एक जोड़े में दो टिकुला,

झरोखे के पास ,पेड़ से लटका।

मंजर,मिठास, भँवरे मिले,फल लगा ,टिकुला हरा।

मन में खिजां रस,

नज़र बचाकर झुरमुट बीच बढ़ा ,

अप्रैल की आँधी झुरमुट को सरका गयी,

जोड़ा दिखने लगा सभी को।

लोगों के आँखों को हरा लगा,

मारा झुटका गिरा दिया,

टहनी से बूँदबूँद दूध टपक रहा,

पत्थर से फोड़ा,चाटाचटकारा,

आवाज़ दे किसी ने फटकारा ,

सरपट भागे लोगों का चप्पल वहीं पड़ा है।

क्षतविक्षत मरा, टिकुला हरा है।

पकने से पहले टपक चुका,

समाज की लपलपाती जीभ,चटोर मुख और स्वाद की खातिर खप्प चुका ,

ज़ख्मी बीज, माटी में गड़ा पड़ा,

एक जोड़े में दो टिकुला मरा है।

अखबार टीवी देख रहे लोगों से नन्ही बेटी पूछ रही

टिकुला किसने तोड़ा,कहाँ गया टिकुला हरा?

—अनामिका अनु।

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