महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके स्थित लातूर में पानी की कमी की वजह से इस साल 10,000 से ज्यादा गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं होगा. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि हर साल लातूर में जिन छह स्थानों पर सार्वजनिक पंडालों और घरों में प्रतिष्ठापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन होता था, वहां अब एक बूंद भी पानी नहीं है. लातूर के जिलाधिकारी जी. श्रीकांत ने बताया कि प्रतिमा विसर्जन न करने का फैसला जन जागरूकता की वजह से लिया गया और इसे अंतिम रूप शहर के गणेश मंडलों की बैठक के बाद दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘यह फैसला केवल पानी की कमी की वजह से नहीं लिया गया. बड़े मंडल एक ही प्रतिमा को तीन से चार साल तक दोबारा स्थापित कर रहे हैं. यह मंडलों का सामूहिक निर्णय है.’ नगर निगम ने इन प्रतिमाओं को मंदिरों में रखने की व्यवस्था की है.
जिलाधिकारी ने कहा, ‘अगर प्रतिमाओं को दोबारा स्थापित या इनका पुनर्चक्रण किया जाता है तो यह जल संकट का सामना करने का सबसे बेहतर उपाय होगा.’उन्होंने कहा, ‘हमने लोगों से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरह गणेश प्रतिमाओं को घर में विसर्जित करने को कहा है. मैं भी घर पर ही गणेश प्रतिमा का विसर्जन करूंगा.
लातूर के एक स्थानीय इतिहासकार ने कहा कि मुंबई से करीब 500 किलोमीटर दूर स्थित शहर में एक सदी से अधिक समय में यह पहला मौका है जब गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जाएगा.
बता दें कि कल अनंत चतुर्दशी है और महाराष्ट्र में 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का कल समापन हो जाएगा. लाखों की तादाद में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नदी, तालाबों, समुद्र और पोखरों में किया जाता है. पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब भी बनाए जाते रहे हैं. इसके अलावा आजकल इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का भी चलन हो गया है जिनका विसर्जन घर में ही किया जा सकता है.