स्मार्ट सिटी के रूप में भले ही गया का चयन नहीं किया गया है लेकिन हृदय व प्रसाद योजना के तहत इसकी तस्वीर बदलने का प्रयास किया गया है. इस योजना के तहत गया-बोधगया को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन स्तर का स्वरूप प्रदान किया गया है. मोक्ष और ज्ञान भूमि गया-बोधगया अनादि काल से दुनिया के लोगों के लिए आस्था व श्रद्धा का केन्द्र रहा है. हिन्दू और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए गया-बोधगया वैसे ही श्रद्धा का केन्द्र है जैसे इस्लाम धर्मावलंबियों के लिए मक्का है. गया में पितरों के लिए पिंडदान करने या गया श्राद्ध करने से इनके संततियों को धन-धान्य व सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है. यही कारण है कि प्राचीन काल से गया में पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए हिन्दू धर्मावलंबी आते रहे हैं. 15 दिन के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में तो देश-दुनिया के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में हिन्दू धर्मावलम्बी गया आकर पिंड़दान करते हैं.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दौरान सारे पितर गया क्षेत्र में आकर अपनी संततियों से पिंडदान की अपेक्षा करते हैं. गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी का देवघाट पिंडदान का केन्द्र होता है. यही कारण है कि भारत सरकार ने गया शहर को हृदय और प्रसाद योजना के तहत चयन कर इसके विकास के लिए वृहद योजना तैयार की है. काम शरू भी हो चुका है. कुछ काम तो 30 अप्रैल 2016 तक पूरा भी हो जाना है. इसी प्रकार तथागत की तपोभूमि बोधगया का भी चयन हृदय योजना के तहत किया गया है. आज से 2600 वर्ष पूर्व निरंजना नदी के तट पर स्थित बोधगया प्राचीन नाम उरूवेला में एक पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी.
तब से बोधगया दुनिया के बौद्ध धर्मालंबियों के लिए आस्था का केन्द्र बना है. केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय की ओर से प्रसाद योजना के तहत वर्ष 2013-2014 में साढ़े चार करोड़ की राशि आवंटित की गई है. इस राशि से विष्णु मंदिर परिसर में काम किया जा रहा है. इसके साथ ही हृदय योजना के तहत विष्णुपद मंदिर परिसर तथा आसपास के क्षेत्रों को 34 करोड़ की राशि से विकसित किया जाएगा. गया के आसपास स्थित अन्य धार्मिक पर्यटन स्थलों का भी विकास किया जाएगा. पवित्र फल्गु नदी के विभिन्न घाटों का भी सौंदर्यीकरण इन दोनों योजनाओं के तहत किया जाएगा. फल्गु किनारे टुरिस्ट स्पॉट भी बनाया जाएगा. इसी प्रकार बोधगया का चयन भी प्रसाद योजना के तहत किया गया है.
बोधगया को और बेहतर रूप से विकसित करने के लिए योजना तैयार की गई है. बोधगया को हरित शहर के रूप में विकसित करने की योजना है. केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय की ओर से बोधगया उत्सव के आयोजन का भी प्रस्ताव है. साथ ही निरंजना नदी के रीवर फ्रंट का सौंदर्यीकरण 10 करोड़ रूपये से किया जाना है. इस योजना के तहत डहेरिया बिगहा से सूरजपूरा तक निरंजना नदी के पश्चिमी तट के सुढृढ़ीकरण के अलावा घाटों का निर्माण होगा. इसके अलावा रोशनी की व्यवस्था कुछ इस तरह की जाएगी, जिससे पूरा तट मनमोहक लगे. बैठने के लिए पार्क में बेंच के अलावा कुटी की भी व्यवस्था होगी. यह तट योजना के पूरा होने के बाद पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित होगा. शौचालय, यूरिनल व जलपानगृह भी बनेगा. हालांकि नदी में पानी रखने के लिए सूबे की सरकार ने भी 4 करोड़ से चेक डैम का प्रस्ताव तैयार किया है. यह सूरजपूरा के निकट बोधगया नगर पंचायत की सीमा पर होगा.
महावस्तु ग्रंथ में बुद्ध ने निरंजना के सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन करते हुए कहा है-वहां मैंने एक रमणीय, प्रसन्नताकारी भूमि में एक नदी को बहते देखा, जिसका घाट श्वेत और रमणीय था. चीनी यात्रा ह्वेनसंग ने भी निरंजना की रमणीयता का उल्लेख किया है. बौद्ध साहित्य ललितविस्तर और महावस्तु में इस नदी का जल, निर्मल, शुद्ध, नीला व शीतल बताया गया है. स्नान के लिए घाट बने थे व नीचे उतरने के लिए क्रमबद्ध सीढ़ियां थी. महाबोधिवंश में इसके तट पर शालवन की बात कही गई है. इस प्रकार गया तथा बोधगया को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की योजना बनाई गई है, जिससे कि अधिक से अधिक संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां आ सकें.