नई दिल्ली, (चन्दन राय): 74 वर्षीय एचआर नागेंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के योग गुरु रह चुके हैं. यही कारण है कि जब शिक्षण संस्थानों में योग को बढ़ावा देने पर विचार हुआ, तब सरकार को उनकी सुध आई. गुरुदक्षिणा चुकाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तनिक भी देर नहीं की और यूजीसी की कमान उनके हाथों में सौंप दी.
उनकी नियुक्ति के दौरान यह तर्क दिया गया कि इससे देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में योग को बढ़ावा मिलेगा. सरकार ने उनकी नियुक्ति में इतनी सावधानी जरूर बरती कि एक ऐसे व्यक्ति को लाया जाए, जो तकनीकी रूप से भी फिट हो, ताकि कोई विवाद न खड़ा हो सके. नागेंद्र इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू से डॉक्टरेट कर चुके हैं. इससे पूर्व सरकार एफटीआईआई में गजेंद्र चौहान और मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की नियुक्ति के मामले में भी विवाद का सामना कर चुकी है.
यूजीसी सेलेक्शन कमिटी प्रमुख के तौर पर नागेंद्र ने भी आनन-फानन में यूजीसी चेयरमैन के लिए चार नाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेज दिए. नागेंद्र फिलहाल बेंगलुरू स्थित स्वामी विवेकानंद योगा अनुसंधान संस्थान के चांसलर समेत सरकार में कई समितियों के प्रमुख हैं. 1996 में मोदी सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा था. संवैधानिक संस्थानों के सरकारीकरण की होड़ में सरकार ने यूजीसी जैसी स्वायत्त संस्थाओं को पंगु बना दिया है. अब उच्च शिक्षा केंद्र आरएसएस के विचारों को स्थापित करने के लिए युद्धक्षेत्र बनते जा रहे हैं.
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से योग, आयुर्वेद और आयुष के तहत पीएचडी कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए हैं. काफी ना-नुकूर के बाद जेएनयू ने भी योग में शॉट टर्म कोर्स को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा संस्कृत के अध्यापन एवं शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए भी यूजीसी ने 120 से अधिक विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर एक डाटाबेस तैयार करने के लिए कहा है.
हाल में संघ से जुड़ी एक संस्था ने पहली से लेकर बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई जा रही एनसीईआरटी की हिन्दी की किताबों में से उर्दू, फारसी और अंग्रेजी के शब्दों को हटाने की सलाह केंद्र सरकार को दी थी. वहीं खबर है कि सरकार यूजीसी और एआईसीटीई की जगह एकल उच्च शिक्षा नियामक लाने की तैयारी कर रही है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय तकनीकी और गैर तकनीकी संस्थानों को एक ही संस्था के अंतर्गत लाने के लिए नियामक संस्था लाने पर नीति आयोग के साथ विचार कर रही है. ऐसे में सवाल यह है कि देश की सामासिक विरासत और संस्कृति की रक्षा का जिम्मा क्या अब सरकार ने शिक्षण संस्थानों में दक्षिणपंथी संगठनों के हाथों सौंप दिया है?