अब ताले डलवा कर ही मानोगे क्या…?

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ख़ान आशू

पार्टी का बट्ठा बैठाने वाले के नाम पर अब तक कोई और राज करता आया है….! बरसों दिल्ली की खाक छानने के बाद प्रदेश में आए काका जी ने इस कहावत को चरितार्थ करने की ठान ली है शायद….! ताले खुलवाई से भूमिपूजन और शिलान्यास से लेकर बैक सपोर्ट की हर छिपी कहानी उनके सामने भी उजागर ही है, जिनसे हक के साथ नब्बे फीसदी वोट मिलने की अपेक्षा हर चुनाव करते आए हैं….! छितरे हुए ज़खमों और ठंडी हो चुकी चिंगारी को महज श्रेय लेने की कुत्सित कोशिश में काका जी ने जो हड़बड़ाहट भरी हवा दी है, उसे फायदे का तो बिल्कुल नहीं, नुक़सान का बड़ा कारण बनने की उम्मीद की जा सकती है….!
संगठन को तबाह, हाथ अाई सरकार को बर्बाद और सिर पर खड़े उप चुनाव को मलियामेट कर चुके काका जी अब प्रभु चरण में नौटंकी की माथा टिकाई
पर उतारू हैं…! बेमौसम सॉफ्ट हिंदुत्व की पीपडी बजा रहे काका जी को अफसोस रहेगा कि उनकी सियासी भक्ति से न खुदा ही मिलने के आसार हैं और न ही विसाल ए सनम….!
एक स्थाई वोट बैंक की मजहबी भावनाओं को उकसा कर उन्होंने पार्टी बरबादी के ताबूत में शायद एक कील और ठोक ली है…! जिन्हें खुश करने के लिए श्रेय की छाती ठोकी गई है, वह अपनी पांच सौ बरस की आस्था पूरी करने वाली पार्टी के साथ खुश है, बहुत खुश….! वह आपकी सियासी भक्ति की आरती थाल से खुद का माथा उज्जवल करने वाले नहीं….! अल्प तादाद वाले जिन लोगों को एक बयान से रूष्ट किया है, उनकी नाराजगी आपकी अल्प ग्रह्यता को बड़ा नुक़सान पहुंचाने वाली साबित हो सकती है….!

पुछल्ला
राजधानी के सिंघम….!
सीएम हाउस के ऐन सामने दमन का अजब गजब खेल करने वाले राजधानी के सिंघम को लेकर गुपचुप नाराज़गी बरकरार है। सोशल मीडिया से लेकर अखबार और न्यूज चैनल तक में मामला गूंज रहा है। “गूंगे बाहर चीख रहे हैं, बहरे अंदर बैठे हैं…” की तर्ज पर जिम्मेदारों के कानों तक न आवाज़ पहुंची, ना मामले के दोषी को तलब किया गया और न ही उसके लिए किसी सजा का कोई फरमान जारी किया गया।

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