राजद प्रमुख और चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद से रांची और दिल्ली में जाकर मिलना, फिर पटना में राबड़ी और लालू के अन्य परिवार से मिलकर शत्रुध्न सिन्हा बिहार की जनता या अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को क्या संदेश देना चाहते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा का किसी दूसरी पार्टी से लड़कर संसद पहुंचना आसान नहीं होगा. वैसे उनका मानना है कि पटना साहिब की जनता उनके व्यक्त्वि, साफ-सुथरी छवि तथा क्षेत्र में किये गए काम पर वोट देती है.

shatruसाल 2009 और 2014 में अपने विरोधी प्रत्याशी को लगातार पटखनी देने वालेे शत्रुघ्न सिन्हा 2019 में हैट्रिक लगाने के प्रयास में है. लेेकिन इस बार उनके बयानबाजी से पार्टी ने चुनाव के समय उन्हें खामोश करने का मन बना लिया है. 2014 के पहलेे भी लग रहा था कि भाजपा शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काट देगी. लेेकिन भाजपा विरोधी बयानों के बावजूद पार्टी ने उन्हें लोेकसभा का टिकट दे दिया था. सफलता भी मिली. लेकिन इसमें नरेंद्र मोदी व पार्टी का योगदान ज्यादा था. 2019 में अपने बयानों से भाजपा नेतृत्व को असहज करने वालेे शत्रुध्न सिन्हा को लोेकसभा का टिकट भाजपा से नहीं मिले तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि शत्रुध्न सिन्हा को भाजपा से टिकट मिले या नहीं मिलेे, लेकिन लोकसभा का चुनाव पटना साहिब से ही लड़ने का ऐलान कर रखा है. बिहार की राजनीति की सामान्य समझ रखने वाले भी जानते हैं कि अपने स्टारडम को राजनीति में अच्छी तरह भुनाने वाले शत्रुध्न सिन्हा ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी नई पार्टी भी तय कर रखा है. सिर्फ ऐलान का समय देखा जा रहा है, घोषणा तो उन्होंने कर ही रखा है कि पार्टी हो या फिर निर्दलीय भी लड़ना पड़े तो वे पटना साहिब से ही लोेकसभा का चुनाव लड़ेंगे.

राजद प्रमुख और चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद से रांची और दिल्ली में जाकर मिलना, फिर पटना में राबड़ी और लालू के अन्य परिवार से मिलकर शत्रुध्न सिन्हा बिहार की जनता या अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को क्या संदेश देना चाहते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा का किसी दूसरी पार्टी से लड़कर संसद पहुंचना आसान नहीं होगा. वैसे उनका मानना है कि पटना साहिब की जनता उनके व्यक्त्वि, साफ-सुथरी छवि तथा क्षेत्र में किये गए काम पर वोट देती है. सिर्फ भाजपा के प्रत्याशी के रूप में नहीं. ओवर कांफिडेंस बडे-बड़े राजनीतिज्ञों को हाशिये पर भी पहुंचा देता है.

पटना साहिब के छह विधानसभा क्षेत्रों में पटना साहिब, बख्तियारपुर, फतुहा, कुम्हरार, बांकीपुर और दीघा में से पांच पर भाजपा का कब्जा है. इसलिए पटना साहिब से चुनाव लड़ेंगे तो उनकी राह आसान नहीं होगा. अभी जो बातें चुनावी चर्चा के रूप में क्षेत्र में फैली है, उसमें कहा जा रहा है कि 2019 का लोकसभा चुनाव शत्रुध्न सिन्हा राजद के टिकट पर लड़ेंगे. लेेकिन शत्रुध्न सिन्हा इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहते हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछलेे कई चुनावों में बिहारी बाबू शत्रुध्न सिन्हा भाजपा के स्टार प्रचारकों में शामिल थे. लेेकिन 2014 के लोेकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की आलोेचना और लालकृष्ण आडवाणी,  मुरली मनोहर जोशी की वकालत करना उनके राजनीति कैरियर पर भारी पड़ा. केंद्र में मंत्री नहीं बनना उनको कचोटता रहा है. पार्टी में अपनी उपेक्षा से भी बिहारी बाबू समय-समय पर अपने दर्द को बताते रहे हैं. इसी राजनीतिक दर्द के बहाने पार्टी नेतृत्व को हमेशा कभी बयानों से तो कभी ट्वीट कर सलाह देते रहे हैं.

सलाह के साथ ही वे पार्टी नेतृत्व की आलोचना और प्रधानमंत्री पर तंज भी कसते रहे हैं. शत्रुध्न सिन्हा ने चुनौती भी दे डाली है कि कोई उन्हें पार्टी से निकालकर दिखाएं. उन्होंने भाजपा छोड़ चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंह के साथ मिलकर राष्ट्रीय मंच भी बना डाला है. शत्रुध्न सिन्हा बजट सत्र के दूसरे चरण में ससंद की कार्यवाही न चलने देने के विपक्ष के रवैये के खिलाफ भाजपा सांसदों के राष्ट्रव्यापी उपवास का उपहास उड़ाया था. उन्होंने कहा कि भाजपा खुद भी विपक्ष में रहने के दौरान संसद की कार्यवाही नहीं चलने देती थी. उपचुनाव में भाजपा की हार पर ट्वीट कर तंज कसा कि बार-बार कह रहा हूं कि अहंकार, शॉर्ट टेंपर या ओवर कांफिडेंस लोेकतांत्रिक राजनीति में ठीक नहीं है.

जो स्थिति सामने आ रही है, उसमें स्पष्ट कहा जा सकता है कि 2019 लोेक सभा चुनाव में भाजपा बिहारी बाबू को बाहर का रास्ता दिखा कर खामोश कर सकती है. शत्रुध्न सिन्हा को दूसरे दल से लड़ना भी पड़ा तो, उनके लिए 2019 का लोेकसभा चुनाव आसान नहीं होगा. 2014 के लोेकसभा चुनाव में शत्रुध्न सिन्हा ने भाजपा के टिकट पर 485905 मत लाकर भोजपुरी के बड़े नेता और कांग्रेस के प्रत्याशी कुणाल सिंह को बड़े अंतर से हराया था. कुणाल सिंह को 220100 मत मिला था, जबकि जदयू के डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा को 91024 मत मिला था. 2009 में अस्तित्व में आये इस लोेकसभा क्षेत्र से चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शत्रुध्न सिन्हा ने 316549 मत लाकर राजद प्रत्याशी विजय कुमार को हराया था.

आगामी लोेकसभा चुनाव 2019 में पटना साहिब में पार्टी प्रत्याशियों में बदलाव हो सकता है. चर्चा है कि यदि भाजपा को पटना साहिब से शत्रुध्न सिन्हा का टिकट कटा तो एसआईएस सिक्योरिटी के संस्थापक व राज्य सभा के सदस्य आरके सिन्हा को या फिर इनके पुत्र ऋृतुराज सिन्हा को टिकट मिल सकता है. यहां से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की भी चर्चा है. बहरहाल, इतना तय है कि अब भाजपा शत्रुघ्न सिन्हा के बयानों से असहज होकर खामोश नहीं बैठने वाली है. लोेकसभा चुनाव का समय आते-आते आर-पार का निर्णय जरूर होगा.

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