इंदिरा जी की इमरजेंसी से भी ज्यादा खतरनाक है मोदी राज. मोदी जिस चीज की आलोचना करते हैं, खुद वही करते हैं. डेढ़ आदमी मिलकर देश चला रहे हैं, एक मोदी और आधा अमित शाह. उक्त बातें पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर सिंह के अनन्य सहयोगी रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री और प्रख्यात उद्योगपति कमल मोरारका ने कही. वे स्वर्गीय प्रताप नारायण सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए सोनभद्र आए थे. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में मंत्री पद संभाल चुके कमल मोरारका की गिनती देश के प्रमुख उद्योगपति व समाजसेवियों में होती है.
सोनभद्र के चतरा ब्लॉक के बनौली ग्राम की बकवार ग्रामसभा ने स्वर्गीय प्रतापनारायण सिंह की स्मृति में गोष्ठी का आयोजन किया था. इस मौके पर कई ख्याातिप्राप्त लोगों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस मौके पर श्री कमल मोरारका मुख्य अतिथि और डॉ राममनोहर लोहिया के निजी सचिव रहे सतीश अग्रवाल विशिष्ट अथिति के रूप में मौजूद रहे. प्रताप नारायण सिंह की समाजवाद में गहरी आस्था थी. गौरतलब है कि सोनभद्र डॉ लोहिया और चन्द्रशेखर के विश्रामस्थल के रूप में जाना जाता रहा है.
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स्वर्गीय प्रताप नारायण सिंह को श्रद्धासुमन के पश्चात आयोजित गोष्ठी में समाजवाद को लेकर भी चर्चा हुई. लोहिया जी के निजी सचिव रहे सतीश अग्रवाल ने इस मौके पर बोलते हुए गांधी की धरोहरों को इंग्लैंड में नीलामी के दौरान खरीद कर भारत लाने की भावना रखने वाले देश के अग्रणी उद्योगपति मोरारका जी की शख्सियत पर भी प्रकाश डाला. लोहिया, छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, मधु लिमये, रवि रॉय, जॉर्ज फर्नांडीज, जैसे समाजवादी नेताओं के साथ के अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने कमल मोरारका से गुजारिश की कि वे फिर से सक्रिय राजनीति में आएं.
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मुख्य अथिति के रूप में बोलते हुए कमल मोरारका ने कहा कि देश इस समय खतरनाक दौर से गुजर रहा है. अखबार बिक गए हैं, गरीबों की कोई बात नहीं करता, सारे लोग डरे हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इन्दिरा जी के आपातकाल से तो भगवान ने बचा लिया, लेकिन मोदी के आपातकाल से बचने के लिए समाजवादियों को एकजुट होना पड़ेगा. गोष्ठी में आए तमाम समाजवादियों ने अाह्वान किया कि 2019 में मोदी को दोबारा सत्ता में आने से रोकना होगा. इससे पूर्व चंद्रगुप्त इंटरमीडिएट कालेज की छात्राओं ने मुख्य अथिति का गीत के माध्यम से स्वागत किया. स्वर्गीय प्रताप नारायण सिंह के सहयोगी रामधनी मौर्या, लालमनी यादव ने चंद्रशेखर जी से जुड़े संस्मरणों को बताया.