पांच राज्यों के चुनाव का अंतिम चरण का चुनाव खत्म होते ही अगले पांच साल के लिए राजस्थान के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो गया, साथ ही ईवीएम में कैद हो गई 2274 प्रत्याशियों की किस्मत. इस चुनाव के बाद से 11 दिसंबर तक जिन नामी नेताओं की नींद हराम होने वाली है, उनमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल एवं उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह, राज्य सरकार में मंत्री गुलाब चंद कटारिया, युनूस खान, राजेंद्र राठौड़, किरण माहेश्वरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. सीपीजोशी, डॉ. गिरिजा व्यास, लालचंद कटारिया एवं महादेव सिंह खंडेला प्रमुख हैं.
यह चुनाव इस मायने में भी खास रहा, क्योंकि इसबार भारी संख्याा में बागी भी मैदान में उतरे. भारत वाहिनी नामक पार्टी बनाकर जयपुर की सांगानेर सीट से लड़ रहे भाजपा के बागी घनश्याम तिवाड़ी की भी साख दांव पर है. वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल नागौर की खींवसर सीट से भाग्य आजमा रहे हैं. अन्या बागियों में पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला सीकर की खंडेला, पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर जयपुर की दूदू, भाजपा सरकार में मंत्री रहे पूर्व मंत्री सुरेंद्र गोयल पाली की जैतारण, राजकुमार रिणवा चूरू की रतनगढ़, हेम सिंह भडाना अलवर की थानागाजी एवं धनसिंह रावत बांसवाड़ा सीट से मैदान में दो दो हाथ कर रहे हैं.
गौर करने वाली बात यह भी है कि भाजपा के 2 कैबिनेट मंत्रियों को छोड़कर मुख्यमंत्री सहित जिन 28 मंत्रियों ने इसबार चुनाव लड़ा है, उनमें से चार मंत्री पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण बागी होकर निर्दलीय मैदान में हैं. इन चार मंत्रियों सहित भाजपा के करीब 20 से ज्यादा बागी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. दो कैबिनेट मंत्रियों की जगह उनके बेटों को पार्टी ने टिकट दिया है. इसबार भाजपा ने 60 विधायकों का टिकट काटा है, वहीं कांग्रेस व अन्य पार्टियों से आए सात लोगों को टिकट दिया गया है. इनमें थानागाजी से हेम सिंह भड़ाना, जैतारण से सुरेंद्र गोयल, रतनगढ़ से राजकुमार रिणवा और बांसवाड़ा से धनसिंह रावत चुनाव लड़ रहे हैं.