सबसे पुरानी सियासी पार्टी की मप्र इकाई के मुख्यालय में पिछले कुछ समय से सक्रियता दिखाई दे रही है…! किसानों की समस्याओं से लेकर उनके कर्जों की स्थिति खंगाली जा रही है….! बिजली बिल के लिए परेशान लोगों का डाटा भी जुटाया जा रहा है…! प्रदेश की अवाम की आम मुश्किलों का लेखा जोखा भी तैयार किया गया है…! खास काम के तौर पर एक खास शाखा को वजूद में लाया गया है…! नजर उप चुनाव वाली सीटों पर है… हारे लोगों की कुंडली, जीत सकने वाले प्रत्याशियों का आंकलन, यहां सत्ता रूढ़ दल की तरफ से पेश किए जाने वाले उम्मीदवार की खासियतें और कमियां, क्षेत्र के लोगों का फीडबैक, इन इलाकों में मौजूद बड़े से लेकर जमीनी स्तर तक के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों की राय को कलमबंध किया जा रहा है…!
सक्रियता, सहजता, मिलनसारिता, सबको सम्मान, सबका आदर, सबकी सुनवाई, सबकी भागीदारी की ये गंगा तब बहाई गई होती, जब पन्द्रह बरस का वनवास काल काट कर भोपाल रूपी अयोध्या में विजय पताका लहराई गई थी, तो आज ये हाल न होते, ये मशक्कत न होती, ये कवायद दोहराने की नौबत न अाई होती….!
बरसों बरस के अरमान कलेजे में दबाए बैठे कार्यकर्ताओं के हिस्से अाई दुत्कार, अपने हक का संगठन पद पाने की लालसा को लीलते पदाधिकारी, जीत कर भी हारने जैसे हालात से जूझते विधायक, पद का तमगा थामे कद के लिए तरसते मंत्री… सत्ता रूपी जहाज़ डूबने के कुछ कारणों का अंश मात्र हैं…! दिल्ली की बरसों की कारपोरेट सियासत को भोपाल की पथरीली राजनीति से घालमेल करने की कोशिश ने अविश्वास, असमंजस, अस्थिरता और भविष्य में सामने आने वाली अकर्मण्यता के हालात से दो चार करवा दिया…! पन्द्रह माह में हाथ से फिसली सरकार अगले पन्द्रह चुनाव भी हाथ अा पाएगी, इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं…. भले मुख्यालय में सक्रियता से आम जन, किसान और परेशानियों का सारा खाका बटोरते रहने के पचास प्रयास किए जाते रहें….!
पुछल्ला
माफी से गुनाह कम तो नहीं हो गया…!
शहर की बीमार नब्ज़ पर दवाओं का मरहम रखने की मानवीय भूमिका निभाई करने वालों के अगुवा की एक तुगलकी गलती ने उसका असल चेहरा उजागर कर दिया। एक कौम खास के त्यौहार को अपनी कुत्सित मानसिकता का सहारा बनाने वाले ने शहर के लाखों बीमारों को मौत की आगोश में धकेलने की तैयारी कर डाली। अपने मन मुताबिक काम होने उसने सदस्यों को धमकाने से भी गुरेज नहीं किया। समय पर जागा प्रशासन और हर मोर्चे से उठती विरोध की आवाज़ ने फैसला तो बदल दिया, लेकिन लाखों लोगों की जान से खिलवाड़ करने की मंशा, शहर की गंगा जमुनी तहजीब को धक्का लगाने की कोशिश और जिन्होंने चुना उन्हें भून डालने की धमकी देने वाले के लिए किसी सजा के प्रावधान की दरकार शहर को अब भी है।
खान अशु
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