यह पोस्ट भले मैंने साल-भर पहले लिखी है लेकिन 13 अक्तूबर 2021 के दिन कोमील्ला के पास एक दुर्गा पूजा के पंडाल में अफवाहो के कारण अजान और कुरान शरीफ को लेकर कोई अफवा फैलने के कारण साठ लोग घायल हो गए और चार लोग अपनी जान गवां चुके यह बंगला देश में रह रहे हिंदू समाज के ऊपर हुए हमले की घटना मै गोआ से नागपुर के प्रवास के दौरान सोशल मीडिया पर देखकर बहुत ही हैरान था !
हमारे उपमहाद्वीप में त्योहारों के समय अक्सर इस तरह के वारदातों को अंजाम देने का काम बरसों से बदस्तूर जारी है ! 24 अक्तूबर 1989 के दिन भागलपुर (बिहार) में भी इसी तरह के अफवाहों के कारण 3000 से भी ज्यादा लोगों की जानें गईं और 300 सौ से भी ज्यादा गाँव युद्ध के जैसे उध्व्स्त हो गए थे और सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की जानमाल की हानि हुई है !
बिल्कुल इसके उल्टा बंगला देश में 13 अक्तूबर 2021 के दिन दुर्गा पूजा के दौरान चार लोग अपनी जान गवां चुके और साठ के आसपास लोग घायल हो गए और सबसे महत्वपूर्ण बात वर्तमान समय की बंगला देश सरकार ने इस घटना को बहुत ही गंभीरतापूर्वक लेकर कारवाही करने का एलान किया है और अभी-अभी मेरे पास फेसबुक पर एक विडियो आया है वह मैमनसिंह नाम की जगह का हजारों की संख्या में मुसलमानों ने कोमील्ला की घटना के खिलाफ जुलुस निकालकर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है और मुझे बंगला देश में हिंदुओं के संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा था कि जबतक शेख हसीना वाजेद सत्ता में है तो वह हमारे लिए बहुत ही सुरक्षित और राहत की सांस दिलाने का काम कर रही है और हमारे लोग सरकार से लेकर ज्यूडिशियरी, पुलिस तथा प्रशासन में काफी अच्छी पोजीशन में है ! और मुझसे बात करने वाले सभी लोग बैरिस्टर तथा बंगला देश में विभिन्न सरकारी पदों पर काम करने वाले ही लोग थे ! जो श्याम के समय फुर्सत निकालकर बंगला देश हिंदू समाज का ऑफिस भी रेग्युलर चलाते हैं ! जो ढाका के धनमंडी इलाके में ढाकेश्वरी देवी का मंदिर परिसर में ही था ! और मुझे काफी रिपोर्टें बंगला देश हिंदू समाज के माली हालत के बारे में दिया है !
कोमील्ला की घटना के बाद स्थानिय बहुसंख्यक समुदाय मुस्लिम समाज के तरफसे यह जो जुलुस निकालकर बंगला देश की सिविल सोसाइटी में आज भी कुछ आशा है ! काश हमारे अपने देश भारत में भी इस तरह के सिविल सोसाइटी की तरफसे पहल शुरू हो इस उम्मीद के साथ मै अपनी एक साल पुरानी पोस्ट को दोबारा इस विडियो के साथ पोस्ट कर रहा हूँ ! क्योंकि आजसे चार दिनों बाद भागलपुर के दंगे को बत्तीस साल हो रहे हैं और उम्मीद करता हूँ कि दोबारा भागलपुर-गुजरात के जैसे दंगे और उनके उपर राजनीतिक रोटियां सेंकने का मौका दोबारा किसिकोभी ना मिले !
बैरिस्टर जिन्ना और बैरिस्टर सावरकर के द्वीराष्ट्र सिध्दांतों का फेल होना यही बंगाला देशका निर्माण होना है ! आज इस एतिहासिक घटना की पचासवी वर्षगांठ का दिन है 1917 को अंदमान की जेल से ही सावरकर ने अपनी हिंदूत्व नामके किताबके हस्तलिखित कापीको बाहर भेजकर धर्म के आधार पर भारत में दो देश हिंदू और मुसलमानों के है यह तर्क करने की वकालत सावरकर ने की है ! कि हिंदू-मुस्लिम दो अलग राष्ट्र है !और बैरिस्टर जिन्ना ने उसी तर्ज के साथ मुल्क का बटवारा सिर्फ़ धर्म के आधार पर किया ! वह भी सावरकर के द्वीराष्ट्र सिध्दांतों के चालीस साल के बाद ! और बैरिस्टर सावरकर जीवित थे ! सबसे चौकानी वाली बात 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण ही कांग्रेस ने देश भर के विभिन्न राज्यों में सरकार बनाने से इन्कार किया था तो 1940 के मुस्लिम लीग के लाहोर प्रस्ताव पारित किया गया उसके बाद सिंधसे लेकर बंगाल तक हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की संयुक्त सरकार बेखटके कायम थी और जिस शामा प्रसाद मुखर्जी का महिमामंडन करने से बीजेपी थकती नहीं है वह फजलूर रहमान चौधरी के मंत्रियों मे शामिल थे और तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को खत लीखकर भारत छोड़ो आंदोलनकारियों से कैसे-कैसे निपटा जा सकता है यह विस्तार से सुझाव दिया है यानी किसी आंदोलन से निपटने की निपुणता इतनी पुरानी है !
उसके बाद वह और सोलह साल जीवित थे ! 1963 को उन्होंने आत्महत्या द्वारा अपने आप को समाप्त किया है ! और दुसरे बटवारे के गुनाहगार बैरिस्टर जिन्ना सिर्फ तेरह महीने जीवित रहे ! 1949 के सितम्बर में मरे है ! और विडंबना देखिए जिस आदमी ने अपनी जी जान से बटवारेका विरोध किया उसकी हिंदुत्ववादी विचारधारा के लोगों द्वारा हत्या की जाती है ! लेकिन इस जमातको महात्मा गाँधी के हत्या करने के लिए साजिश करने केलिए फुरसत मिलती है ! लेकिन बटवारे के खिलाफ कोई एक भी कृती या कार्यक्रम करने की बात क्यों नहीं सूझी ?
तब हिंदू महासभा की उम्र पैतीस सालों से ज्यादा थी , और संघ की उम्र तेईस साल से ज्यादा ! और इनके बौद्धिक प्रमुख बैरिस्टर सावरकर जीवित थे ! तो महात्मा गाँधी के हत्यारे प्रत्यक्ष रूप से हाथोमे हथियार लेकर क्यों बटवारे के खिलाफ मैदान में नहीं उतरे ? यह सवाल मेरे सामने होश आया तबसे बार-बार आते रहता है ! हालाँकि संघ शाखाओमे वीरता का विशेष रूप से ट्रेनिंग दिया जाता है ! वह सिर्फ मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ दंगोमे ही अपनी बहादुरी दिखाने के लिए या छप्पन इंची छाती जैसे बेसिर-पैर की बातें करने के लिए ? जिसमे विश्व का सबसे बड़ा विस्थापन मे दो करोड़ से भी ज्यादा और बिस लाख से भी ज्यादा लोग मारे गये थे ! यह दुनिया कि अबतक कि मनुष्य निर्मित अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई कहाँ तो भी गलत नहीं होगा !
जिस बात को पच्चीस साल पूरे होनेके पहले धर्म के आधार पर भारत के विभाजन करने वाले लोगो के मुहपर झन्नाटेदार तमाचा यानी 26 मार्च 1971 के दिन शेख मुजबुर रहमान का पाकिस्तान से बंगला देश अलग होने की घोषणा !
जिसे आज पचास साल यानी अर्धशताब्दी पुरा हो रहा है ! यह धर्म के आधार पर भारत में भी वर्तमान समय की सत्ता सम्हलने वाली भारतीय जनता पार्टी और उसके मातृसंघटन आर एस एस के लिए बहुत बडा सबक है !
इतिहास की विडंबना देखिए जिस ढाका के नवाब के पहल से मुस्लिम लीग की स्थापना की गयी थी 1906 मे उसी ढाका में शहीद सुराहवर्दी और मौलाना भासानी ने 23 जून 1949 के दिन इस्ट पाकिस्तान अवामी मुस्लिम लीग की स्थापना की है ! जोके मुस्लिम लीग से अलग होकर ! और यही पाकिस्तान के बनने की अपयश गाथा शुरु हो कर 26 मार्च के 1971 के दिन स्वतंत्र बंगाला देशकी शेख मुजबुर रहमान द्वारा की गई घोषणा ! यह सबकुछ बिसबी सदी के अंदर की ही घटनाए हैं ! और काफी सारे लोग पाकिस्तान की 1940 लाहौर घोषणा से लेकर 26 मार्च 1949 के दिन बंगाला देशकी घोषणा के साक्षी रहे हैं ! प्रमुख रूप से भारतके देशप्रेमका ढोंग करने वाले संघ परिवार के गोलवलकर,सावरकर जैसे स्वघोषीत राष्ट्रवादी बहुत ही स्वस्थ जीवन जीने का इतिहास साक्षी है !
शेख मुजबुर रहमान यह गोपालगंज सिविल कोर्ट के क्लर्क पीता शेख लतिफूर रहमान के और माता शेख सायरा खातून के बेटे 17 मार्च 1920 के दिन अविभाजित भारत मे पैदा हुए थे ! मतलब पिछले साल उनकी जन्म शताब्दी का वर्ष था ! और आज अर्धशताब्दी बंगाला देशका निर्माण होने का मतलब बंगबंधु बंगला देश की स्वतंत्रता के समय गिनकर पचास साल उम्र के थे !
शेख मुजबुर रहमान को प्यार से बंगबंधु बोला जाता था ! क्योंकी वह शुरू से ही बहुतही अन्याय अत्यचार के खिलाफ विद्रोह करने वाले रहे हैं ! अपने विद्यार्थी जीवन में ही अन्य साथियों को लेकर अपने स्कूल के अन्यायपूर्ण व्यवहार करने वाले प्रधानाचार्य को हटाने के लिए आंदोलन करने से लेकर 1940 मे ऑल इंडिया मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन और बादमे 1943 मे मुस्लिम लीग!बटवारा होनेके बाद दो साल के भीतर ही पस्चिमी पाकिस्तान की ज्यादती प्रशासन से लेकर भाषा जैसे महत्वपूर्ण सवाल पर दूरियां बढाने का सिलसिला शुरू हुआ ! तो दो साल के भीतर ही पस्चिमी पाकिस्तान की मुस्लिम लीग से अलग होकर शहीद सुराहवर्दी और मौलाना भासानी ने अवामी लीग की स्थापना करके, 1949 मे इस्ट पाकिस्तान को स्वायत्तता दी जाए यह मांग कर के, पस्चिमी पाकिस्तान की दादागिरी का विरोध मुख्य रूप से उर्दू की जबरदस्ती ! आज भी भारत में एक भाषा एक निशाण और तथाकथित हिंदू धर्म के आधार पर भारत को एक सूत्र की बात करने वाले संघ परिवार के स्वंयंसेवक जो इस वक्त प्रधानमन्त्री के हैसियत से ढाका में बंगाला देशकी अर्धशताब्दी समारोह मे हिस्सेदारी करने के लिए गये हैं ! उस मौके पर कुछ उन्हे सिखने की उम्मीद बेकार है क्योंकि बारह महीने चौबीसों घंटे वह चुनाव के मोडपरही रहते है और बगल के पस्चिमी बंगाल और आसाम के चुनावों को देखते हुए वह पूर्व बंगाल के इस कार्यक्रम को भी नहीं भुनायेंगे यह संभावना नहीं है ! वह प्रधानमंत्री कम प्रचारक ज्यादा है !
हालांकि पाकिस्तान की निर्मिती सिर्फ और सिर्फ धर्म के आधार पर भारत को बाटने की थी ! और एक संघटन गत 96 वर्षों से फिर वही गलती दोहरा रहा है,हिंदुओ का हिंदुस्तान !
इससे ज्यादा अंधेपन का उदाहरण और क्या हो सकता है ? और भाषा,खान पान रहन-सहन यह भारत जैसे विशाल देश की एक अलग पहचान है ! , यह स्वीकार करना तो दूर जोर जबरदस्ती से हिंदी से लेकर तथाकथित नागरिकता कानूनों से लेकर कश्मीर की और दिल्ली की स्वायत्तता को खत्म करने के तुघलकी निर्णयों को देखते हुए आज ही तमिलनाडु में द्रविड़ संस्कृति को लेकर सशक्त आंदोलन शुरू हो चुका है ! और इसी तरह केरल से लेकर कश्मीर तक केंद्र सरकार के तरफसे की जा रही ज्यादतियों को देखते हुए मुझे आज बंगला देश की स्वतंत्रता के अर्धशताब्दी की खुशी के साथ भारत के एकता-अखंडता की भी चिंता सता रही है !
बंगाल के शहीद सुराहवर्दी 1963 को मरने के बाद शेख मुजबुर रहमान अवामी लीग के मुख्य नेता बन कर उभरे थे ! पाकिस्तान के जनरल आयुबखान की तानाशाही के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में मार्शल लाॅ के खिलाफ और जनतंत्र और स्वायत्तता को लेकर जबरदस्त आंदोलन शुरू करने मे शेख मुजबुर रहमान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! और उसी को देखकर पाकिस्तान की सेना द्वारा बंगाला भाषी लोगों पर अत्याचार और महिलाओ के उपर बलात्कार करने की तो हदे पार कर दी ! ढाका विश्वविद्यालय के बुद्धिजीवियों से लेकर बंगला भाषा के कवि,लेखक,पत्रकार एक तरह से बंगाल की सांस्कृतिक और बौद्धिक पीढी को खत्म करने की कोशिश की है जिसमें लाखो लोग मारे गये थे और हजारों महिलाओं का बलात्कार करने की पाकिस्तान सेना का गुनाह कभी भी भूल नहीं सकते !
इसी अफरा तफरी के माहौल में आयुबखान ने 1970 के जनरल इलेक्शनकि घोषणा की थी ! और उस चुनाव में शेख मुजबुर रहमान की अवामी लीग पार्टी को बहुमत मिला!लेकिन उन्हें सरकार बनाने के लिए आनाकानी करने लगे!उल्टा शेख मुजबुर रहमान को जेल मे डाल दिया ! और झुल्फिकार भुट्टो की पार्टी का अल्पमत होंने के बावजूद वह चुनाव के नतीजे नही मानते हुये पाकिस्तान में गृह युद्ध शुरू हो गया ! और इस कारण शेख मुजबुर रहमान को 26 मार्च 1971 के दिन पाकिस्तान से अलग बंगला देश की स्वतंत्रता की घोषणा करनी पड़ी ! जिस युद्ध में भारत को भी मदद करनी पडी ! क्योकि पाकिस्तान सेना की ज्यादतीयोके कारण करोडो कि संख्या में बंगला देश से शरणार्थियों की भीड भारत में आ रही थी ! जिससे भारत की आर्थिक-सामाजिक स्थिति बिगडने लगी थी ! इसलिए मजबूर हो कर भारत की सेना को बंगाल के मोर्चे पर कार्रवाई करनी पडी ! और जनवरी 1972 के दिन स्वतंत्र बंगाला देशकी प्रधानमंत्रि की शपथग्रहण शेख मुजबुर रहमान द्वारा, श्रीमती इंदिरा गाँधीजी की उपस्थिति में ली गई है ! और भारत के साथ पच्चीस साल का मैत्री के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए !
लेकिन 15 अगस्त 1975 के दिन शेख मुजबुर रहमान और उनकी पत्नी तीन बच्चों और उनकी दस साल की बिटिया शेख रसेल की सेना के एक कर्नल द्वारा प्रधानमंत्री आवासमे घुसकर हत्याओं को अंजाम दिया था !,और वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी छोटी बहन रेहाना विदेशमे पढने के लिए थे इसलिये बच गये !
उसके बाद बंगलादेश में भी पाकिस्तान जैसे सेना का दबदबा होने के कारण मार्शल लाॅ लगाने वाले भी आये गये ! लेकिन गत पंद्रह वर्ष से शेख मुजबुर रहमान की बेटी शेख हसीना वाजेद चुनाव के द्वारा सत्ता में है ! तो उम्मीद करते हैं कि बंगला देश की सांप्रदायिक शक्तियों का मुकाबला करने की जी तोड कोशिश कर रही है ! क्योंकी मै खुद 2015 मे एशियन सोशल फोरम के कार्यक्रम के लिए ढाका विश्वविद्यालय के प्रांगण में एक हप्ते के लिए बंगला देश होकर आ रहा हूँ और एक दिन ढाका के धनमंडी इलाके में रह रहे हिंदूओके साथ और बंगला देश मे रह रहे हिंदू ओके संगठन के कार्यालय जोके धनमंडी इलाके के ढाकेश्वरी देवी के मंदिर के अहाते में है तो मैंने उसके पदाधिकारियों के साथ दो घंटे से ज्यादा समय बातचीत की है और उनके कहने का अर्थ है कि जब-जब शेख मुजबुर रहमान और अब उनकी बेटी शेख हसीना वाजेद सत्ता में है तो हिंदू बहुत ही सुरक्षित महसूस करते हैं और उनकी वजह से पुलिस से लेकर प्रशासन में काफी महत्वपूर्ण पदों पर हिंदू है कई-कई तो न्याय व्यवस्था मे और बंगला देश की संसद तथा मंत्री के पदों पर है !
अकेले ढाका शहर में पचास लाख हिंदू है और बंगला देश के अलग-अलग हिस्सों में कुल मिलाकर तीन करोड़ हिंदू आज भी बंगला देश मे रह रहे हैं यह तथ्य बंगला देश हिंदू संगठन के कार्यालय में बैठे अधिकारियो के हवाले से लिख रहा हूँ ! और सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने मुझे हाथ जोड़कर कहीं थी कि आप भारत वापस जाने के बाद भारत के हिंदुत्ववादी विचारधारा के संगठनों को जरूर बताएं कि जब-जब आप भारत में रह रहे मुसलमानोंको तकलिफ देते हो उन्होंने बाबरी मस्जिद,भागलपुर और गुजरात दंगों के उदाहरण दिया था! तब-तब बंगला देश के मुलत्ववादी मुसलमानों द्वारा हमारे उपर हमले हुए हैं तो आप भारत के मुलत्ववादी हिंदू संगठन के लोगों को हमारे तरफसे इतनी बात जरूर बताएं !
और मैंने बंगला देश की यात्रा के बाद हेडगेवार विचार मंच नागपुर ने अखबार की खबर के हवाले से मुझे फोन कर के पूछा कि आप बंगला देश होकर आये हो तो आप हमारे मंचपर आकर अपने अनुभव बताएं और मैंने भी लगे हाथ यह मौका लिया और मेरे उस कार्यक्रम में मुख्य रूप से बंगला देश लडाई में भाग लिये सेना और वायु सेना के अधिकारी ज्यादा थे ! मै अपने आदत के अनुसार बंगला देश के हिंदूओ ने जितनी रिपोर्टें और अन्य जानकारी दी है ऐसे सभी पेपर्स लेकर बोला और शुरूआतमेही मैंने कहा कि बंगला देश के हिंदू ओने मुझे विशेष रूप से आप लोगों से मिलना और हमारे तरफसे यह कहना है कि जब जब आप लोगों के कारण भारत की मुस्लिम आबादी असुरक्षित कि गई तब तब उसके प्रतिक्रिया स्वरूप हमारे उपर हमले हुए हैं अन्यथा हम लोग यहाँ पर आजकल शेख हसीना वाजेद सत्ता में है तो हिंदू बहुत ही सुरक्षित महसूस करते हैं और उनकी यही बात आप लोगों से मिलकर बताने हेतु मैं भी आया हूँ अब आप लोगों की प्रतिक्रिया के लिए मैं उत्सुक हूँ ! आश्चर्य की बात है कि इतने सारे सेना के अधिकारी और अन्य संघ के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों ने एक ने भी मुंह नहीं खोला ! और उम्मीद करता हूँ कि बंगला देश की स्वतंत्रता की अर्धशताब्दी समारोह के आगे आने वाले पचास साल यानी शताब्दी का वर्ष आने तक बंगला देश की स्वतंत्रता अक्षुण्ण रहे और मै खुद भारत-पाकिस्तान-बंगला देश मैत्री महासंघ का एक सचिव होने के नाते तीनों देशकी आपसी सहयोग और दोस्ती और दुरूस्त करने की आवश्यकता है ! सिर्फ इन देशों की सरकारों के भरोसे छोड़ कर नहीं चलेगा ! क्योकि सभी राजनीतिक दलों के अपने-अपने देशोमे चुनाव जीतने की प्राथमिकता होती है ! और उसके कारण आपसी द्वेष पर भी चुनाव जीतने की मजबूरी कहिये या मक्कारी कहिये इसमें कोई भी दुध का धुला नही है ! इसलिए तीनों देशकी सामान्य जनता की पहल से ही सही प्रक्रिया चल सकती है और हम सब उसी दिशा में अपने फोरम की तरफ से कोशिश कर रहे हैं !