार आर-पार की लड़ाई का मन बनाते हुए जनता न केवल सड़कों पर उतर आयी है, बल्कि यह नारा भी बुलंद किया जाने लगा है कि लाठी-गोेली खाएंगे, लेकिन पक्की सड़क बनवाएंगेे.
युवाशक्ति के प्रदेश अध्यक्ष नागेन्द्र सिंह त्यागी के नेतृत्व में आंदोलन करते आ रहे विजय सिंह, परमानंद सिंह, पूर्व सैनिक घनेश्वर सिंह, रामाशंकर सिंह, मनोरमा देवी, लई यादव, अभय कुमार उर्फ गुड्डू, साकेत सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीणों का कहना है कि अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे. लेकिन गोेगरी के सकिर्र्ल नम्बर एक की जनता के साथ सरकार के द्वारा किए जाते रहे सौतेेले व्यवहार का न केवल पर्दाफाश करेंगे बल्कि सर्वांगीण विकास की बातों को सरजमीं पर उतरवा कर रहेंगे.
आक्रोशित लोगों का कहना है कि विकास नहीं होने का कारण जानने के लिए जन अदालत का आयोजन कर 1990 से जनप्रतिनिधि के तौर पर निर्वाचित होने वाले मुखिया से लेकर सांसद तक को आमंत्रित किया गया था. लेकिन अधिसंख्य जनप्रतिनिधि जन अदालत में नदारद रहे. स्थानीय सांसद ही नहीं विधायकों ने भी इस जन अदालत में आना उचित नहीं समझा.
अनुपस्थित रहने वाले जनप्रतिनिधियोें को भगोड़ा घोषित करते हुए इनके विरूद्ध आर-पार की लड़ाई का ऐलान तो कर ही दिया गया है, मुख्यमंत्री केे द्वारा अगर फौरी तौर पर इस संदर्भ में ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्य सरकार के विरूद्ध भी मोेर्चा खोेल दिया जाएगा. स्थानीय विधायक पन्ना लाल पटेल कहते हैं कि सोनवर्षा से सतीशनगर तक पक्की सड़क के बावत डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया जारी हैै. विरोधियों द्वारा जनता को मेरे विरूद्ध गोलबंद करने के उद्देश्य से अनाप-शनाप प्रचार किया जा रहा हैै. हालांकि ऐसी बात नहीं है कि इस तरह की स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है.
सम्पन्न हुए अधिकार यात्रा के दौरान भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कुछ इसी तरह के ज्वलंंत मसलों को लेकर खगड़िया की जनता के कोप का सामना करना पड़ा था. युवाशक्ति के प्रदेश अध्यक्ष नागेन्द्र सिंह त्यागी, नगर सभापति मनोहर कुमार यादव, शिक्षक नेता मनीष कुमार सिंह सहित दजर्र्नों के विरूद्ध प्राथामिकी भी दर्ज हुई थी.
लेकिन बाद में न्यायालय के द्वारा सभी को अग्रिम जमानत दे दी गई. इस दौरान पूर्व विधायक रणवीर यादव के द्वारा अपनी विधायक पत्नी पूनम देवी यादव के अंगरक्षक से कारबाईन छीनकर लहराए जाने का मामला भी सुर्खियों में रहा था. हालांकि प्रशासनिक पदाधिकारियों का कहना है कि अधिकार यात्रा के दौरान उत्पन्न हुई स्थिति से सीख लेेते हुए इस बार पूरी व्यवस्था की गई है.
इधर दशकों पूर्व दान में दी गई तीन बीघे जमीन पर मालिकाना हक जताने को लेकर अक्सर सुलगती रही बलैठा गांव की राजनीति भी मुख्यमंत्री के करीब पहुंचने लगी है. दान मेंं मिली तीन बीघे जमीन पर एक पक्ष कब्रिस्तान होने का दावा कर रहा है, जबकि एक पक्ष मंदिर होने की बात को लेकर अडिग है. लगभग छह वर्षों से अलग-अलग पक्षों के सीने में धधक रही घात-प्रतिघात की आग पर राजनीतिक रोटी सेंकने वालेे जनप्रतिनिधियों कोे यह विवाद शायद इसलिए रास आ रहा, क्योंकि यह इनकेे लिए महज चुनावी मामला बनकर रह गया. वर्षों से दोनों पक्षों के बीच उत्पन्न विवाद पर लगाम लगाने के ख्याल से स्थानीय लोग अब सीधे सरकार सेे हस्तक्षेप की मांग को लेकर गोलबंद होने लगे हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक राजा हरदत सिंह के द्वारा वर्षों पूर्व दान में दी गई जमीन पर कब्रिस्तान तथा मठ मंदिर बनाने के मुद्दे पर लगभग छह वर्ष पूर्व पनपा विवाद अब भयंकर रूप धारण करनेे लगा है. प्रशासन ने विवादित जमीन पर पुलिस पिकेट तो स्थापित कर दिया है, लेकिन विवाद सुलझाने के प्रति न तो प्रशासन गंभीर है और न ही जनप्रतिनिधि. नतीजतन उप्रदवियों के द्वारा समय-समय पर दो अलग-अलग पक्षों की भावनाओं को उभारने का प्रयास किया जाता है. लेकिन जरूरत है इस विवाद के जल्द से जल्द समाधान की.