नई दिल्ली। इधर पिछले 3 महीनों से जिस तरीके से विवाद देश के पटल पर आए हैं, जिसने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को हेडलाइन्स में दबा दिया। पिछले 3 महीने में पेट्रोल के दाम में काफी बढ़ोतरी हुई है। औसत तरीके से देखा जाए तो ये बढ़ोतरी करीब 6 रुपये हैं। जाहिर सी बात है कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे तो इसका सीधा असर आम आदमी की रोजमर्रा पर भी पड़ेगा। इस मामले पर विचार करने के बजाय देश कई दूसरों मुद्दों में उलझा रहा जिन्हें राजनीतिक पार्टियां हवा दे रही थी।
मोदी सरकार ने करीब तीन महीने पहले सभी पेट्रोलियम कंपनियों को प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल के दाम बदलने की छूट दी थी। तब से लेकर अब तक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पेट्रोल के दाम में लगभग 6 रुपये और डीजल में 5 रुपये की बढ़ोतरी की जा चुकी है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने पर चौथी दुनिया ने यहां के कारोबारियों से चर्चा की, जिसमें उनका दर्द निकलकर सामने आया।
कई ट्रांस्पोर्ट कारोबारियों में मोदी सरकार के खिलाफ रोष दिखाई दिया। उनका कहना है कि हमारा कई कंपनियों के साथ एग्रीमेंट होता है जिसमें माल ढूलाई का रेट उसी वक्त तय हो जाता है। अब पेट्रोल और डीजल के दामों में इतनी अनियमतता है कि रेट तय कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हमारा मुनाफा एकाएक कम हो गया है। नुकसान के साथ हम बिजनेस कर रहे हैं लेकिन बहुत दिनों तक ऐसा नहीं कर पाएंगे।
वहीं विशेषज्ञ उस एलगोरिदम को समझने में खुद को नाकाम पा रहे हैं जिसके आधार पर कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दामों को घटा बढ़ा रही हैं। उनका कहना है कि इटंरनेशनल मार्केट में जब क्रूड ऑयल के दाम घट रहे हैं तो किस आकलन के आधार पर पेट्रोल और डीजल के दाम इतने बढ़ा दिए गए हैं समझ से परे हैं।
इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है। क्योंकि डीजल और पेट्रोल का दाम बढ़ने पर कारोबारी अपने माल-ढुलाई भाड़ा बढ़ा देते हैं। कम होने पर ढुलाई भाड़ा कम बमुश्किल ही होता है। ऐसे में आम जनता पर इसका सीधा असर पड़ता है। सरकार इस पर ध्यान देने के बजाय कंपनियों को छूट दे रही है।