संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से लिया गया है निर्णय

गाजियाबाद, 31 मार्च, 2021। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (गाजीपुर बार्डर) पर बुधवार को बुलाई गए प्रेसवार्ता में भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि सत्र बुलाए जाने पर किसान संसद का घेराव करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से इस बात का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर बैठकर यह कहते हैं, किसान बताएं कि नए कृषि कानूनों में काला क्या है? हम बात का जबाब देने के लिए संयुक्त मोर्चा गाजीपुर बार्डर की ओर से एक प्रपत्र जारी कर रहे हैं और साथ इस प्रेसवार्ता के माध्यम से भाजपा वालों को खुले मंच बहस करने की चुनौति भी देते हैं। हम बताएंगे कि कानून में काला क्या है?

धर्मेंद्र मलिक ने स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जिक्र करते हुए कहा कि टिकैत साहब कहा करते थे कि “तंग आए, जंग आए।” तो किसान अब इतना तंग हो चुका है, देश में जंग के हालात पैदा हो रहे हैं। हमने संयुक्त मोर्चा में कल प्रस्ताव दिया था कि सत्र शुरू होते ही संसद का घेराव किया जाए। संयुक्त किसान ने इस पर फैसला ले लिया है। सत्र शुरू होते ही किसान संसद का घेराव करेंगे। प्रधानमंत्री जी को हम प्रेस के माध्यम से बता देना चाहते हैं कि मोदीजी आपके गुजरात में प्रेसवार्ता के बीच से किसान नेता को उठाकर गिरफ्तारी की जाती है, गुजरात मॉडल इस देश में नहीं चल पाएगा। यह देश किसानों का है, यह देश जवानों का है। इस देश को किसान और जवान ही चलाएगा। जो सत्ता के नशे में रहने वालों की कुर्सी खींचने में पूरी सक्षम हैं।

मलिक ने किसानों के साथ ही मजदूरों, सैनिकों और अन्य नौकरीपेशा लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान तो मारा ही जा रहा है, तैयारी दूसरे तबकों का भी यही हाल करने की है। अब सरकार यूएफटीए पर साइन करने जा रही है। यूएफटीए हमारे डेयरी उद्योग पर बड़ा खतरा है और पहले से ही हमारे एजेंडे में है। किसान तीन नए कृषि कानूनों की ही तरह यूएफटीए का भी विरोध करेगा। यूएफटीए के माध्यम से डेन्मार्क जैसे देश में दूध आयात किया जाएगा और किसान से कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन का काम भी छीनने की तैयारी है। उन्होंने सरकार को चेताया कि कृषि आयात को लेकर सरकार कोई सौदा न करे।

अब पूर्व सैनिक संभालेंगे गाजीपुर बार्डर की सुरक्षा व्यवस्था

आंदोलन स्थल को बदनाम करने की साजिश कर रहा प्रशासन

गाजियाबाद, 31 मार्च, 2021। गाजीपुर बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा अब पूर्व सैनिक संभालेंगे। इस बात की घोषणा बुधवार को प्रेसवार्ता के दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने की। उन्होंने बताया कि आंदोलन के वालंटियर भी अब पूर्व सैनिकों के निर्देशन में काम करेंगे। उन्होंने कड़े शब्दों में चेतावनी भी कि हमें यहां शांतिपूर्वक आंदोलन करने दिया जाए, इसमें विघ्न डालने की साजिश न की जाए। इस मौके पर भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि हमारे देश की आन, बान और शान, हमारी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके पूर्व सैनिक अब यहां सुरक्षा का मोर्चा संभालेंगे।

उन्होंने कहा आंदोलन को तोड़ने का कुचक्र प्रशासन और सरकार के सहयोग से रचा जा रहा है। आंदोलन के बेरियर नंबर-एक पर संघ की पाठशाला से निकले लोग आकर पत्थरबाजी करते हैं। मंगलवार को भी चौथी बार ऐसी घटना हुई। पुलिस एफआईआर दर्ज करने को तैयार नहीं होती। किसान सभा के नेता डीपी सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिक आंदोलन स्थल पर आने वाले असामाजिक तत्वों पर नजर रखेंगे और आंदोलनकारियों की सुविधा का भी ध्यान रखेंगे। पूर्व सैनिक जेपी मिश्रा ने बताया कि हम लोग किसान आंदोलन के साथ कोई साजिश कामयाब नहीं होने देंगे। यदि कोई ऐसा मंसूबा रखता है तो उसे त्याग दे। प्रेसवार्ता में जय जवान जय किसान के नारे भी लगे।

मोदी जी कहते है किसान की जमीन नहीं जाएगी, कानून बताते हैं कैसे जाएगी : आशीष मित्तल

नए कृषि कानूनों से खाद्य सुरक्षा को खतरा, मजदूर को नहीं मिल पाएगा भरपेट भोजन

गाजियाबाद। किसान नेता आशीष मित्तल ने प्रेसवार्ता में बताया कि सरकार के उस सवाल का जबाब देने के लिए जिसमें सरकार यह पूछती है कि कानूनों में काला क्या है? हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से एक प्रपत्र जारी कर रहे हैं, उन्होंने प्रपत्र मीडिया के साथ शेयर करते हुए बताया कि किसान की जमीन किस तरह से जाएगी, कानूनों से ली गई धाराओं के हवाले से हमने यह बताने का प्रयास किया है। सरकार झूठा दावा करती है कि इन काननों से किसान की जमीन नहीं जाएगी। यह प्रपत्र बताएगा कि जमीन कैसे जाएगी। इसकी प्रतियां यूपी और उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में भी वितरित कराई जाएंगी।

आशीष मित्तल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी एमएसपी है और रहेगी का झूठा धावा करते हैं लेकिन उनके कानून बताते हैं कि किसान की फसल का रेट ऑनलाइन बोली के हिसाब से तय होगा। इतना ही नहीं इन कानूनों में व्यापारी को इस बात की छूट भी दी जाएगी कि वह किसान से अनाज खरीदने के बाद तब तक उसका भुगतान करने के लिए समय पा सकेगा जब तक उस अनाज को आगे बेचकर भुगतान प्राप्त हो, यानी किसान से अनाज उधार पर ही जाएगा। आशीष मित्तल ने बताया कि गन्ना सोसायटियां भी अब मंडियां चलाने में लगाई जाएंगी। मतलब साफ है कि इन कानूनों के लागू होने के बाद न तो देश में एमएमपी रहेगी और किसान के पास जमीन। यह बात तो किसान की रही, अब देश के आम जन के लिए जो सबसे बड़ा खतरा आने वाला है, वह है खाद्य सुरक्षा का। नए कृषि कानून आने के बाद सरकार पीडीएस बंद कर देगी तो खाद्य सुरक्षा बचेगी कैसे? खाद्य सुरक्षा के नाम पर अनाज नहीं पैसा मिलेगा और अनाज का रेट कारपोरेट तय करेगा।

आज एक घंटे का सांकेतिक उपवास करेंगे किसान : बाजवा

गाजीपुर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि उत्तराखंड के बाजपुर और खटीमा जनपदों में उत्तराखंड सरकार 20 गांवों की जमीन छीन रही है। खटीमा में सवा सौ एकड़ और बाजपुर में 5800 एकड़ जमीन बचाने के लिए किसान दस माह से आंदोलन कर रहे हैं। गुरूवार को दस माह पूरे होने पर गाजीपुर बार्डर पर किसान दोपहर 12 से 1 बजे तक एक घंटे का सांकेतिक उपवास कर उत्तराखंड सरकार को बताने का प्रयास करेंगे कि सरकार दस माह से आंदोलनरत किसानों की सुध ले। श्री बाजवा ने बताया कि वह दस माह से उत्तराखंड में चल रहे आंदोलन के संयोजक भी हैं। इसी बीच नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू होने पर दिल्ली बार्डर पर आ गए पर उत्तराखंड सरकार को बता देना चाहते हैं कि बाजपुर और खटीमा की पीड़ा हम भूले नहीं हैं और जरूरत पड़ी तो उत्तराखंड सरकार के खिलाफ भी आंदोलन तेज करेंगे।

भवदीय

धर्मेन्द्र मलिक

मीडिया प्रभारी भाकियू

Adv from Sponsors