नई दिल्ली: राहुल गांधी की न्याय योजना पर टिप्पणी करने की वजह से नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के खिलाफ चुनाव आयोग संज्ञान ले सकता है. उनकी टिप्पणी को चुनाव आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन माना है.
कांग्रेस के चुनावी मास्टर स्ट्रोक ‘न्याय’ पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की प्रतिक्रिया पर चुनाव आयोग संज्ञान ले सकता है. चुनाव आयोग उनसे इस बारे में विस्तृत ब्योरा मांग सकता है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने इसे चुनावी घोषणा बताते हुए कहा था कि इससे वित्तीय घाटा बढ़ेगा.
सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार की प्रतिक्रिया को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना है और इस पर संज्ञान लिया है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष की टिप्पणी को आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है क्योंकि वे कार्यपालिका के अधिकारी हैं.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा था, ‘2008 में चिदंबरम वित्तीय घाटे को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी तक ले गए. यह घोषणा उसी पैटर्न पर आगे बढ़ने जैसा है. राहुल गांधी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की चिंता किए बिना घोषणा कर बैठे. अगर यह स्कीम लागू होती है तो हम चार कदम और पीछे चले जाएंगे.’
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह भी कहा कि इससे ऐसा हो सकता है कि वित्तीय घाटा बढ़कर 3.5 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी तक हो जाए. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हमारी रेटिंग घटा दें. हमें बाहर से लोन न मिले. इसका नतीजा यह होगा कि लोग हमारे यहां निवेश करना रोक देंगे.
आयोग से जुड़े अधिकारी इसे दूसरी तरह से देख रहे हैं. उनका मानना है कि यह एक राजनीतिक दल के दूसरे दल पर टिप्पणी का मामला नहीं है. इसलिए इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है. गौरतलब है कि कुमार ने न्यूनतम आय योजना की घोषणा को कांग्रेस का पूरा नहीं किया जा सकने वाला चुनावी वादा बताया था.
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