दागी सांसदों को टिकट देने को लेकर हर बार राजनीति गर्माती है लेकिन फिर भी वही दागी चुनाव जीतकर संसद में पहुच जाते हैं. मगर इस बार तो हद हो गई. जिस संसद में तीस प्रतिशत सांसद दागी हैं, उसी संसद को सुप्रीम कोर्ट ने दागियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कानून बनाने को कह दिया है. एक याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मात्र आरोप पत्र दाखिल होने से हम किसी भी दागी को चुनाव लड़ने से रोक नहीं सकते.
हां, उन्होंने ये जरूर कहा कि जो दागी चुनाव लड़ेगा, उसे ये सार्वजनिक रूप से बताना होगा कि किस-किस प्रकार के मुकदमे उस पर चल रहे हैं और किस-किस प्रकार के गुनाह उस पर दाखिल हो चुके हैं. वर्तमान संसद में 230 दागी सांसद हैं. यदि हम लोकसभा और राज्यसभा की बात करें तो लोकसभा में 179 दागी सांसद हैं, उनमें से 114 पर गंभीर आपराधिक प्रकरण हैं. राज्यसभा में 51 सांसद दागी हैं, उनमें से 20 ऐसे हैं जिनके ऊपर गंभीर आरोप हैं.
यदि पार्टी वाइज बात करें तो भाजपा के 107 दागी सांसद हैं, उनमें से 64 पर गंभीर आरोप हैं. कांग्रेस के 15 दागी हैं, जिनमें से आठ पर गंभीर आरोप हैं. यदि राज्यों की बात करें तो झारखण्ड ऐसा राज्य है, जहां 63 प्रतिशत विधायक दागी हैं. नॉर्थ ईस्ट के जो पांच राज्य हैं, वहां दागियों का प्रतिशत न के बराबर है. सबसे शर्मनाक बात ये है कि सांसद और विधायकों में 48 ऐसे लोग हैं, जिनके ऊपर महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.
खबर के पीछे की खबर ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने ये जरूर कहा कि दागियों को चुनाव लड़ने से पहले अपने ऊपर जितने भी आरोप है और मुकदमे चल रहे हैं, उसे सार्वजनिक करना होगा. लेकिन क्या ये हमारे देश में एक बड़ा मजाक नहीं है कि हमारी राजनीतिक पार्टियां दागियों को ही चुनाव लड़वाती हैं, क्योंकि वो जिताऊ उम्मीदवार होते हैं. राजनीतिक पार्टियां सत्ता के हवस में दागियों को अपने नजदीक करते हैं. अब ये मतदाताओं पर निर्भ करता है कि वे दागियों को चुनाव में जितवाने के पहले उन्हें दरकिनार कर दें.