प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि पार्टी की जीत के इस सिलसिले को देखते हुए अब सियासी पंडितों को मानना पड़ेगा कि अंकगणित के आगे भी आदर्शों और संकल्पों की एक ‘केमेस्ट्री’ होती है.
मोदी ने बीजेपी को देश में राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ी शिकार पार्टी करार देते हुए कहा कि इस हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गयी है. यह हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है.वाराणसी से दोबारा सांसद बनने के बाद पहली बार काशी आये मोदी ने कार्यकर्ताओं से खुलकर अपने दिल की बात कही.उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में लोकतंत्र की नींव को और मजबूत कर रहा है लेकिन वर्ष 2014, 2017 और 2019 की चुनावी विजय की हैट्रिक कोई मामूली चीज नहीं है. तीन चुनाव के बाद भी अगर राजनीतिक पंडितों के दिमाग नहीं खुलते तो समझना चाहिये कि उनके विचार, उनके तर्क 21वीं सदी के लिये नहीं रह गये हैं.मोदी ने कहा “इस हैट्रिक के बाद राजनीतिक पंडितों को मानना होगा कि अंकगणित के आगे भी एक ‘केमेस्ट्री’ होती है. देश में आदर्शों और संकल्पों की जो केमेस्ट्री है, वह पूरे अंकगणित को पराजित कर देती है. इस बार यही हुआ है.”
प्रधानमंत्री ने बीजेपी को राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ी शिकार पार्टी बताते हुए कहा “चाहे केरल हो, कश्मीर हो, बंगाल या फिर त्रिपुरा हो, वहां हमारे कई कार्यकर्ताओं ने शहादत मोल ली है. उन्हें सिर्फ राजनीतिक विचारधारा के कारण मौत के घाट उतार दिया गया. बंगाल में आज भी हत्याओं का दौर नहीं रुक रहा. केरल में भी हमें मौत के घाट उतार दिया जाता है. शायद ही कोई दल इतनी व्यापक हिंसा का शिकार हुआ है. हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गयी है. यह हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है.”
उन्होंने कहा “दुर्भाग्य से हमारे देश में राजनीतिक छुआछूत दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. बीजेपी का नाम लेते ही यह कहा जाता है कि इन्हें छुओ नहीं, ये खतरनाक हैं. दरअसल, हम विभाजन के पैरोकार नहीं है. हम एकता के मार्ग पर चलते हैं. जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब मैंने उसके प्रचार-प्रसार के लिये फिल्म जगत की मदद ली, तो शोर मच गया कि अरे आप और गुजरात ! दरअसल कमियां हममे में भी होंगी, लेकिन इरादे हमारे नेक हैं.”
मोदी ने कहा कि देश की राजनीति में ईमानदारी से लोकतंत्र को रग-रग में लेकर जीने वाला अगर कोई दल है तो वह बीजेपी ही है. “जब दूसरे लोग सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का नाम नहीं होता, मगर हम जब सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का अस्तित्व शुरू होता है. त्रिपुरा को देख लीजिये, वहां 30 साल तक कम्युनिस्टों की सरकार थी, क्या वहां कोई विपक्ष था? कभी कोई चर्चा नहीं हुई. आज हम त्रिपुरा में सत्ता में हैं, आज वहां जानदार शानदार विपक्ष है, उसकी आवाज सुनी जाती है. संविधान हमें जिम्मेदारी देता है कि विपक्ष की आवाज को महत्व दें.”
मोदी ने कहा कि हमारे देश के लोकतंत्र को वोट बैंक की राजनीति ने कुचल दिया है. वोट बैंक की राजनीतिक के दबाव में कोई सही बात रखने की हिम्मत नहीं करता था. मगर बीजेपी ने इस चलन को बदला है.