पिछले साल 8 नवंबर को देश के प्रधान सेवक नरेंन्द्र मोदी ने देश में छिपे हुए काले धन को बाहर निकालने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया था जिसके बाद पूरे देश में मानो मुद्रा संकट की शुरुआत हो गयी थी. बाद में जैसा कि प्रधानमन्त्री ने कहा था ठीक वैसा ही हुआ और 50 दिन में हालात सामान्य हो गये. लेकिन नोटबंदी को एक साल गुजरने के बाद आज भी देश की जनता के मन में एक सवाल रह गया है कि आखिर नोटबंदी से देश को क्या फायदा मिला क्योंकि ना तो पेट्रोल के दाम घटे हैं और ना घरेलू गैस के. ऐसे में नोटबंदी का मतलब क्या हुआ.
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इस नोटबंदी के बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था. विपक्ष की मांग थी की सरकार इस फैसले को वापस ले. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जानकारी के मुताबिक़ नोटबंदी के एक साल होने के बाद अब सरकार एक बार फिर से ऐसा कोई बड़ा ऐलान करने वाली है जिसे रोडमैप की तरह देखा जा रहा है. अब ऐसे में देश की जनता को डरना चाहिए या फिर सामान्य रहना चाहिए यह तो वक्त ही बताएगा.
बता दें कि 10 नवंबर को केंद्रीय मंत्रियों की बैठक तय कार्यक्रम के अनुसार बुलाई गई है. कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति के खिलाफ अगले कदम से जुड़ी योजना पर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या नोटबंदी का फैसला देश को कालेधन से निजात दिलाने के लिए काफी नहीं था जो एक बार फिर सरकार कालेधन पर प्रहार करने के लिए कुछ नया पेश करने जा रही है. क्या सरकार को इस बात पर यकीन हो गया है कि नोटबंदी का फैसला देश के हित में नहीं था. अब देश की जनता की निगाहें एक बार फिर से सरकार पर टिकी हुई हैं और देशवासियों को उम्मीद है की अब शायद महंगाई से कुछ राहत मिलेगी.