साल 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी ने सोमवार को कहा कि दुनिया के सबसे गरीब लोगों को ध्यान में रखकर किए गए काम को इतना प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलने पर वो खुश हैं.
आपको बता दें कि अभिजीत बनर्जी को ये पुरस्कार उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से मिला है. उन्हें यह पुरस्कार वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए उनके शोध कार्यों के लिए दिया गया है.
नोबेल प्राइज डॉट ओआरजी को दिए इंटरव्यू में बनर्जी ने कहा कि यह पुरस्कार इस तथ्य को प्रतिबिंबित करता है कि ‘‘हम कभी कभी सबके भले की बात करते हैं. लेकिन ये कुछ ऐसा है जिस पर ऐसे पुरस्कार के मामले में हमेशा ध्यान नहीं दिया जाता है.’’ उन्होंने कहा कि वो खुश हैं कि इस ओर भी कुछ ध्यान दिया गया है.
अभिजीत बनर्जी ने कहा कि उनका मानना है कि अन्य जिन सभी बातों के लिए उन्हें पुरस्कार मिला है, वो उतनी महत्वपूर्ण नहीं है. लेकिन इस बात को पुरस्कार मिलना इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करेगा. दुनिया में बहुत लोग हैं, जो असल काम करते हैं, वो हमारी तरह नहीं हैं. ये असल काम करने वाले लोगों को सम्मानित करने वाला पुरस्कार है.
21 साल बाद अर्थशास्त्र का नोबेल किसी भारतीय को मिला
एस्थर डुफ्लो प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं. 21 साल बाद अर्थशास्त्र का नोबल किसी भारतीय मूल के अर्थशास्त्री को मिला है, इससे पहले 1998 में प्रोफेसर अमर्त्य सेन को ये सम्मान मिला था.
कौन हैं अभिजीत बनर्जी?
अभिजीत बनर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ, उनके माता-पिता भी अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे. उनके पिता कोलकाता के मशहूर प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे. अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी में शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद अर्थशास्त्र में एमए के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गए.
सके बाद उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में साल 1988 में पीएचडी की. 58 साल के अभिजीत बनर्जी फिलहाल अमेरिका की मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. अभिजीत और इनकी पत्नी डुफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के को-फाउंडर भी हैं. बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं.
लगातार अर्थशास्त्र पर लेख लिखने वाले अभिजीत बनर्जी ने चार किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताब पुअर इकनॉमिक्स को गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब भी मिला. अभिजीत ने दो डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी सेवाएं दी हैं.