पीएमईजीपी के तहत, अप्रैल 2017 से अब तक 4 लाख से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया, लेकिन इनमें सिर्फ 50 हजार को ही लोन मिला है. यानी 88 फीसदी लोन के लिए आवेदन बैंकों ने इस दौरान रिजेक्ट कर दिए, केवल 12 फीसदी लोन ही पास हुए हैं. गौर करने की बात ये है कि सरकार ने 2018-19 में प्रधानमंत्री इम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) के तहत 7.5 लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है.

पीएमईजीपी पोर्टल से मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2017 से 13 फरवरी 2018 तक 4 लाख 3 हजार 988 युवाओं ने लोन के लिए आवेदन किया था. इनमें से 3 लाख 49 हजार 208 आवेदन टास्क फोर्स कमिटी के समक्ष रखी गई थी. कमिटी ने इनमें से 2 लाख 52 हजार 536 एप्लीकेशन को मंजूरी दे दी, लेकिन बैंकों ने सिर्फ 49 हजार 721 आवेदनों को ही मंजूरी दी.

बैंकों ने रिजेक्ट करने के हास्यास्पद कारण गिनाए हैं. बैंकों ने बहाना बनाते हुए कहा है कि लोन के लिए एप्लाई करने वाले युवाओं ने ही लोन में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. वहीं कुछ मामलों में बैंक ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट की खामियों को जिम्मेदार ठहराया है. अन्य वजहों में लोन डिफाल्टर होना, लोन लेने वालों का अपना हिस्सा जमा नहीं करना और बिजनेस का अनुभव नहीं होना प्रमुख कारण बताया गया है. कुछ वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण सही एवं योग्य लोगों को लोन नहीं मिल पता है. सरकार अगर प्रधानमंत्री रोजगार योजना की सफलता चाहती है, तो सरकार को बैंकों पर लोन देने के लिए दबाव बनाना चाहिए.

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