विवादों के केंद्र गायत्री प्रजापति से अमेठी आक्रांत है. एक तरफ तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके अनुज शिवपाल यादव हर दिन मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों द्वारा जमीन पर अवैध कब्जा करने में लगे होने की शिकायत भी करते हैं और ऐसे नेताओं को संरक्षण भी देते हैं. यही नेता समाजवादी पार्टी का भट्ठा भी बैठा देंगे.
ताजा मामला अमेठी से विधायक व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति द्वारा जमीन कब्जाने को लेकर है. मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी के बाद पुनः वापसी कर अपने आपको और दमदार समझने वाले भ्रष्टधन्य गायत्री प्रसाद प्रजापति अपनी मां गया देवी के नाम डिग्री कॉलेज का निर्माण अमेठी के बाईपास स्थित बघवरिया गांव में करा रहे हैं. वहां इन्हीं की जमीन से सटी बनमानुष जाति (महादलित) के राम फेर पुत्र झुरहू का 8 बिसवे का रकबा भी है. जोकि अब धीरे-धीरे मंत्री गायत्री प्रजापति के पुत्रों द्वारा महाविघालय परिसर के अंदर कर ली गई है और राम फेर को पुलिस द्वारा प्रताड़ित करवाकर वहां से भगा दिया गया है.
बताते चलें कि रामफेर को कुछ सालों पहले इंदिरा आवास प्राप्त हुआ था. जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहता था और दोना-पत्तल बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण भी करता था. राम फेर के परिवारीजनों का आरोप है कि गायत्री व उनके पुत्रों द्वारा हमारी सारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है. जब हम लोगों ने इसका विरोध किया तो गायत्री के पुत्र अनिल प्रजापति व उनके गुर्गो ने मेरे पूरे परिवार को मारा पीटा व मेरे घर पर कब्जा करके हम लोगों को घर से बेघर कर दिया. हम लोग किसी तरह वहां से भागकर पुलिस के पास पहुंचे तो अमेठी पुलिस हमारी मदद के बजाय उलटे हमें ही जेल भेजने की धमकी देने लगी और कहा कि जमीन मंत्री जी के नाम कर दो और यहां से पलायन कर जाओ. पीड़ित ने इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग से लेकर अमेठी के सभी आलाधिकारियों से की. परंतु मंत्री के हनक के आगे किसी ने भी मदद के लिए हाथ नहीं उठाया.
इतना ही नहीं इसी महाविद्यालय से जुड़े बैंक कर्मी हौसला तिवारी की 14 बिसवा जमीन भी महाविद्यालय परिसर के अंदर जबरदस्ती ले ली गई है. जब इसकी शिकायत हौसला ने पुलिस से की तो हौसला के साथ भी पुलिस प्रशासन ने वही बर्ताव किया जो मंत्री के दबाव में अन्य के साथ करती आ रही है. पीड़ित हौसला तिवारी ने बताया कि जब कॉलेज का निर्माण शुरू हुआ तो पूर्व दिशा में हमारी नाली गई थी. जिसमें ट्यूबवैल का पानी जाता था. उसे तोड़कर उस पर पिलर बना दिया गया. उसके बाद उत्तर दिशा में निर्माण शुरू हुआ वहां भी हमारी चक पड़ती थी. जब मैंने विरोध शुरू किया तो उन्होंने कहा यह सब मेरा है. हौसला ने बताया कि जो गाटा संख्या 115 है वह तालाब में दर्ज है. उसको कब्जा करते हुए मेरा गाटा संख्या 112 भी कब्जा कर लिया गया और 32 फुट डामर रोड भी बना ली गई. जब मैंने इसकी शिकायत प्रशासन से की तो उलटे मुझे ही धमकी देकर व डांटकर भगा दिया गया. निर्माण के समय मैंने इस पर अदालत का स्थगन आदेश भी लिया है. परंतु न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है. हौसला ने निराश होकर कहा इसकी शिकायत मैंने अमेठी के आलाधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक की परंतु कहीं से भी कोई सुनवाई नहीं हुई.
तीसरा ताजा मामला सुल्तानपुर मार्ग पर दुर्बल आयवर्ग के अंतर्गत दलित शिवकुमार सरोज के भूखंड पर अवैध कब्जे का है. शिवकुमार सरोज को 2009 में नगर पंचायत अमेठी द्वारा दुर्बल आयवर्ग का भूखंड संख्या एफ-71/1 आवंटित किया गया जो अभी भी शिवकुमार के नाम आवंटित है. परंतु इसी भूखंड पर दूसरे समुदाय की महिला मकान का निर्माण करवा रही है जब इसकी सूचना शिवकुमार के पुत्र अभय कुमार को मिली तो अभय ने मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य रोकने की बात कही. फिर भी जब निर्माण कार्य नहीं रुका तो अपनी फरियाद लेकर अभय अमेठी प्रशासन के पास पहुंचा जहां उसे भी वही मिला जो अन्य फरियादियों को मिलता आया है. पीड़ित अभय ने बताया कि मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के सिपहसलार विजय पाल उपाध्याय ने हमें जमीन छोड़ देने की धमकी दी थी. जब हमने उनकी धमकी पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने जबरदस्ती दूसरी समुदाय की महिला के द्वारा अवैध रूप से कब्जा करवाना शुरू कर दिया.
जिसके बाद मैंने उपजिलाधिकारी अमेठी व प्रभारी कोतवाली अमेठी से न्याय की गुहार की. बदले में मुझे इन अधिकारियों द्वारा जेल भेजने की धमकी भी दी गई. इतना ही नहीं मैं न्यायालय से स्थगन आदेश भी लाया. बावजूद इसके पुलिस प्रशासन न्यायालय के आदेश को ताक पर रख कर मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का पक्ष ले रही है. अब गायत्री प्रसाद प्रजापति व उनको पुत्रों का तांडव अमेठी की जनता के लिए तो असहनीय हो रहा है साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के गले की फांस भी बनता नजर आ रहा है. इस तरह गायत्री प्रसाद प्रजापति जमीन पर अवैध कब्जा करने व भ्रष्टाचार का दूसरा नाम बन गया है.