कहते हैं, कोई भी दरबार नवरत्नों के बिना नहीं शोभता. इतिहास के पन्नों को अगर पलटें तो महान मुगल बादशाह अकबर के दरबार में विराजमान नवरत्नों ने बादशाह अकबर को न केवल अकबर महान बनने में, बल्कि दुनिया भर में अपनी कीर्ति फैलाने में अपना पूरा सहयोग दिया. अलग- अलग क्षेत्रों में बेमिसाल ये नवरत्न अकबर के पूरे शासनकाल की रीढ़ बने रहे. वर्तमान की बात करें तो ठीक इसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चार साल के अभी तक के कार्यकाल में बिहार के खाते में आई उपलब्धियों में परदे के पीछे उनके नवरत्नों का भी पसीना बहा है. भले ही इन नवरत्नों में कामों का बंटवारा मौखिक ही हो पर इन नवरत्नों ने अपने-अपने कामों को बखूबी अंजाम देने में रात-दिन का फर्क मिटा दिया. मामला चाहे प्रशासनिक हो या फिर राजनीतिक, दैनिक दिनचर्या से लेकर मेहमानों की खातिरदारी तक के काम में इन नवरत्नों का दिमाग़ लगता है.
देश-दुनिया में बिहार और मुख्यमंत्री की छवि उभारने का जिम्मा भी इन्हीं नवरत्नों के ही हवाले है. कई मंत्रियों, अधिकारियों एवं मतलबी दरबारियों को भले ही इन नवरत्नों की भूमिका रास न आती हो पर परदे के पीछे के ये हीरो चाहते हैं कि अपनी पूरी क्षमता से नीतीश कुमार को सहयोग करते रहें, ताकि बिहार देश का नंबर एक राज्य बन सके.
नीतीश कुमार के नवरत्नों में पहला नाम रामचंद्र प्रसाद का है. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रामचन्द्र प्रसाद को लोग आरसीपी के नाम से ज़्यादा जानते हैं. आरसीपी नीतीश के दरबार के पुराने रत्नों में से एक हैं. नीतीश कुमार के कृषि मंत्री, भूतल परिवहन मंत्री और रेलमंत्री के कार्यकाल में आरसीपी उनसे जुड़े रहे. यही कारण है कि लो प्रोफाइल रहने वाले आरसीपी इस समय नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद अधिकारी हैं. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के राजनीतिक एवं सरकारी स्तर पर गोपनीय कार्य के साथ गृह एवं कार्मिक विभाग के अहम फैसलों में भी आरसीपी नीतीश कुमार को सहयोग करते हैं. बड़े अधिकारियों के तबादलों पर भी आरसीपी की नज़र रहती है. उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी आरसीपी साए की तरह नीतीश कुमार के साथ रहते हैं.
आरसीपी पर नीतीश कुमार का भरोसा कई मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के लिए जलन का कारण बना हुआ है. आरसीपी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का काम करें या नहीं करें, किन्तु व्यवहार से सबको खुश किए रहते हैं. इससे मुख्यमंत्री को राजनीतिक फायदा भी होता है. उन्हें बिहार में अपने पास रखने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश के साथ केन्द्र सरकार से भी सिफारिश करनी पड़ती है.
नीतीश कुमार के नवरत्नों में पहला नाम रामचंद्र प्रसाद का है. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रामचंद्र प्रसाद को लोग आरसीपी के नाम से ज़्यादा जानते हैं. आरसीपी नीतीश के दरबार के पुराने रत्नों मे से एक हैं और उनके सबसे भरोसेमंद अधिकारी हैं.
नवरत्नों में दूसरे नंबर पर चंचल कुमार हैं. मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. मधुबनी के रहने वाले चंचल कुमार नालंदा सहित कई ज़िलों में कई वर्षों तक ज़िलाधिकारी के रूप में तैनात रहे हैं. रेल मंत्री के पूरे कार्यकाल में नीतीश कुमार के साथ रहे हैं. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना जनसम्पर्क, विधि, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, समाज कल्याण, पंचायती राज, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, वित्त श्रम संसाधन एवं कला संस्कृति विभाग से संबंधित निर्णय लेने में चंचल कुमार की राय को तवज्जो देते हैं. रेल मंत्री के कार्यकाल में नीतीश कुमार का भरोसा जीतने वाले चंचल कुमार कार्यकर्ताओं एवं नेताओं से भी बहुत सहजता से मिलते हैं. तीसरे नवरत्नों में सिद्धार्थ का नाम आता है. चंचल कुमार स्टडी अवकाश पर जब अमेरिका गए थे, तो उनके स्थान पर उन्हें रखा गया. अपनी ईमानदारी व निष्ठा के कारण एक साल में ही वे मुख्यमंत्री के काफी क़रीबी हो गए. चंचल कुमार जब अमेरिका से वापस लौटे तो मुख्यमंत्री ने उन्हें भी पुन: अपने साथ रख लिया. देखने में आया है कि सिद्धार्थ मूलभूत संरचना से जुड़े विभागों पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हैं. सिद्धार्थ अधिकारियों में काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन कुछ मंत्री, विधायक, सांसद एवं कार्यकर्ता उनसे नाराज़ रहते हैं. सभी लोगों से मिलने-जुलने से परहेज न करने वाले सिद्धार्थ तस्वीरें उतारने का भी शौक रखते हैं. गोपाल सिंह मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी हैं. राजस्थान के रहने वाले हैं. फॉरेस्ट सर्विस से आए हैं. मुख्यमंत्री को अपने राज्य के पर्यावरण और मौसम विभाग से ज़्यादा गोपाल सिंह पर भरोसा है. हमेशा मुस्कुराते रहते हैं. क्या मंत्री और क्या संतरी, सांसद, विधायक से लेकर कार्यकर्ता तक सभी लोग गोपाल सिंह से खुश रहते हैं. राज्य में वर्षा होगी या नहीं, गरमी पड़ेगी या ठंड. नदियों में बाढ़ आएगी या नहीं. बांध कहां से टूटने की आशंका है, मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी गोपाल सिंह ही देते हैं. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री उनसे पर्यावरण एवं वन, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, कृषि, सहकारिता, पशु एवं मत्स्य संसाधन, निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग से जुड़े मामलों पर राय लेते हैं. उनके बाद नंबर आता है साकेश प्रसाद सिंह का. हमेशा चमकता व मुस्कुराता चेहरा. साकेश प्रसाद सिंह मुख्यमंत्री के आप्त सचिव हैं. उन्हें लोग एसपी सिंह के नाम से जानते हैं. दिल्ली में वित्त विभाग के अधिकारी सिंह शेखपुरा ज़िले के रहने वाले हैं. मुख्यमंत्री के हर प्रकार के कार्यक्रम एवं अतिथियों से मिलने-जुलने का समय यही तय करते हैं. उनके इजाज़त के बग़ैर मुख्यमंत्री से कोई नहीं मिल सकता, क्योंकि सब कुछ उनके हाथ में है. अपने काम को अंजाम देने में एसपी सिंह नीतीश कुमार की पसंद और नापसंद का पूरा ख्याल रखते हैं. विकास कार्यों में अपनी भूमिका के संबंध में पूछे जाने पर वह कहते हैं कि यह सब टीम वर्क का परिणाम है. मुख्यमंत्री ईमानदारी से बिहार के विकास कार्य में लगे हैं. इसमें तो हमलोग एक छोटा सा अंग हैं. आज जो बिहार का विकास दर बढ़ा है वह टीम भावना एवं मुख्यमंत्री की कड़ी मेहनत का नतीजा है. मेरा काम तो केवल मुख्यमंत्री को लोगों से मिलवाना एवं उनका कार्यक्रम तय करना है.
प्रदीप कुमार पांडेय मुख्यमंत्री के दूसरे आप्त सचिव हैं. औरंगाबाद के निवासी पांडेय निर्वाचन आयोग में पदाधिकारी हैं. मुख्यमंत्री के आप्त सचिव रहने के बावजूद अपने स्कूटर की सवारी करना नहीं भूले हैं. पांडेय जी मुख्यमंत्री के सारे निजी कार्य देखते हैं. मुख्यमंत्री के वेतन से लेकर, सारे बिल तो देखते ही हैं, मुख्यमंत्री के नाम आने वाले सभी पत्रों को देखकर आवश्यक पत्रों को मुख्यमंत्री के सामने देते हैं. उसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर पत्रों का जवाब भी देते हैं. शुभकामना संदेश से लेकर चिट्ठी-पत्री तक का काम उन्हीं के जिम्मे है. चुनाव आयोग में पदाधिकारी होने के कारण चुनावी मामलों में पांडेय जी मुख्यमंत्री को सलाह भी देते हैं.
नवरत्नों में अगले दो नाम अनिल कुमार चौधरी और कमलाकांत उपाध्याय की जोड़ी का है. नीतीश कुमार और बिहार की छवि निखारने में दिन-रात इन दोनों का पसीना बहता है. अनिल कुमार चौधरी व कमलाकांत उपाध्याय सूचना जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी हैं. अनिल कुमार को जब मुख्यमंत्री का पीआरओ बनाया गया तो उस वक्त वह मुज़फ्फरपुर में जनसंपर्क पदाधिकारी के रूप में कार्य कर रहे थे. कुछ दिनों के लिए उन्हें मुख्यमंत्री के पीआरओ से हटाकर पटना का सूचना व जनसंपर्क अधिकारी बनाया गया, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्हें मुख्यमंत्री का पीआरओ बनाकर वापस बुला लिया गया. उपाध्याय व चौधरी जी हर हमेशा मुख्यमंत्री को अपने प्रदेश के अलावा देश दुनिया की खबरों से रूबरू कराते रहते हैं. रात के दो बज रहे हों या दोपहर के बारह हर समय मुख्यमंत्री को खबर देने के लिए तैयार रहते हैं. हर फोन पर नमस्कार, सर या भैया की आवाज़ सुनने को मिलेगी. ये दोनों नियमित रूप से मुख्यमंत्री के सभी कार्यक्रमां की रिपोर्ट तैयार करके अ़खबारों एवं समाचार चैनलों में भेजते हैं. प्रतिदिन दिल्ली से आनेवाले अ़खबारों के प्रमुख समाचार सुबह-सुबह मुख्यमंत्री को देते हैं. हर दो घंटे पर समाचार चैनल एवं समाचार एजेंसी की बिहार से संबंधित एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख खबरों से मुख्यमंत्री को अवगत कराते हैं. उपाध्याय कहते हैं कि कोशिश होती है कि मुख्यमंत्री को अपडेट रखें. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के मेहनत व लगन को देखकर हमलोगों को काफी प्रेरणा मिलती है.
मुख्यमंत्री के नौवें रत्न हैं सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले हरेंद्र कुमार. लगभग बीस वर्षों से नीतीश कुमार के साथ जुड़े हुए हैं. सुरक्षा के अलावा उनका काम मुख्यमंत्री को समय पर भोजन कराने से लेकर महत्वपूर्ण लोगों से मोबाइल पर बात कराना, दवा खिलाना एवं अन्य सारे घरेलू कार्य को पूरा करना भी है. मुख्यमंत्री उनपर बहुत ज़्यादा भरोसा करते हैं.
इस तरह यह कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार से जुड़े ये नौ लोग बिहार में चार सालों से चल रही उनकी सरकार के मुख्य सारथी रहे हैं, लेकिन सारथी की अपनी सीमाएं होती हैं. निर्णायक लड़ाई तो राजा को ही लड़नी होती है. बिहार में व्याप्त ग़रीबी, अशिक्षा, अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश कुमार ने जो लड़ाई छेड़ी है. इसमें ये नौ लोग तो बस सहायक मात्र हैं. मारक प्रहार तो उन्हें खुद ही करना है. अगर ये जंग वह जीत गए तो नीतीश महान कहलाएंगे, नहीं तो इतिहास के पन्ने कुछ अलग ही कहानी बयां करेगी.