2019 की जंग के लिए हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर रामविलास पासवान धर्मसंकट में फंस गए हैं. अब तक हाजीपुर लोकसभा सीट और रामविलास पासवान एक दूसरे के पार्यवाची माने जाते रहे हैं. हाजीपुर के चुनावी जंग में एक खेमे से हमेशा रामविलास पासवान रहते ही आए हैं. लेकिन इस बार लोजपा सुप्रीमो अगर मगर में फंस गए हैं. इसका सबसे बड़ा कारण उनका स्वास्थ्य है. कहा जा रहा है कि रामविलास पासवान का स्वास्थ्य उन्हें चुनावी जंग में उतरने की इजाजत नहीं दे रहा है.
समर्थक हाजीपुर के लिए अड़े
कुछ दिनों पहले यह बात तय हुई थी कि सुप्रीमो के लिए राज्यसभा की सीट मांग ली जाए. भाजपा रामविलास पासवान को असम से राज्यसभा में भेजने को तैयार भी हो गई है. लेकिन रामविलास पासवान के समर्थक दिल्ली जा जाकर उनसे हर हाल में हाजीपुर से चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे हैं. समर्थकों की बड़ी तादाद उनसे कह रही है कि बस आप नामांकन करके दिल्ली लौट जाइये बाकी का काम हम कर लेंगे. समर्थकों के इसी प्यार ने रामविलास पासवान को दुविधा में डाल दिया है. एक तरफ राज्यसभा की सुरक्षित सीट है और दूसरी तरफ समर्थकों का प्यार. इनमें एक का चयन रामविलास पासवान को करना है.
रीना पासवान लड़ेंगी चुनाव
बताया जा रहा है कि घरवाले चाहते हैं कि लोजपा सुप्रीमो राज्यसभा से ही संसद पहुंचे और हाजीपुर से उनकी धर्मपत्नी रीना पासवान को चुनाव लड़ाया जाय. लेकिन दिल्ली पहुंचने वाली रिपोर्ट बता रही है कि हाजीपुर की लड़ाई इस बार आसान नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से बाहर चले जाने का भी असर पड़ा है. ऐसे में खुद रामविलास पासवान ही इस सीट को निकाल सकते हैं. दूसरे किसी अन्य प्रत्याशी को यहां मुश्किल हो सकती है. बताया जा रहा है कि दोनों ही बातें रामविलास पासवान के सामने है और वह बहुत ही गंभीरता से इस धर्मसंकट से निकलने का प्रयास कर रहे हैं. लोजपा के सूत्र बताते हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर रामविलास पासवान राज्यसभा को ही वरीयता दे सकते हैं और हाजीपुर के लिए कोई मार्मिक अपील जारी कर सकते हैं.
चिराग को देंगे मौका
इसके अलावा रामविलास पासवान चाहते हैं 2019 का चुनाव पूरी तरह उनके बेटे चिराग पासवान की अगुआई में लड़ा जाए ताकि यह संदेश साफ जाए की पार्टी को उसका सही उत्तराधिकारी मिल गया है. प्रत्याशियों के चयन से लेकर चनावी रणनीति बनाने जैसे कामों के लिए रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग का फ्री हैंड दे चुके हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रामविलास हाजीपुर के इस धर्मसंकट से कितनी जल्दी निकल पाते हैं.