आंदोलनकारियों को जंतर-मंतर से हटाने के राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के फैसले के बाद चौथी दुनिया धरना-प्रदर्शन कर रहे लोगों की राय जानने पहुंचा. कुछ देर पहले ही बंगला साहिब गुरुद्वारे से खाकर लौटे रविदत्त सिंह एनजीटी के फैसले के बारे में पूछते ही बिफर पड़े. उनका कहना था, मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं हर दिन दिल्ली में खरीद कर खा सकूं. यहां हमारे आंदोलन की आवाज को बंगला साहिब गुरुद्वारे के लंगर के भोजन-पानी का सहारा मिलता है. एनजीटी जिस रामलीला मैदान में आंदोलन करने की बात कह रहा है, वहां मैं कल गया था, वहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. क्या सरकार वहां हमारे खाने की व्यवस्था करेगी? राष्ट्रीय किसान-मजदूर संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रविदत्त सिंह किसानों के विभिन्न मुद्दों को लेकर पिछले 3 जुलाई से जंतर-मंतर पर डटे हैं. पिछले साढ़े 8 सौ से ज्यादा दिनों से आंदोलन कर रहे सेवानिवृत सैनिक तो एनजीटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि हम लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं और हमें संविधान ने यह अधिकार दिया है कि हम अपनी आवाज उठाएं. रही बात हमारी आवाज से प्रदूषण होने की, तो जिन चार बंगले वालों को हमारी आवाज से कष्ट हो रहा है, सरकार उन्हें क्यों नहीं कहीं और बसा दे रही है.

देश भर में शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे डेविड राज सेना से रिटायर्ड अधिकारी हैं. तमिलनाडु में लम्बे समय तक आंदोलन करने के बाद जब वहां की सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, तो वे जंतर-मंतर पहुंचे और बीते 170 दिनों से यहां धरना दे रहे हैं. उनका कहना है कि आंदोलन की सही जगह वही होती है, जो संसद या सिस्टम के करीब हो. अगर सरकार यहां से हमे हटाना चाहती है, तो हमें जेलों में बंद कर दिया जाय. कम से कम वहां से हमारी आवाज व्यवस्था तक तो पहुंचेगी. जंतर-मंतर का आंदोलन चाय-पकौड़े बेचने वाले छोटे दुकानदारों की जीविका का साधन भी है. वहां चाय बेचने वाली एक महिला ने चौथी दुनिया को बताया, मैं पिछले कई सालों से यहां चाय बेचकर अपना गुजारा कर रही हूं. यहां पर आंदोलन करने वाले लोगों के कारण ही  ही मेरा जीवन बसर होता है. अगर यहां होने वाले आंदोलन बंद हो जाते हैं, तो मेरा धंधा तो चौपट होगा ही, मेरे जैसे कई लोग जो यहां की भीड़ के सहारे जिंदा हैं, उनकी रोजी-रोटी पर भी संकट आ जाएगा.

 

 

 

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here