नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)।16 दिसंबर 2012 की घटना ने निर्भया को जन्म दिया। निर्भया के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं। उस घटना के 5 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दोषियों को फांसी की सजा को बरकरार रखा। इस फैसले से पूरे देश में खुशी देखने को मिली लेकिन एक गांव हैं जहां फैसले के बाद से सन्नाटा पसरा हुआ है।
उत्तर प्रदेश के बस्ती के उस गांव में लोग दुखी हैं जहां निर्भया का दोषी पवन रहता था। अपने भाई की फांसी की सजा पर बात करते हुए पवन की आंखों में दर्द का पानी तैर जाता है। उनका कहना है कि एक लड़की होने के नाते मैं ऐसे जघन्य अपराध के बारे में कुछ नहीं कह सकती, लेकिन ये जरूर कहना चाहूंगी कि एक गलती तो हर कोई माफ कर देता है, पवन को एक मौका और देना चाहिए।
वहीं दोषी पवन की दादी का गला भी निर्भया के बारे में बात करते करते गीला हो गया। दादी ने कहा कि पवन ने गलती की है लेकिन उसकी फांसी की सजा को माफ कर दिया जाना चाहिए। उसे कुछ दिन जेल में रख कर छोड़ देना चाहिए। नहीं तो पवन के मां और बाप जीते जी मर जाएंगे।
पवन के गांव वालों का भी मानना है कि जब तक पवन में रहता था बेहद अच्छा लड़का था। दिल्ली जाने के बाद उसकी संगत बिगड़ गई और वो गलत राह पर निकल गया। गांव वालों का कहना है कि पवन की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल देना चाहिए।